मीना मंच का 13 वर्ष का छात्र अब तक 189 बच्चों में जगा चुका है शिक्षा की अलख

Karan Pal SinghKaran Pal Singh   19 Nov 2017 2:05 PM GMT

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मीना मंच का 13 वर्ष का छात्र अब तक 189 बच्चों में जगा चुका है शिक्षा की अलखसोनभद्र जिले के घोरावल ब्लॉक के ढुटेर गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में जानकारी देते बच्चे दाएं से दूसरे नंबर पर बैठे रितेश कन्नौजिया

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र सोनभद्र जिले में परिषदीय शिक्षा के तहत 1810 प्राथमिक और 654 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए यूनीसेफ मुस्कान परियोजना चला रही है। इस परियोजना के अंतर्गत स्कूल ड्रापआउट बच्चों को दोबारा स्कूल में लाना, बाल मजदूरी, बाल विवाह रुकवाना मीना मंच के माध्यम से किया जा रहा है।

सोनभद्र जिले के घोरावल ब्लॉक के ढुटेर गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले मीना मंच का छात्र रितेश कन्नौजिया (13 वर्ष) अब तक 189 बच्चों का दोबारा स्कूलों में दाखिला करा चुका है। रितेश कन्नौजिया बताते हैं, "मैं मीना मंच का सक्रिय सदस्य हूं। मैं जिले में बाल मजदूरी, स्कूल न आने वाले बच्चों या जिन्होंने स्कूल जाने के कुछ दिन बाद स्कूल आना बंद कर दिया था उन बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करता हूं साथ ही बच्चों के माता-पिता को भी शिक्षा के महत्व को बताता हूं।"

सोनभद्र ज़िले के 645 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में यूनिसेफ के सहयोग से 'मुस्कान' योजना चल रही है। जिसमें 12 हजार 900 बच्चे मीना मंच से जुड़े हुए हैं।

रितेश आगे बताते हैं, "पहले मैं आने आस-पास के गाँव जाकर स्कूल नहीं आने वाले बच्चों की लिस्ट बनाता हूं फिर बारी-बारी से उनके घर मीना मंच के अपने साथियों के साथ जाता हूं। पहले तो एक दो बार हमारे जाने और समझाने के बाद भी घर वाले बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं तो हम फिर से उनके घर बार-बार जाते हैं जबतक कि बच्चा स्कूल नहीं जाने लगता है। अपने ब्लॉक घोरावल के अलावा भी मैं अब दूसरे ब्लॉक भी यूनीसेफ के सर के साथ जाता हूं और उनको स्कूल पढ़ने के लिए प्रेरित करता हूं।"

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सोनभद्र जिले के यूनीसेफ के मुस्कान प्रोजेक्ट के जिला संयोजक कुतुबुद्दीन बताते हैं, "मीना मंच के बच्चे मुस्कान परियोजना के अंतर्गत जिले में बाल मजदूरी, बाल विवाह, स्कूल ड्रापआउट बच्चो को शिक्षा की मुख्यधार से जोड़ने के लिए कार्य कर रहे हैं।" ढुटेर गाँव के पूर्व माध्यमिक स्कूल के मीना मंच का बच्चा रितेश अभी तक 189 बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित कर चुका है। वह अपने गाँव, ब्लॉक के साथ-साथ दूसरे ब्लॉक के भी बच्चों को स्कूल जाने में मदद कर रहा है। मैं जब दूसरे ब्लॉक जाता हूं तो वह मेरे साथ जाता है और बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करता है।"

यूनिसेफ ने द स्टेट ऑफ द वार्ड चाइल्ड रिपोर्ट 2016 (ए फेयर चान्स फॉर ऐवरी चाइल्ड) रिपोर्ट यह बताती है कि भारत के 61 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं।

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पूर्व माध्यमिक विद्यालय ढुटेर घोरावल के प्रधानाध्यापक यतिनंनद लाल अपने विद्यालय के कक्षा नौ में पढ़ने वाले रितेश कन्नौजिया के बारे में बताते हैं, "हमारे विद्यालय में मीना मंच के 10 छात्र हैं। जो बाल विवाह, बाल मजदूरी और ड्राप आउट बच्चों पर कार्य करते हैं। मुझे बहुत अच्छा लगता है कि ये उन बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए लाते हैं जो किसी न किसी कारणवश पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।" मीना मंच के बच्चों ने कई गाँव में बाल विवाह रुकवाया है।"

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भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय मुताबिक, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 72.99 फीसदी है। इसमें पिछले 10 वर्षों की अवधि में समग्र साक्षरता दर में 8.15 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2001 में 64.84 फीसदी थी वहीं 2011 में 72.99 फीसदी हुई है।ललितपुर जिले में 42 साक्षरता केंद्र और 25 ग्राम पंचायतों में सूचना केंद्र चल रहे हैं, जहां ग्रामीणों को पढ़ाने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाती है।

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