पंजीकरण में अटका मज़दूरों का फ़ायदा
Rishi Mishra 4 Aug 2017 6:34 PM GMT
लखनऊ। मजदूरों के हित के लिए चलाई जा योजनाओं का लाभ उन्हें इसलिए नहीं मिल पा रहा क्योंकि पंजीकरण की प्रक्रिया ही इतनी टेढ़ी है। उत्तर प्रदेश में मात्र 60 हजार का ही पंजीकरण हो सका है।लखनऊ के कल्याणपुर में रहने वाले निर्माण श्रमिक (35 वर्ष) राजेश कुमार बताते हैं, “उनका पंजीकरण करीब दो साल पहले हुआ।
मगर ये बहुत ही कठिन काम है। इसमें सबसे पहले श्रम विभाग के कार्यालय में आपको एक फार्म के लिए भटकना होता है। फिर किसी सरकारी ठेकेदार का अनुभव प्रमाण पत्र मांगा जाता है। लगातार दो साल तक किसी सरकार ठेकेदार के साथ काम करने वाले निर्माण श्रमिक का ही पंजीकरण किया जाता है।”
ये भी पढ़ें- अच्छे मानसून से ट्रैक्टर कम्पनियों की बल्ले बल्ले, रिकार्ड बिक्री की उम्मीद
मजदूरों के पंजीकरण में सुस्ती के पीछे इस प्रक्रिया का अधिक जटिल होना है। लगभग 22 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 16 अगस्त से शुरू होने वाली अन्नपूर्णा योजना के लिए 23 जिलों में मात्र 10,000 मजदूरों का ही पंजीकरण हो सका है। इस योजना के तहत मजदूरों को दस रुपये में खाना खिलाया जाएगा।
बहराइच के निर्माण श्रमिक वीरेश राजभर बताते हैं, “श्रम उपायुक्त के कार्यालय और ठेकेदार के चक्कर काटने में कम से कम 10 दिहाड़ी का नुकसान होता है। जिसका सीधा मतलब है कि 3000 रुपये का नुकसान। ऐसे में पंजीकरण करवा पाना हर किसी के बस की बात नहीं।”
“निर्माण श्रमिकों के कम पंजीकरण के लिए समय-समय पर विभागीय अधिकारियों के पेंच कसे गए हैं। उनको आदेशित किया गया है कि प्रत्येक जिले में अधिकांश श्रमिकों का पंजीकरण किया जाए। इसकी जटिलताओं को कम किया जाएगा। सभी श्रमिकों तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाएगा।” उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा।
ये भी पढ़ें- एलोवेरा की खेती का पूरा गणित समझिए, ज्यादा मुनाफे के लिए पत्तियां नहीं पल्प बेचें, देखें वीडियो
कार्यालय के चक्कर को झंझटी राजेश भी मानते हैं। वह बताते हैं, “एक सामान्य श्रमिक के लिए ये लगभग अंसभव होता है कि वह किसी सरकारी ठेकेदार से अनुभव प्रमाणपत्र हासिल कर सके। इस वजह से अधिकांश निर्माण श्रमिक पंजीकरण कराने से डरते हैं।”
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
More Stories