उत्तर प्रदेश: पीलीभीत के नाम दर्ज हुआ सबसे बड़ी बांसुरी का रिकॉर्ड

गुजरात के जामनगर की बजने वाली 11 फीट की बासुरी का रिकॉर्ड तोड़ कर इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुआ पीलीभीत की सबसे बडी 16 फीट की बजने वाली बांसुरी नाम।

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उत्तर प्रदेश: पीलीभीत के नाम दर्ज हुआ सबसे बड़ी बांसुरी का रिकॉर्ड

बांसुरी महोत्सव में पीलीभीत के नाम सबसे लंबी बांसुरी का रिकॉर्ड दर्ज हुआ।

पीलीभीत (उत्तर प्रदेश)। देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर पीलीभीत के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज हो गया है, 18 दिसंबर को बांसुरी महोत्सव में जाने माने बांसुरी वादक पंडित राजेंद्र प्रसन्ना ने 16 फीट लंबी बांसुरी पर तान छेड़कर रिकॉर्ड बनाया।

पीलीभीत से पहले यह रिकॉर्ड गुजरात के जामनगर के नाम था, जहां पर साल 2014 में जामनगर में 11 फीट लंबी बांसुरी बजायी गई थी। 16 फ़ीट लम्बी बांसुरी बनाने वाले रईस अहमद ने बताया, "इस बांसुरी को तैयार करने हम और मेरे 3 कारीगरों ने लगातार बीस दिन तक मेहनत की, जिसके बाद यह बाँसुरी तैयार हुई।


इससे पहले जिलाधिकारी पुलकित खरे ने पीलीभीत आसाम हाईवे चौराहे पर 2 मीटर लम्बी बांसुरी बनवायी थी।

पीलीभीत की बांसुरी भारत ही नहीं कई देशों तक बिखेरती है अपनी मधुर तान

बांसुरी बनाने वाले कारीगर रईस अहमद ने गाँव कनेक्शन से बात करते हुए बताया, "बांसुरी बनाने का काम हमारे यहां कई पीढ़ियों से चला आ रहा है।" यह काम उनके दादा करामात हुसैन ने शुरू किया था] जिसके बाद से आज तक इसी काम इनकी एक पीढ़ी गुजर गई है।

रईस आगे बताते हैं, "हम पांच भाई हैं, एक भाई मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी में हैं वहीं चार भाई बाँसुरी के काम को संभाले हुए है।"


नरकुल के बांस से बनी हुई बांसुरी की डिमांड भारत ही नहीं अमेरिका, फ्रांस, लंदन ,पाकिस्तान रहती है। सालाना टर्न ओवर की बात करें तो अकेले 30 से 40 लाख रूपये का कारोबार करते हैं। वहीं फ़ैक्ट्री में 55 लोगों को काम भी दे रखा है। पूरे पीलीभीत की बात करें तो तक़रीबन 10 से 15 करोड़ का सालाना टर्न ओवर सिर्फ़ बाँसुरी के कारोबार से है।

बांसुरी के कारोबार को बढ़ावा देने के लिये 58 कारीगरों 70 लाख 58 मिला ऋण

पीलीभीत जिले के जिला उद्योग केंद्र में तैनात सहायक प्रबन्धक शिव राम प्रसाद बताते हैं, "एक जनपद एक उत्पाद के अंतर्गत पीलीभीत जिले में बांसुरी का चयन हुआ था। जिसमें बाँसुरी बनाने के कारोबार को बढ़ावा देने के लिये छोटे कारीगरों के काम को प्रोत्साहित करने के लिये 58 लाभर्थियों को विभिन्न बैंकों के माध्यम से 70 लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया। जिसमें 25 फ़ीसद का अनुदान का भी प्रावधान है। इसके साथ ही उत्पाद की मार्केटिंग के लिये जो कारीगर हाट, मेले में अपना स्टाल लगाते है तो उनको दस हजार रुपये मार्केटिंग के नाम पर भी दिया जा रहा है।"

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