योगी सरकार के सामने ‘कानून-व्यवस्था’ ही बनी बड़ी चुनौती 

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योगी सरकार के सामने ‘कानून-व्यवस्था’ ही बनी बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

लखनऊ (भाषा)। कानून-व्यवस्था के नाम पर पूर्ववर्ती सरकार को घेरते हुए नए तेवर के साथ सत्ता में आयी योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने यही मुद्दा अब सबसे बड़ी चुनौती भी बनकर उभरा है। अब इसी को लेकर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर रूख अपना चुके हैं। सीएम योगी की सरकार अपने शुरूआती 100 दिनों के कार्यकाल का ‘रिपोर्ट कार्ड' अगले महीने के अंत में जारी करेगी। राजनीतिक समीक्षकों के अनुसार मुख्यमंत्री की पूरी कोशिश इस रिपोर्ट कार्ड को अपनी सरकार का कामयाबीनामा बनाने की होगी। हालांकि इसके लिये चुनौती काफी बड़ी है।

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प्रदेश भाजपा का कहना है कि योगी सरकार बनने के बाद से प्रदेश की तस्वीर में बदलाव शुरू हो चुका है। गुंडागर्दी खत्म हो रही है और अपराध का ग्राफ गिरा है। यही कारण है कि सरकार में जनता का विश्वास बहाल हो रहा है। लेकिन हालिया कुछ घटनाओं को देखें तो सहारनपुर में जातीय संघर्ष, बुलन्दशहर, सम्भल और गोंडा में भी हुई साम्प्रदायिक घटनाओं ने सरकार के लिये चिंता खड़ी कर दी। वहीं इससे भी ज्यादा परेशानी की बात यह है कि इन वारदातों में भाजपा और तथाकथित हिन्दूवादी संगठनों के लोगों की संलिप्तता के आरोप लगे हैं। मुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) समेत अन्य विपक्षी दल भाजपा सरकार को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर ही घेरने में लगे हुए हैं।

इस तरह हैं आरोप

जानकारों के अनुसार बुलंदशहर में एक लड़की को साथ ले जाने की घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति की हत्या मामले में योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं पर आरोप है। हालांकि योगी वाहिनी सदस्यों को कानून हाथ में ना लेने के लिए चेतावनी दे चुके हैं।

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इसी तरह सहारनपुर में भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से क्षेत्रीय सांसद राघव लखनपाल शर्मा की अगुवाई में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के घर पर हमला किया। इस मामले में विपक्ष सांसद की गिरफ्तारी की मांग भी कर रहा है।

अपराध रोकने अब विशेष प्रकोष्ठ होगी गठित, हालात में सुधार का दावा

प्रदेश में अपराध का ग्राफ चढ़ने से चिन्तित मुख्यमंत्री योगी ने एक विशेष प्रकोष्ठ गठित करने का फैसला किया है। खास बात ये है कि सीएम योगी खुद इसकी निगरानी करेंगे। मुख्यमंत्री बनते ही योगी ने प्रदेश की नौकरशाही को सुधारने का कड़ा निर्देश भी दिया था, जिसक परिणाम बहुत दह तक नजर भी आ रहा है। मंत्री और अधिकारी अब 10 बजे से पहले ही दफ्तर पहुंच रहे हैं। किसानों की 36 हजार 500 करोड़ रुपये की कर्जमाफी भी अहम फैसलों में से एक है।

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योगी सरकार ने केंद्र के साथ ‘पॉवर फॉर ऑल' समझौते पर दस्तखत किये और जिला मुख्यालयों को 24 घंटे तथा गांवों को 18 घंटे बिजली देने का फैसला किया। भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक का दावा है कि योगी ने अपने 50 दिन के शुरुआती कार्यकाल में जितना काम कर दिया है, उतना तो पूर्व के मुख्यमंत्री एक साल में नहीं कर पाते थे। महामंत्री ने यह आरोप भी लगाया है कि पूर्ववर्ती सपा सरकार ने उत्तर प्रदेश को अंधेरे में धकेल दिया था। उसने केवल कुछ वीआईपी जिलों को ही बिजली दी, बाकी इलाकों की उपेक्षा की।

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