ग्रामीण महिलाओं में दस गुना बढ़ी दिल की बीमारियां

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
ग्रामीण महिलाओं में दस गुना बढ़ी दिल की बीमारियांमहिलाएं सीने में दर्द को न करें नजरअंदाज।

लखनऊ। “अमीना बानो के अक्सर सीने के पास दर्द उठता था। तीन साल तक इलाज किया, लेकिन किसी डॉक्टर ने दिल की बीमारी के बारे में नहीं बताया। मैंने भी नहीं सोचा कि अमीना (35 वर्ष) को दिल की बीमारी होगी। यह कहना है अमीना के भाई शादाब का।” अमीना की तरह ही ग्रामीण महिलाओं में 10 गुना दिल की बीमारियां बढ़ गयी हैं।

सुल्तानपुर के रहने वाले शादाब बताते हैं, “दो हफ्ते पहले हमने अमीना को जगदीशपुर स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां के डॉक्टर ने लखनऊ के लारी कार्डियोलॉजी अस्पताल में रेफर कर दिया।”

नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के एक शोध की मानें तो ग्रामीण महिलाओं में हार्ट अटैक के मरीज में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जिसमें ज्यादतर महिलाएं 40 साल से कम उम्र की हैं। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट की रिर्सच में इस बात का खुलासा हुआ है कि ‘कोरोनरी हार्ट डिजीज’ भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है।

इस रिसर्च में पिछले पांच वर्षों (2012 से 2 016) के दौरान नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती हुए मरीजों को लिया गया। दुनिया के दूसरे हिस्सों की आबादी की तुलना में भारत में दिल के दौरे से मौतों की संख्या चार गुना ज्यादा है। छोटी उम्र में इन रोगों की शुरुआत और महिलाओं में इस बीमारी की बढ़ती दर इससे भी ज्यादा चिंता की बात है।

युवाओं के साथ ही महिलाओं और पुरुषों को 35 वर्ष की उम्र के बाद नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहना चाहिए। 35 वर्ष के बाद हर पांच साल में एक बार, 45 वर्ष के बाद दो साल में एक बार और 60 वर्ष के बाद साल में एक बार स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए।
डॉ. वीएस नारायण, निदेशक, लॉरी कॉर्डियोलॉजी।

लारी कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. वीएस नारायण का कहना है, “महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले हार्ट अटैक ज्यादा घातक होता है। ज्यादातर उनकी मौत अस्पताल पहुंचने से पहले हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में 10 से 20 प्रतिशत महिलाओं को हार्ट अटैक पड़ता है। ‘

जागरूक नहीं हैं लोग’

लारी कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. वीएस नारायण का कहना है कि बीमारी पुरुष और महिलाओं में बराबर ही होती है, लेकिन लोग जागरूक नहीं है। महिला की सांस फूलती है तो वह सोचती हैं कि ऐसे ही फूल रही होगी, वह समझ ही नहीं पाती हैं।” नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं में मासिक धर्म बंद होने से पहले ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपरिवर्तित जीवनशैली के कारणों की वजह से दिल के रोगों का इलाज करवाने आ रही हैं।

दिल के दौरे के बाद अकेले रहना मौत को दावत देने के बराबर

तिल की बात यानी दिल की बात

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.