गाजियाबाद : घटते जलस्तर को रोकने के लिए जीडीए का एक्शन प्लान तैयार

Pankaj TripathiPankaj Tripathi   30 Jun 2017 6:22 PM GMT

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गाजियाबाद : घटते जलस्तर को रोकने के लिए जीडीए का एक्शन प्लान तैयारगाजियाबाद विकास प्राधिकरण। 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गाजियाबाद। शहर में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की क्या स्थिति है यह जानने के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने सर्वे शुरू करा दिया है। निजी क्षेत्र में हार्वेस्टिंग सिस्टम को चेक करने का जिम्मा प्रवर्तन टीम को और सरकारी कार्यालयों का जिम्मा इंजीनियरिंग सेक्शन को सौंपा गया है। गिरते भू-जलस्तर को बचाने को लेकर यह सारी कवायद की जा रही है।

जीडीए सचिव रविन्द्र गोड बोले ने कहा, “रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के संबंध में मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं, पूर्व में निजी और सरकारी बिल्डिंगों में लगे सिस्टम वर्तमान में चालू हैं या बंद, इसकी सच्चाई जानने के लिए सभी आठ जोन के प्रवर्तन प्रभारियों को सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं।”

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वहीं जीडीए द्वारा करीब 20 सरकारी कार्यालयों में रेनवाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगाए गए हैं। इनकी चेकिंग के लिए अफसरों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। सर्वे के दौरान जहां रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम चालू नहीं पाए जाएंगे, वहां उचित कार्रवाई करते हुए प्लांट को चालू कराया जाएगा। गिरते भू-जल स्तर को सुधारने के लिए शासन ने एक विशेष योजना बनाई है, जिसके तहत गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) समेत प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों के लिए शासनादेश जारी किया गया है। इसमे 300 मीटर से बड़े किसी भी प्लॉट या ग्रुप हाउसिंग का नक्शा पास करते वक्त अनिवार्य रूप से रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगवाना सुनिश्चित करने और उसके बाद ही नक्शा स्वीकृत करने का नियम है।

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रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने संबंधी कानून का पालन कराने के लिए जीडीए नक्शा पास करते वक्त जमानत राशि के रूप में एफडीआर (फिक्स डिपॉजिट रेफरेंस) लेता है। यह एफडीआर प्लांट के क्षेत्रफल के हिसाब से 50 हजार रुपए से लेकर दो लाख रुपये तक होती है। जो लोग शर्तों के मुताबिक वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगा लेते हैं, वेरिफिकेशन कराने के बाद सकारात्मक रिपोर्ट पर उनकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है।

वहीं जो लोग प्लांट नहीं लगाते उनकी जमानत राशि जब्त कर जीडीए द्वारा रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगवाने का नियम है। रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट न लगाने पर जमानत राशि (एफडीआर) तो जब्त की ही जाती है। इसके अलावा कानून का पालन न करने पर नोटिस भी जारी किया जाता है। तय समयावधि में नोटिस का जवाब न देने व कानून का पालन न करने पर इमारत को सील किए जाने का प्रावधान है।

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संजय नगर निवासी अमित गुप्ता (38वर्ष) का कहना है,“ नक्शा पास कराते वक्त रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने का हलफनामा तो जीडीए में दाखिल कर दिया जाता है लेकिन असलियत में उसका पालन नहीं होता है। बिल्डरों के साथ आमजन द्वारा भी नियमों का उल्लंघन किया जाता है।”

वहीं ब्लाक भोजपुर के ग्राम बम्हेटा निवासी प्रमोद मुखिया (32 वर्ष) का कहना है,“ हार्वेस्टिंग प्लांट लगाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। आम तौर पर प्लांट लगाए ही नहीं जाते हैं और जहां लगाए भी जाते हैं तो वे सिर्फ दिखावे के होते हैं।”

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जीडीए के सचिव रविन्द्र गोडबोले ने बताया, “गिरते भू-जल स्तर को बचाने के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाना बेहद अनिवार्य है। प्लांट लगाने के नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, पूर्व में लगे प्लांट किस हालत में है, यह जानने के लिए सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे के दौरान जो प्लांट ठीक हालत या चलते नहीं मिलेंगे तो नियमानुसार प्रभावी कार्रवाई करने के साथ प्लांट को दुरुस्त कराकर चालू कराया जाएगा।”

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