पानी बचाने के लिए अब आ चुकी है “पानी पंचायत सदस्य” 

Neetu SinghNeetu Singh   5 Jun 2017 10:01 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पानी बचाने के लिए अब आ चुकी है “पानी पंचायत सदस्य” पानी पंचायत की सदस्य 

लखनऊ। जिन जिलों में पानी की ज्यादा किल्लत हैं, वहां तालाब के सुदृढ़ीकरण के लिए महिला समाख्या की हजारों महिलाएं पानी पंचायत टीम का हिस्सा बनकर अब उन तालाबों की देखरेख खुद करेंगी, ये महिलाएं कम पानी में होने वाली उपज, तालाब के आस-पास पौधरोपण की जिम्मेदारी भी खुद संभालेंगी।

ये भी पढ़ें- चिंताजनक : यहां सिर्फ 2 फीसदी बचा पीने का पानी

मुज्जफरनगर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर साहपुर ब्लॉक के बरला गाँव में रहने वाली नीलम मलिक (42 वर्ष) का कहना है, “पानी भरने में पुरुष कभी मदद नहीं करते हैं, जानवरों को पानी पिलाने से लेकर रसोई तक के पानी का इस्तेमाल हमे खुद करना पड़ता है, अब पानी पंचायत की सदस्य बन गयी हूँ तालाब में जो भी काम होगा अब उसकी देखरेख हम खुद करेंगे, तालाब पर अब न तो कोई कब्जा कर पायेगा न ही उसकी मिट्टी लेकर कोई इस्तेमाल कर पायेगा।”

पानी पंचायत की सदस्य

घटते जल स्तर को लेकर सरकार कई तरह के प्रयासों में जुटी हुई है, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ‘इंटीग्रेटेड पाउंड मैनजमेंट’ कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 34 जिले में 234 तालाबों को पुर्नविकसित का कार्य लघु सिंचाई विभाग एवम महिला समाख्या उत्तर प्रदेश द्वारा किया जा रहा है।

ऐसा माना जाता है 80 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल महिलाएं ही करती हैं इसलिए महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए इस योजना के अंतर्गत हर तालाब पर महिलाओं की पानी पंचायत का गठन हो रहा है जिसमे एक पानी पंचायत में 15-20 महिलाओं की भागीदारी हो रही है।

सूखा तालाब

सहारनपुर की पानी पंचायत की जिला समन्यवक ममता चौधरी का कहना है, “पर्यावरण दिवस पर महिलाओं ने मिलकर तालाब के पास पौधे लगाए हैं और ये संकल्प लिया है कि वो पानी को बर्बाद नहीं करेंगी, तालाब के आसपास साफ़-सफाई का खास ध्यान रखेंगी, तालाब के पानी सही ढंग से इस्तेमाल हो अब ये अधिकार भी महिलाओं के पास होगा।”

पानी पंचायत सदस्य

महिला समाख्या की पानी पंचायत की स्टेट कोआर्डिनेटर रागिनी सिंह का कहना है, “पानी पंचायत में महिलाओं की सहभागिता इसलिए जरूरी है क्योंकि पानी के साफ़-सफाई का सबसे ज्यादा ध्यान उन्हें ही रखना पड़ता है, ये महिला संघ दूसरी ग्रामीण महिलाओं को न सिर्फ पानी की बचत को लेकर जागरूक करेगी बल्कि तालाब की पूरी देखरेख खुद ही करेंगी।”

ये भी पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस: पर्यावरण से छेड़छाड़ के बिना ही मिलने लगा पानी

महिला समाख्या की महिलाओं ने जब जिले अनुसार तालाबों का सर्वे किया तो एक बात सामने आयी कि इन तालाबों पर या तो गाँव के लोगों ने कब्जा कर लिया है या फिर तालब पूरे तरह से सूखे पड़े है। तालाबों के सुदृढ़ीकरण के लिए मई महीने से काम शुरू हो गया है, हमीरपुर जिले में पानी पंचायत की जिला समन्यवक जया यादव का कहना है, “तालाब की जगह लोगों ने पक्के घर बना लिए हैं जिससे तालाब का क्षेत्रफल कम हो गया है, इस वजह से ग्रामीण लोग पानी पंचायत का हिस्सा बनने में कम रूचि दिखा रहे हैं, तालाबों की मिट्टी खोदकर लोग बेंच रहे हैं, अब महिलाएं इसकी पूरी देखरेख खुद करेंगी।”

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.