जानें भारत में कितनी महिलाएं चबाती हैं तंबाकू, हर साल होती हैं कितनी मौत

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   13 March 2019 7:00 AM GMT

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जानें भारत में कितनी महिलाएं चबाती हैं तंबाकू, हर साल होती हैं कितनी मौतभारत में 15 साल और उससे अधिक उम्र की करीब सात करोड़ महिलाएं तंबाकू चबाती हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। तम्बाकू के कारण हर दिन कई लोगों की मौत होती है, लेकिन लोग तम्बाकू का सेवन करने से बाज नहीं आते हैं। भारत में 15 साल और उससे अधिक उम्र की करीब सात करोड़ महिलाएं तंबाकू चबाती हैं। मुंह और गले के कैंसर को भारत में एक अहम स्वास्थ्य समस्या करार देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि हर साल पुरुषों में करीब 85,000 नए मामले और महिलाओं में 34,000 नए मामले कैंसर के सामने आते हैं, जिनमें 90 फीसदी मामलों में किसी न किसी रूप में तम्बाकू का इस्तेमाल होता है व आधे से अधिक मामले की वजह तंबाकू चबाना है।

लखीमपुर जिले के हरिगांव गाँव की रेखा मिश्रा (80 वर्ष) को तम्बाकू चबाने के कारण कैंसर हो गया था, जिसका इलाज वह लोहिया अस्पताल में करा रहीं हैं। वह बताती हैं, "तम्बाकू का सेवन इतना खतरनाक होता है आज पता चला जब इतनी बड़ी बीमारी हो गई है। अब सबको सलाह यही देते हैं कि तम्बाकू का सेवन बिल्कुल भी न करें।"

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हरदोई जिले के भरावन गाँव में रहने वाले सतीष शुक्ल (55 वर्ष) बताते हैं, "मेरे पिता श्रीकांत शुक्ल का निधन कैंसर के कारण हो गया था क्योंकि वह लगातार तम्बाकू का सेवन करते थे।" देश में 184 लाख लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 20 फीसदी लोग सिगरेट का सेवन करते हैं, जबकि 40 फीसदी बीड़ी और 40 फीसदी तम्बाकू का प्रयोग करते हैं। भारत में वर्ष 2009-10 में 15 साल या उससे अधिक उम्र की महिलाओं के बीच कराए गए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, तम्बाकू चबाना तम्बाकू इस्तेमाल का सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका है तथा करीब 26 फीसदी लोग तम्बाकू चबाते हैं। उनमें 33 फीसदी पुरुष और 18 फीसदी महिलाएं हैं।

देश में प्रतिदिन 5500 से ज्यादा युवा शुरू करते हैं तम्बाकू का सेवन

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की 2015-2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे देश में प्रतिदिन 5500 नए युवा तम्बाकू का सेवन शुरू करते हैं। देश में प्रतिदिन 3500 से ज्यादा लोगों की मौत होती है। भारत में कैंसर से मरने वाले 100 रोगियों में से 40 तम्बाकू के प्रयोग के कारण मरते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के अनुसार, तम्बाकू के विभिन्न उत्पादों के प्रयोग से किशोर और युवाओं में मनोदैहिक रोग बढ़ रहे हैं जबकि भारत में प्रति तीन लाख आबादी पर एक मनोचिकित्सक है। देश में 16 लाख नए कैंसर रोगियों के मामले दर्ज होते हैं। 2015 में धूम्रपान से 65 लाख लोगों की मौत हुई है। तम्बाकू का सेवन करने वाले प्रतिवर्ष 22 फीसदी बढ़ रहे हैं। सेकेण्ड हैण्ड स्मोक के कारण प्रतिवर्ष छह लाख प्रत्यक्ष व एक करोड़ लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे ने बताया, "सिगरेट से निकलने वाले धुएं में 4000 रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटिन और टार प्रमुख है। विभिन्न शोधों द्वारा पता लगा है कि 580 रासायनिक पदार्थ कैंसरकारी पाए गए हैं।"

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तम्बाकू से होने वाले रोग

डॉ. आशुतोष दुबे बताते हैं, "तम्बाकू के शौकीनों की जान अधिकतर हृदयाघात से जाती है। पुरुषों में नपुंसकता, महिलाओं में जनन क्षमता में कमी व अन्य प्रजनन समस्याएं होती हैं। सांस में बदबू, मुंह में दिक्कत, आंखों के आसपास झुर्रियां धूम्रपान करने वालों के आसपास रहने वालों में बढ़ जाती हैं। रोग की आशंका घर में धूम्रपान से बच्चों को निमोनिया, श्वांस रोग, अस्थमा, फेफड़े की गति धीमी जैसे रोग होते हैं। हर सिगरेट के साथ 14 मिनट उम्र घट जाती है। फेफड़े कैंसर की आशंका 20.25 गुना ज्यादा बढ़ ज्यादा आती है। दिल का दौरा पड़ने का खतरा दो से तीन गुना अधिक, अचानक मौत होने का खतरा तीन गुना अधिक बढ़ जाता है।"

तम्बाकू से होते हैं कई प्रकार के कैंसर

तम्बाकू से लगभग 40 तरह के कैंसर होते हैं, जिसमें मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, प्रोस्टेट का कैंसर, पेट का कैंसर, ब्रेन टयूमर आदि कई तरीके के कैंसर होते हैं। धूम्रपान से हो रहे विभिन्न कैंसरों में विश्व में मुख का कैंसर सबसे ज्यादा है। तम्बाकू से सबसे ज्यादा लोग हृदय रोग से पीड़ित होते हैं और 40 लाख लोग प्रतिवर्ष फेफड़े से संबधित बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

अहिबरनपुर प्राथमिक विद्यालय के पास खुली पान मसाले की दुकान।

आज भी खुली हैं स्कूलों के पास तम्बाकू की दुकानें

प्रदेश सरकार ने आदेश दिया था कि स्कूल और कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में कोई भी पान-मसाले की दुकान नहीं होनी चाहिए, लेकिन आज भी स्कूल और कॉलेजों के पास दुकानें खुली हैं। गाँव कनेक्शन संवाददाता ने कई स्कूलों का निरीक्षण किया जहां पर स्कूलों के पास तम्बाकू की दुकानें खुलीं थीं। प्राथमिक विद्यालय अहिबरनपुर के पास पान-मसाले की दुकान खुली हुई थी। महिला दुकानदार से जब पूछा गया कि आपको पता है कि स्कूल के पास तम्बाकू की दुकान नहीं खोल सकते हैं तो उन्होंने बताया हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है।

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