पथरीली मिट्टी में जैविक ढंग से 10 एकड़ में उगाया जंगल

Neetu SinghNeetu Singh   6 Jun 2017 3:29 PM GMT

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पथरीली मिट्टी में जैविक ढंग से 10 एकड़ में उगाया जंगलप्रगतिशील किसान कालूराम पाटीदार।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रकृति की अगर किसी को तमाम विविधतायें एक साथ देखनी देखनी हो तो मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के गुराडिया प्रताप गाँव में जरुर जायें। जहां एक प्रगतिशील किसान 60 वर्षीय कालूराम पाटीदार ने पथरीली जमीन में 10 एकड़ का जैविक ढंग से जंगल लगाकर जिले का पहला माडल हाउस तैयार किया है।

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर पूरब दिशा में गुराडिया प्रताप गाँव के प्रगतिशील किसान कालूराम पाटीदार का कहना है, “आज से 27 वर्ष पहले ज्येष्ठ की दोपहरी में हमारे गाँव में छाँव के लिए एक भी पेड़ नहीं था, खेजड़ी नाम का पेड़ (राजस्थान का कांटेदार वृक्ष) हुआ करता था जिसमे छाँवनहीं होती थी, पौधे न होने की वजह से यहां का तापमान बहुत ज्यादा रहता था।” वो आगे बताते हैं, “यहां की पथरीली जमीन में अपने आप पेड़ उगना थोड़ा मुश्किल था, मैंने ठान लिया था कुछ भी हो जाए मुझे यहां एक ऐसा जंगल तैयार करना है जहां न सिर्फ विभिन्न प्रकार के वृक्ष हो बल्कि सभी पशु-पक्षी भी मौजूद हों।”

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कालूराम ने वर्ष 1992-95 के बीच 10 एकड़ भूमि में यहां की मानसून के हिसाब से वो सभी प्रकार के वृक्षों के बीज बोये जो यहां के वातावरण के हिसाब से अनुकूल थे। जैविक ढंग से पथरीली जमीन में आज इस जंगल में कई प्रकार के हजारों वृक्ष लगे हुए हैं, स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले पशु-पक्षी और जंगली जानवर भी मौजूद हैं।

एक समय था जब यहां छांव के लिए एक पेड़ को लोग तरसते थे लेकिन आज ये जिले का पहला माडल फॉर्म हाउस बन गया है। यहां इस जंगल के साथ वाटर मैनजमेंट, फॉर्म मैनजमेंट, वर्मी कम्पोस्ट जैसी तमाम खासियते हैं, कालूराम के पुत्र अर्जुन पाटीदार (35 वर्ष) 20 एकड़ जमीन में जैविक खेती कर रहें हैं, अब तक यहां जिले से और बहार से हजारों किसान भ्रमण कर चुके हैं। यहां से शून्य लागत पर जैविक खेती सीखकर किसान अपने-अपने क्षेत्र में इसे अपना रहे हैं।

अर्जुन पाटीदार (35 वर्ष) का कहना है, “अगर हम प्रकृति के साथ रहेंगे तो प्रकृति हमारा साथ देगी, हम अपनी 30 एकड़ की भूमि में कोई भी कीटनाशक या खाद बाजार से इस्तेमाल नहीं करते हैं, कई जगह से प्रशिक्षण लेकर आयें है अब खुद घर पर आस-पास की प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल से जैविक खाद और कीटनाशक तैयार करते हैं, जो भी किसान यहां आतें हैं एक से दो किलो केंचुवा मुफ्त में देते हैं और उनसे कहते हैं इसका वर्मी कम्पोस्ट बनाए इनकी संख्या बढ़ाए और अपनी खेती में इसका इस्तेमाल करें।”

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गुराडिया प्रताप गाँव में पिछले साल से भारत सरकार की परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत हर किसान दो एकड़ जमीन जैविक ढंग से करे, इसकी शुरुआत 50 किसान शुरू कर चुके हैं। अर्जुन पाटीदार जैविक खेती का अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, “इससे आसपास का वातावरण तो स्वस्थ्य रहता ही है साथ ही कम लागत के साथ उत्पाद भी महंगा बिकता है, हमारा गेंहूँ खाने के लिए लोग 40-45 रुपए किलो खरीदते हैं, सबकुछ हमारे फॉर्म हाउस पर उपलभ्ध है, हमारी एक व्हाट्सएप पर हर शाम 7-10 तक एक आनलाइन क्लास चलती है जिसमे एक साथ 500 किसान जुड़े होते हैं जिन्हें डेढ़ दे दो महीने में जमीन से लेकर मार्केटिंग तक का पूरा प्रशिक्षण दिया जाता है।”

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अर्जुन पाटीदार कहते हैं, “किसान फसल से निकले कचरे को जलाएं नही उसका डीकम्पोस्ट कर खाद बनायें, बरसात का पानी बर्बाद न हो उसके लिए मेडबन्दी और तालाब खोदकर पानी का संरक्षण करें, वर्मी कम्पोस्ट से केंचुवा खाद तैयार करें, फसलों में लगने वाले कीटों के लिए घरेलू ढंग से कीटनाशक तैयार करें, इससे न सिर्फ पर्यावरण स्वस्थ्य रहेगा बल्कि सेहत भी अच्छी रहेगी और मुनाफा भी अच्छा मिलेगा।”

          

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