आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश, राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   19 Jan 2018 5:31 PM GMT

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आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश, राष्ट्रपति की मुहर का इंतजारअरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री दिल्ली

नयी दिल्ली (भाषा)। आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका लगाने वाला है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 20 विधायकों की छुट्टी हो सकती है। उनकी सदस्यता जा सकती है। संसदीय सचिव के रूप में लाभ के पद धारण करने के लिए चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश की है।

आप पार्टी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया। जिसमें कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त अपने रिटायर्ड होने पहले प्रधानमंत्री को खुश करना चाहते हैं। आप के 20 विधायकों के जाने के बाद उनके पास सिर्फ 46 विधायक बाकी रह जाएंगे।

कांग्रेस द्वारा जून 2016 में की गई एक शिकायत पर चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को अपनी राय दे दी है। कांग्रेस के आवेदन में कहा गया था कि जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन) सहित आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया है। जरनैल सिंह ने पिछले साल पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधार पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं। निर्वाचन आयोग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सूत्रों ने कहा है कि आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी गई है।

इस कदम से 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा की 20 सीटों के लिए उपचुनाव कराना पड़ेगा। वर्तमान में आधिकारिक तौर पर आप के 66 सदस्य सदन में हैं। अन्य चार सीटें भाजपा के पास हैं।अगर 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो सत्ताधारी दल के पास अब भी दिल्ली विधानसभा में बहुमत बना रहेगा।

चुनाव आयोग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सूत्रों ने कहा है कि आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी गई है।

उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा है कि संसदीय सचिव बनकर वे लाभ के पद पर हैं और दिल्ली विधानसभा के विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित होने योग्य हैं। राष्ट्रपति आयोग की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं। जिन मामलों में विधायकों या सांसदों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाएं दी जाती हैं, उन्हें राष्ट्रपति राय जानने के लिए चुनाव आयोग के पास भेजते हैं । चुनाव आयोग मामले पर अपनी राय भेजता है। वर्तमान मामले में 21 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका दी गई थी लेकिन एक ने कुछ महीने पहले इस्तीफा दे दिया था। बहरहाल, आयोग ने कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ए के जोति ने कहा कि मामला चूंकि न्यायालय के विचाराधीन है, इसलिए वह इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं देंगे।

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आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि न वेतन लिया, न बंगला लिया, ने कार की सुविधा ली। पार्टी ने कहा मुख्य चुनाव आयुक्त 23 जनवरी को रिटायर होने वाले हैं, संभवत इसलिए प्रधानमंत्री को खुश करना चाह रहे हों। आम आदमी पार्टी ने कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी को अपना पक्ष रखने तक का मौका नहीं दिया गया।

ये 20 विधायक हैं जिनको है फैसले का इंतजार

  1. आदर्श शास्त्री, द्वारका
  2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
  3. नरेश यादव, मेहरौली
  4. अल्का लांबा, चांदनी चौक
  5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
  6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
  7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
  8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
  9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
  10. अवतार सिंह, कालकाजी
  11. शरद चौहान, नरेला
  12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
  13. संजीव झा, बुराड़ी
  14. सोम दत्त, सदर बाज़ार
  15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
  16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
  17. मनोज कुमार, कोंडली
  18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
  19. सुखबीर दलाल, मुंडका
  20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़

आप ने कहा है कि निर्वाचन आयोग की सिफारिश गलत आरोपों पर आधारित है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने सिर्फ अपनी चहुमुखी विफलता की तरफ से ध्यान हटाने के लिए अपने एजेंटों के जरिए निर्वाचन आयोग की प्रतिष्ठा के साथ गंभीरू रूप से समझौता किया है।

आप के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा ने ट्वीट किया, "मोदी सरकार द्वारा नियुक्त निर्वाचन आयोग ने मीडिया को जो जानकारी लीक की है, वह लाभ के पद के झूठे आरोपों पर विधायकों का पक्ष सुने बगैर की गई अनुशंसा है। यह पक्षपातपूर्ण अनुशंसा अदालत के सामने नहीं टिक पाएगी।"

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उन्होंने आगे लिखा है, "निर्वाचन आयोग के इतिहास में यह अपनी तरह की पहली अनुशंसा है, जो संबंधित पक्ष को सुने बिना की गई है। लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग में कोई भी सुनवाई नहीं हुई है।"

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उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में निर्वाचन आयोग ने आप विधायकों की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लाभ के पद का मामला खत्म करने का आग्रह किया था। आयोग ने आप विधायकों को नोटिस जारी कर इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा था।

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आप सरकार ने मार्च 2015 में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता हटाने) अधिनियम, 1997 में एक संशोधन पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के पदों को लाभ के पद की परिभाषा से मुक्त करने का प्रावधान था।

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लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस संशोधन को स्वीकृति देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर 2016 में सभी नियुक्तियों को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि था कि संसदीय सचित नियुक्त करने के आदेश उपराज्यपाल की मंजूरी के बगैर जारी किए गए थे।

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