जब एक दिन के लिए लड़कियां बनी विधायक, बीडीओ व ग्राम प्रधान

बीडीओ से लेकर विधायक और ग्राम प्रधान तक के पद एक दिन संभालकर इन बेटियों ने गौरवान्वित महसूस किया।

Divendra SinghDivendra Singh   11 Oct 2018 1:02 PM GMT

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जब एक दिन के लिए लड़कियां बनी विधायक, बीडीओ व ग्राम प्रधानमाल के बीडीओ ने चंदावारा गाँव की अनुष्का को दिया अपना पदभार

लखनऊ। अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर कुछ जिम्मेदार अधिकारियों ने एक दिन का कार्यभार इन ग्रामीण बेटियों को सौंपा। बीडीओ से लेकर विधायक और ग्राम प्रधान तक के पद एक दिन संभालकर इन बेटियों ने गौरवान्वित महसूस किया।

विधायक जयदेवी ने जयदेवी को दिया अपना पद

लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर मॉल ब्लॉक के कई जिम्मेदार अधिकारियों ने आसपास ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को एक दिन का चार्ज सौंपकर इनके आत्मविश्वास को मजबूत करने का प्रयास किया है। लड़कियों को प्रोत्साहित करनें में ब्लॉक के अधिकारियों ने पूरा सहयोग दिया। खण्ड विकास अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने चन्दवारा गाँव की अनुष्का को, बाल विकास परियोजना अधिकारी सरस्वती रौतेला ने रामपुर गाँव की नीरज, सहायक विकास अधिकारी पंचायत रवीन्द्र त्रिपाठी ने गंगाखेड़ा गाँव की दर्शनी और बाल कल्याण अधिकारी थाना माल ने देवेन्द्र प्रसाद ने पारा की गुलशन, ग्राम प्रधान मसीढ़ा रतन से हरिद्वार यादव ने वैशाली चौहान और मा विधायक जय देवी कौशल ने जय देवी रहमत नगर को प्रतीकात्मक स्वरूप अपना पदभार देकर उन्हे उच्च शिक्षा और उन्हे स्वावलम्बी बनाने के लिये प्रेरित किया।

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उत्तर प्रदेश के लखनऊ में काम कर रही संस्था वात्सल्य और प्लान इण्डिया के सहयोग से मॉल ब्लॉक में ये कार्यक्रम संपन्न कराया गया। वात्सल्य संस्था के अंजनी सिंह ने बताया, "समाज में ये सन्देश जाए की कोई भी पद लड़कियां अच्छे से संभाल सकती हैं, लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाएं जिससे वो इन पदों पर आसीन रह सकें, इन लड़कियों को ये चार्ज दिलाया गया था ये अपने गाँव की सक्रिय लड़कियां हैं।"

वात्सल्य एवं प्लान इण्डिया द्वारा क्षेत्र की ऐसी लड़कियों को जिन्होंने बालिकाओं की शिक्षा, बाल विवाह रोकने और बालिकाओं की समस्याओं के प्रति समाज में जागरूकता लाने के लिये प्रयास किया था को सम्मानित किया गया और विधायक जय देवी कौशल, खण्ड विकास अधिकारी और अन्य अधिकारियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। चार ऐसी किशोरियां जो कि आठवीं के बाद अपनी आगे की शिक्षा जारी रखने में असुविधा हो रही थी और उनका विद्यालय घर से दूर है को साईकिल प्रदान किया गया ताकि वो अपनी शिक्षा आगे भी जारी रख सकें।

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बाल कल्याण अधिकारी देवेन्द्र प्रसाद ने पारा की गुलशन को दी अपनी कुर्सी

इसलिए मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

11 अक्टूबर विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरूआत प्लान इण्टरनेशनल की एक परियोजना से शुरू हुयी। प्लान इण्टरनेशनल एक गैर सरकारी वैश्विक संगठन है जो पुरी दुनिया में बच्चों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिये काम करता है। अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का विचार प्लान इण्टरनेशनल के एक कार्यक्रम 'बिकाज आई ऐम गर्ल' से आया जो विकासशील देशों में में लड़कियों के अधिकारों को संरक्षित करने तथा जागरूकता को बढ़ाने के लिये किया जा रहा था। उसी दौरान प्लान इण्टरनेशनल कनाडा के प्रतिनिधि ने वहां की सरकार से सम्पर्क कर इस दिवस को संयुक्त राष्ट्र महासभा से शामिल करने का आग्रह किया।

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19 दिसम्बर 2011 संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पारित कर 11 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने को स्वीकार कर लिया गया। तभी से विश्व में 11 अक्टूबर राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में बालिकाओं के प्रति शिक्षा, स्वास्थ्य, भागीदारी, सुरक्षा, पोषण तथा बालिकाओं के कानूनी अधिकारों के प्रति व्याप्त गैर बराबरी को कम करने के लिये समुदाय मे जागरूकता लाना तथा बालिकाओं के लिये विकास के अवसर उपलब्ध कराना है।

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