भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान नहीं रहेगा बिजली पर निर्भर, सौर ऊर्जा से बनेगी बिजली
Divendra Singh 24 Jun 2017 4:27 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। पिछले कुछ वर्षों में सौर उपकरणों का चलन बढ़ा है, ऐसे में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के भवनों के छतों पर सौर उर्जा पैनल स्थापित कर बिजली की आपूर्ति करेगा।
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भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में सौर उर्जा प्रणाली का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. जीत सिंह संधु ने किया। उन्होंने कहा, "हरित उर्जा उत्पादन एवं प्रयोग तथा पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में संस्थान द्वारा यह एक महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान समय में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है जिसे पूरा करना असंभव सा होता जा रहा है।"
ये उत्तर प्रदेश का दूसरा अनुसंधान संस्थान है जो सौर ऊर्जा से चलेगा, इससे पहले राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ में सोलर पैनल लगाए गए थे।
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उन्होंने आगे कहा, "साथ ही परंपरागत तरीके से विद्युत उत्पादन मंहगा होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी घातक सिद्ध हो रहा है। इन समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार अक्षय उर्जा से बिजली उत्पादन पर गंभीर प्रयास कर रहा है। इसी दिशा में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ का यह एक सार्थक कदम है।"
संस्थान ने भवनों के छतों पर सौर उर्जा पैनल स्थापित कर बिजली उत्पादन व संचार के लिए जयपुर के मेसर्स जीनस इन्नोवेशन लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौता के तहत 250 किलोवाट सौर उर्जा बिजली क्षमता का पावर ग्रिड संस्थान में स्थापित किया गया है और अगले 25 वर्षों तक यह फर्म बिजली उत्पादन, संचार व रखरखाव का कार्य देखेगा। जहां एक ओर संस्थान विद्युत उत्पादन कम्पनी से 12 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है वहीं यह फर्म सौर उर्जा द्वारा उत्पादित बिजली सिर्फ 6 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली आपूर्ति करेगा।
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संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एके साह कहते हैं, “इससे बिजली पर निर्भरता खत्म हो जाएगी, संस्थान के फार्म पर सिंचाई भी सोलर पावर से ही की जाएगी, पूरे कैम्पस अब सोलर से ही चलेगा।”
इस अवसर पर उप महानिदेशक डॉ. संधु ने संस्थान के तकनीकी पार्क, शोध प्रक्षेत्रों व प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया और संस्थान द्वारा गन्ना किसानों के लिए विकसित तकनीकों पर जानकारी प्राप्त की।
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