गायों से परेशान बुंदेलखंड में बकरियां चला रहीं ग्रामीणों की रोजी-रोटी

बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी का खर्चा चलता है बकरी पालन से।बकरी पालन का काम ज्यादातर महिलाएं ही करती हैं

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   12 Sep 2018 1:36 PM GMT

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हमीरपुर। अगर आप बकरी पालन को छोटा काम समझते हैं और ये मानते हैं कि कमाई कम होती है तो बुंदेलखंड के इस गांव कभी घूमकर आइए। बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनकी शादी तक का खर्चा बकरियों से निकलता है। यह वही क्षेत्र है जहां अन्ना प्रथा से पूरे बुंदेलखंड के लाखों किसान वर्षों से परेशानी का सामना कर रहे हैं।

" खेत में फसल होती नहीं है। पानी बहुत नीचे है। मैं 15 साल से बकरी पालन कर रहा हूं। बकरी बेचकर मैंने घर बनवा लिया है। पिछले साल अपनी भतीजी की शादी भी इसी से कमाए पैसों के किया था। मेरे बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढते हैं। जब पैसों की जरुरत होती है बकरी बेच देते हैं तुरंत पैसा मिल जाता है।" विनोद कुमार बताते हैं।

विनोद उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के हिस्से में आने वाले हमीरपुर जनपद के विकास खंड सुमेरपुर के गांव कुंडौरा के निवासी हैं। विनोद की तरह इस गांव के ज्यादातर ग्रमीणों के आय का जरिया बकरी पालन है। लोग बकरी पालन से अपनी जरुरतों को पूरी कर रहे हैं। जनपद के कई गांवों में बड़े पैमाने पर बकरी पालन किया जा रहा है।

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सूखे की वजह से और बड़े जानवरों के लिए चारा आदि की व्यवस्था करना एक मुश्किल कार्य होने के कारण लोग बकरी पालन को अधिक तरजीह दे रहे हैं। पानी की कमी से यहां पर खेती करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में यहां के लोगों के सामने रोजी-रोजी का संकट हमेशा से रहा है। जनपद के ग्रामीण अब बकरी पालन को आय का जरिया बना रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। जनपद के ज्यादातर ग्रमीणों के घरों में बकरी दिखाई देती है। यहां के लोग बकरी बेचकर अपनी जरुरतों को पूरी कर रहें हैं। बकरी पालन का काम घर की महिलाएं ही करती हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर विकास खंड सुमेरपुर के गांव कुडौरा में बड़े पैमाने पर बकरी पालन किया जा रहा है। इस गांव की रहने वाली अगस्ती (50वर्ष) भी बकरी पालन करती हैं। अगस्ती के पास 15 बकरियां हैं। अगस्ती ने बताया, " हमारे यहां पानी की बहुत समस्या है। इस वजह से हम लोग खेती भी नहीं कर पाते हैं। अब पेट पालने के लिए कुछ तेा करना ही पड़ेगा। बकरी पालकर मैं अपने घर का खर्चा चलाती हूं।" अगस्ती की तरह इस गाँव की दर्जनों महिलाओं ने बकरी पाल रखी है।

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जंगलों में गुजार देती हैं पूरा दिन

सूखा क्षेत्र होने के कारण यहां हरे चारे का भी संकट हैं। बकरियों के चारे के लिए यहां की महिलाएं घर का सारा काम निपटा लेने के बाद बकरियों को चराने जंगलों में चली जाती हैं। इस दौरान जगह-जगह महिलाओं का समूह बकरी चराते नजर आ जाएगा। बकरी चराने का काम घर के बुर्जूग लोग भी करते हैं। लोग अपने साथ रोटी-सब्जी भी बांध कर ले जाते हैं। दिन भर जंगलों में बिताने के बाद शाम होने पर वापस गांव की तरफ लौट आते हैं।

बकरी चराने वाली कृष्णा (45वर्ष) ने बताया, " भइया, ग्यारह बजे तक घर का सारा काम करने बाद अपनी बकरियों को लेकर निकल पड़ती हूं चराने के लिए। अब हमारे पास कोई काम है नहीं। बिकरी चराना ही मेरी नौकरी है। बारहो महीने मेरी यही दिनचर्या होती है।"

इसी गांव के सूबेदार के पास 50 बकरियां हैं। सूबेदार भी रोज सुबह अपनी बकरियों के साथ जंगल में निकल जाते हैं। सूबेदार ने बताया, " हमारे यहां खेती तो होती नहीं है। ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने के लिए मैंने बकरी पालन शुरू कर दी है। हर साल 70 से 80हजार रुपए बकरी बेचकर कमा लेता हूं। "

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एक साल में तैयार हो जाती है बकरी

बकरी हमेशा ही आजीविका के सुरक्षित स्रोत के रूप में जानी जाती रही है। छोटा जानवर होने के कारण इसके रख-रखाव का खर्च भी न्यूनतम होता है। सूखे के दौरान भी इसके खाने का इंतज़ाम आसानी से हो सकता है। एक बकरी लगभग डेढ़ वर्ष की अवस्था में बच्चा देने की स्थिति में आ जाती है और 6-7 माह में बच्चा देती है। एक बकरी एक बार में दो से तीन बच्चा देती है और एक साल में दो बार बच्चा देने से इनकी संख्या में वृद्धि होती है। बच्चे को एक वर्ष तक पालने के बाद ही बेचते हैं।

गांव नरायनपुर के रहने वाले राजू प्रसाद यादव 28वर्ष ने बताया, " में चार साल से बकरी पालन का काम कर रहा हूं। हर साल में 15 से 20 बकरी बेच देता हूं। एक बकरी चार से पांच हजार रुपए में बिक जाती है। बकरी को पालने में ज्यादा खर्च नहीं होता है इसलिए बचत ठीक-ठाक हो जाती है।"

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राठ और सरीला तहसील में बड़े पैमाने पर होती है बकरी पालन

19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है। वहीं पूरे हमीरपुर में करीब 3 लाख बकरियां हैं। जनपद के साठ हजार परिवारों में बकरी पालन किया जाता है। उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा.ओमप्रकाश तिवारी ने बताया, " हमीरपुर की दो तहसीलों राठ और सरीला में बड़े पैमाने पर बकरी पालन होता है। जल संकट के कारण यहां के किसान बेकार हैं, इसलिए लोग बकरी को आय का जरिया बना लिए हैं।"

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