गोरखपुर हादसे पर बोले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सही आंकड़े प्रकाशित करे मीडिया, इंसेेफेलाइटिस से लड़ते रहेंगे

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गोरखपुर हादसे पर बोले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सही आंकड़े प्रकाशित करे मीडिया, इंसेेफेलाइटिस से लड़ते रहेंगेमीडिया से बात करते सीएम योगी।

लखनऊ। गोरखपुर हादसे पर आपात बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- हर बच्चे की मौत पर दुख है और पीड़ित परिवार के साथ सांत्वना है। ये बहुत संवेदनशील मुद्दा था, जिस पर ध्यान दिलाने के लिए मीडिया का शुक्रिया लेकिन मीडिया को चाहिए की जनता के हित में सही आंकडे प्रकाशित करें।

मुख्यमंत्री ने कहा इंसेफेलाटिस के खिलाफ मैने ही गोरखपुर में लड़ाई शुरु थी जो जारी है। उन्होंने कहा कि मीडिया में आने वाली रिपोर्टै में प्रधानमंत्री चिंतित हैं। उन्होंने खुद बात की है। सभी आवश्यकताओं की पूर्ति सरकार करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल यहां आ चुकी हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव गोरखपुर गए हैं। हमारे अधिकारी भी गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य रूप से जो बातें सामने आई हैं। मीडिया से अनुरोध है कि तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में रखा जाए। अलग-अलग समाचार पत्रों में अलग अलग आंकडे हैं। सात, आठ अगस्त के आंकड़े अलग अलग हैं। 9 अगस्त को एनआईसीयू में 9 माैत हुई हैं। मुख्यमंत्री मंत्री ने कहा कि अगर आॅक्सीजन की कमी के कारण माैतें हुयी हैं तो ये जघन्य अपराध है। अपराधी बख्शे नहीं जाएंगे।

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उन्होंने कहा कि रिपोर्ट जैसे ही समाचार पत्रों में आना शुरू हुई थी, वैसे ही डीएम को भेजा था। वे जांच कराएं। दूसरा आक्सीजन सप्लाई अगर बाधित हुई है तो सप्लायर की भूमिका भी है। सभी विभागों को निर्देश दिये गये हैं कि इमरजेंसी सेवाओं में फाइल न रोकी जाए। अस्पतालों में आवश्यक सेवाओं के लिए धनराशि की कमी न हो। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय की जांच होगी। चीफ सेक्रेट्री की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। सही तथ्यों को रखेंगे तब मानवता की सेवा होगी। आक्सीजन की कमी से मृत्यु जघन्य अपराध है। महानिदेशालय के महानिदेशक वहां उपस्थित है। जो दोषी होगा सजा मिलेगी।

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सीएम ने कहा कि इंसेफ्लेलाइटिस से जुड़े सभी अफसरों को मैंने एक दिन पहले ही बुलाया गया था। जिसमें सात जनपदों के सीएमओ भी बुलाए गए थे। किस तरह से आप रोकथाम के साथ दिमागी बुखार का उपचार के लिए क्या इंतजाम है। सभी अधिकारियों से पूछा गया था कि कमियां क्या हैं। मगर मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल बिना बताए चले गए थे। इसलिए उनका निलंबन कर दिया गया है। उन पर अभी और भी जांच के बाद एक्शन लिया गया है। इस अस्पताल में केवल गोरखपुर ही नहीं, बिहार, नेपाल तक के बच्चे आते हैं। सभी सुविधाएं दी जाती हैं। मुफ्त इलाज भी होता है। मई में जेई वैक्सीनेशन का अभियान चलाया था। सभी प्रभावित जनपदों में अभियान चलाया गया था।

वहीं आज ही गोरखपुर से लौटे स्वास्थ्य मंत्री आैर सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि अगस्त 2014 में बीअरडी 567 मौतें हुईं थीं। हर दिन 19 हुईं थीं। अगस्त 2015 में 668 मृत्यु हुईं थीं। अगस्त 2016 587 मृत्यु हुईं थीं। 10 तारीख को सुबह 3:30 बजे पहली मृत्यु हुई थी। यह एक्यूट किडनी इंजरी से हुई। लगातार बच्चों की मृत्यु बीमारी से ही हुई थी। कोई भी आक्सीजन की कमी से नहीं मरा। सिद्धार्थ सिंह ने माना कि आक्सीजन की सप्लाई बाधित हुई थी लेकिन उससे कोई मौत नहीं हुई।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत दुखी हैं। आपात बैठक बुलाई गई है। हम सबने मंथन किया है। मेरे मंत्रालय ने तुरंत ही संपर्क किया गया है। हर तरह का सहयोग केंद्र सरकार से राज्य चाहेगा, उसे देने के लिए हम तैयार हैं। हमारी सरकारी की संकल्पबधता है। जो भी दोषी है, उसके खिलाफ बहुत ही निर्ममता से कार्रवाई होगी। मुख्य रूप से मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल ही जिम्मेदार हैं।

          

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