पढ़िए कैसे नागालैंड में बकरी पालन बन रहा मुनाफे का सौदा

Diti Bajpai | Apr 27, 2018, 12:02 IST
Nagaland
नागालैंड में ज्यादातर बकरियों को मांस और बाल के लिए पाला जाता है। ये बकरी नागालैंड के जुनेहोबोतो, ट्वेनसांग और किप्फ्री जिले के गाँवों में पायी जाती है। इनका व्यवसाय करके छोटे और सीमांत किसान अपना जीवनयापन कर रहे हैं।

इन बकरियों की खासियत यह उत्तर-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र की जलवायु की कठिन परिस्थितियों में रह सकती है और यह लंबे बालों के उपयोगिता के लिए जानी है। जुनेहोबोतो जिले में इनकी संख्या अन्य जिले की तुलना में ज्यादा है। आनुवंशिक स्तर पर भी ये बकरियां उत्तर-पूर्वी पहाड़ी और भारत की अन्य नस्ल की बकरियों से भिन्न है। पूर्वोत्तर भारत का पहाड़ी क्षेत्र गाय, भैंस, भेड़, बकरी, याक, मिथुन आदि पशु आनुवंशिक संसाधनों की विविधता के लिए जाना जाता है।

नागालैंड में छोटे और सीमांत किसान बकरियों को अर्ध सघन प्रबंधन प्रणाली के अंतर्गत पालते है। ग्रामीण क्षेत्रों के किसान दो से 20 बकरियों को रखते है। लोग बकरियों को सुबह चराने के लिए जंगलों में छोड़ देते हैं और शाम को घर वापस ले आते है और रात के समय इन बकरियों को अस्थाई रूप से बने घरों में रखा जाता है। यह घर बांस लकड़ी के गट्ठे का फट्टों के बने होते हैं, जिनमें बिजली और पानी की व्यवस्था नहीं होती है। इन घरों का फर्श जमीन से 2 से 3 फुट की ऊंचाई पर रखा जाता है। बकरियों के घर में आने-जाने के लिए छोटा द्वार होता है।

यहां की बकरियां जंगल में उपलब्ध स्थानीय वनस्पति पर निर्भर रहती हैं। घर पर भी इनको मक्का, पेड़ के पत्ते और स्थानीय घास खिलाई जाती है। घर पर दाना खिलाने के लिए लकड़ी के गट्ठे से एक विशेष प्रकार की नांद बनाई जाती हैं, क्योंकि यह बकरियां ज्यादातर मांस और बालों के लिए पाली जाती हैं। इनके स्तन भी छोटे और शंकु प्रकार के होते हैं। इनका प्रजनन प्राकृतिक ढ़ग से कराया जाता है। नागालैंड की बकरियां प्रतिदिन 0.5 से 0.7 लीटर दूध दे सकती है लेकि इनका दूध निकाला नहीं जाता बल्कि बच्चे के लिए छोड़ दिया जाता है।

पहली ब्यांत के बाद एक ब्यांत में दो बच्चों को जन्म देना आम बात है। इनके बालों की कटाई वर्ष में एक बार की जाती है और बाल 3000/किलो रूपए की कीमत पर बाजार में बेच दिये जाते है। बकरी के मांस को 300/किलो रूपए की दर पर बेचा जाता है।

भारत में बकरी की आबादी लगभग 135 मिलियन हैं, जिसमें से 4.35 मिलियन पूर्वी उत्तरी क्षेत्र में पायी जाती हैं। नागालैंड की बकरी आबादी 99350 है। इस बकरी को स्थानीय रूप से अपू-असू के नाम से जाना जाता है और नर बकरी को आने कहते हैं। नागालैंड की लंबे बाल वाली बकरी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यह बकरी मुख्य रूप से मांस, मोटे फाइबर और त्वचा के लिए पाली जाती है। बकरी के बालों को वस्त्र, आभूषण आरै हथियार में सौंदर्यीकरण के लिए उपयोग किया जाता है।

ऐसी होती है इन बकरियों का शारीरिक संरचना

इस बकरी का रंग काला व सफेद होता है। कुछ बकरियों में काले और भूरे और सफेद बालों का मिश्रण भी मिलता है। गर्दन और सिर काला है लेकिन चेहरे पर सफेद धब्बा मिलता है। कुछ बकरियां में पेट पर भी काले धब्बे दिखते हैं। अगर चेहरा सफेद होता है तो थूथन गुलाबी अन्यथा काली होती है। कान छोटे क्षैतिज रूप से खड़े होते हैं। सींग ऊपर की ओर और पीछे की ओर वक्र करते हैं। नर बकरियों में सींग मादा की तुलना में मजबूत बड़े और मोटे होते हैं। वयस्क नर में शरीर और गर्दन पर विशेष रूप से लंबे बाल होते हैं। छोटी उम्र के नर बच्चों और मादा बकरियों में बालों की लम्बाई तुलनात्मक रूप से कम होती है। दाढ़ी नर और मादा दोनों में मौजूद होती है। इनकी टांगे थोड़ी छोटी होती हैं।

इन चीजों में किया जाता है इनके बालों का इस्तेमाल

नागालैण्ड बकरी के बालों को वस्त्र, आभूषण, हथियार और सौंदर्यीकरण के लिए उपयोग किया जाता है। बकरी के बालों को काट कर प्राकृतिक ढंग से पौधों से उपलब्ध होने वाले रंगों का इस्तमाल करके इन्हें रंगा जाता है। इनका प्रयोग बैज, कान की बालियां, वॅाल हैगिंग, अशुखी (बेस्ट बेल्ट), अम्लाखा (क्रॉस बेल्ट), औकुखा (ब्रेसलेट) और शिकार में उपयोग होने वाले हथियार में होता है।

साभार : राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल

Tags:
  • Nagaland
  • Profitable crop
  • goat farming
  • बकरीपालन

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.