देश की इस प्रमुख नदी में पानी की जगह बह रहा जहर
गाँव कनेक्शन | Jun 04, 2017, 14:06 IST
रोहित श्रीवास्तव, स्वयं प्रोजक्ट डेस्क
बहराइच। जिले की एक मात्र नदी सरयू आज अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। पूरी नदी जलकुंभी से पट चुकी है। इसके साथ ही शहर से निकलने वाला नालों और चीनी मिलों का गंदा पानी इसे दूषित कर रहा है। नदी में पानी का भी अभाव हो गया है। यह नदी कई स्थानों पर नाले की तरह नजर आने लगी है।
सरयू नदी बहराइच शहर के दोनों किनारों से होकर गुजरती है। झगहाघाट व गोलवाघाट पर आने-जाने के लिए पुल बना हुआ है। यह नदी कुछ वर्षों में नाले के रूप में तब्दील हो गई है। वहीं शहर के तकरीबन आधा दर्जन नाले नदी में गिर रहे हैं। नानपारा चीनी मिल का कचरा इसमें आता है।
कभी लाखों लोगों के जीवन का पर्याय रही यह नदी अब खुद अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। 34 किलो मीटर तक फैली यह जिले की एक मात्र नदी है, जो हजारों लोगों के जीविकोपार्जन में सहायक मानी जाती है। बतातें चले कि मिहीपुरवा, लालापुरवा, गाय घाट, रायबोझा, रजवापुर, होते हुए नानपारा व रामगांव, तेजवापुर, महसी, खैरीघाट होते हुए घाघरा में समाहित हो जाती है। महसी के किसान पुनरीक पाण्डेय (45 वर्ष) ने बताया, “सरयू के कछार क्षेत्र में बड़े स्तर पर ककड़ी, तरबूज और सब्जियां उगाई जाती थीं, लेकिन नदी के सूख जाने और प्रदूषण के चलते यह नाले में परिवर्तित हो गई है।”
सरयू नदी को मुंह चिढ़ाता कूड़े का ढ़ेर।
वहीं, रामगांव निवासी विमलेश श्रीवास्तव (34वर्ष) का कहना है, “फसल की क्या बात की जाए, अब तो विसर्जन के लिए भी अप्राकृतिक तरीक से ट्यूबवेल का सहारा लेकर जैसे तैसे प्रशासन विसर्जन ही करवा पाता है। पूरी नदी गंदी हो चुकी है।”
जिलाधिकारी अजय दीप सिंह ने बताया, कई समाजिक संगठनों ने नदी की साफ-सफाई के बारे में हमसे बात की है। उनकी मदद से जलकुम्भी और कूड़े-कचरे को किनारे करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही नहर खंड के अधिकारियों से मीटिंग कर इस समस्या का समाधान किया जाएगा।
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बहराइच। जिले की एक मात्र नदी सरयू आज अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। पूरी नदी जलकुंभी से पट चुकी है। इसके साथ ही शहर से निकलने वाला नालों और चीनी मिलों का गंदा पानी इसे दूषित कर रहा है। नदी में पानी का भी अभाव हो गया है। यह नदी कई स्थानों पर नाले की तरह नजर आने लगी है।
सरयू नदी बहराइच शहर के दोनों किनारों से होकर गुजरती है। झगहाघाट व गोलवाघाट पर आने-जाने के लिए पुल बना हुआ है। यह नदी कुछ वर्षों में नाले के रूप में तब्दील हो गई है। वहीं शहर के तकरीबन आधा दर्जन नाले नदी में गिर रहे हैं। नानपारा चीनी मिल का कचरा इसमें आता है।
कभी लाखों लोगों के जीवन का पर्याय रही यह नदी अब खुद अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। 34 किलो मीटर तक फैली यह जिले की एक मात्र नदी है, जो हजारों लोगों के जीविकोपार्जन में सहायक मानी जाती है। बतातें चले कि मिहीपुरवा, लालापुरवा, गाय घाट, रायबोझा, रजवापुर, होते हुए नानपारा व रामगांव, तेजवापुर, महसी, खैरीघाट होते हुए घाघरा में समाहित हो जाती है। महसी के किसान पुनरीक पाण्डेय (45 वर्ष) ने बताया, “सरयू के कछार क्षेत्र में बड़े स्तर पर ककड़ी, तरबूज और सब्जियां उगाई जाती थीं, लेकिन नदी के सूख जाने और प्रदूषण के चलते यह नाले में परिवर्तित हो गई है।”
सरयू नदी को मुंह चिढ़ाता कूड़े का ढ़ेर।
जिलाधिकारी अजय दीप सिंह ने बताया, कई समाजिक संगठनों ने नदी की साफ-सफाई के बारे में हमसे बात की है। उनकी मदद से जलकुम्भी और कूड़े-कचरे को किनारे करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही नहर खंड के अधिकारियों से मीटिंग कर इस समस्या का समाधान किया जाएगा।
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