बाराबंकी गैंगरेप केस ग्राउंड रिपोर्ट : 'एक हफ्ते पहले मुझे धमकी दी थी कि चुनाव मत लड़ो, जो पैसा चाहिए हो ले लो और अपनी बेटी की शादी कर दो'

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में 16 साल की एक दलित लड़की को अगवाकर गैंगरेप का मामला सामने आया है। परिवार का आरोप है कि पंचायत चुनाव में दावेदार होने के चलते विरोधी पक्ष ने इस वारदात को अंजाम दिया है, पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

Neetu SinghNeetu Singh   21 March 2021 6:15 AM GMT

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जैदपुर (बाराबंकी)। "अगर मैं जानता कि वो मेरी बिटिया के साथ ऐसी हरकत करेंगे तो मैं कभी चुनाव में नहीं खड़ा होता," जिला अस्पताल के बाहर खड़े शख़्स ने अपने आप को कोसते हुए कहा।

ये शब्द उस पिता के थे जिनकी 16 वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ 15 मार्च को गांव के चार लोगों ने अपहरण कर कथित तौर पर गैंगरेप किया था। ये मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर जैदपुर थानाक्षेत्र के एक गांव का है। परिजनों के मुताबिक़ पीड़िता सुबह लगभग 9 से सवा 9 बजे के बीच साइकिल से स्कूल के लिए निकली थी, छुट्टी के समय जब वो वापस नहीं लौटी तब परिजनों ने खोजना शुरु किया। आरोपी शाम लगभग चार बजे उसी नहर के पास छोड़ गये जहाँ से उसका अपहरण किया था।

जब आरोपी नहर के पास लड़की को गाड़ी से उतार रहे थे तब गाँव के एक व्यक्ति ने मौके पर उन्हें उतारते हुए देखा था। उस चश्मदीद व्यक्ति ने बताया, "हम साइकिल से बाजार जा रहे थे, तभी एक चार पहिया की गाड़ी आयी, जिसमें गाँव के दो लड़के (आरोपी) शिवम और सचिन बैठे थे। दोनों लड़की को उतारकर चले गये, वहां से घर तक लड़की को लेकर हम आये।"

घर के आंगन में नीले रंग की वो साइकिल खड़ी है जिससे 16 वर्षीय दलित पीड़िता 15 मार्च को स्कूल पढ़ने गयी थी. फोटो : नीतू सिंह

जिस ग्राम पंचायत का यह मामला है उस पंचायत में पांच मजरे (राजस्व गांव के अंतर्गत आने वाले छोटी बसावटें) आते हैं, जिसमें पासी समुदाय (अनुसूचित जाति) की आबादी लगभग 70% है। पीड़िता के गाँव में 80 घर पासी (दलित) के हैं जिस समुदाय से पीड़िता आती है, 62 घर वर्मा (पिछड़ी) जाति के हैं जिस समुदाय से चारों आरोपी आते हैं।

पीड़िता की बेसुध हो चुकी माँ ने बताया, "बिटिया ने हमें बताया कि वो घर से नहर तक (करीब 500 मीटर की दूर) पहुंची थी तभी एक गाड़ी उसके आगे-पीछे चल रही थी, जैसे सुनसान रास्ता देखा कुछ लोगों ने उसे उठाकर गाड़ी में डाल दिया, मुंह में कपड़ा भर दिया, आँखों में पट्टी बाँध दी, फिर वो उसे कहाँ ले गये उसे नहीं पता।"

माँ ने आगे कहा, "बिटिया ने बताया कि गाँव के ही चार लोग थे, कहीं जंगल वाली जगह में उसके साथ गलत काम (बलात्कार) किया। उसी दिन (15 मार्च) लगभग चार बजे उसी नहर के पास छोड़ गये जहाँ से उसे ले गये थे।"

पीड़िता दो बहन और एक भाई में सबसे बड़ी है। पीड़िता नौंवी कक्षा की छात्रा है। घर की माली स्थिति ठीक नहीं है। भूूमिहीन पिता मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कच्चे घर में अंदर लोहे की टीन और बाहर फूस के छत्तर के ऊपर काले रंग की प्लास्टिक बिछी है,ताकि बरसात का पानी नीचे ना आए। घर में गिनती के कुछ एक बर्तन है, टीन सेट के नीचे दो तखत पड़े हैं जिसपर कुछ कपड़े, पीड़िता और उसकी छोटी बहन का स्कूल बैग रखा है। एक कोने में बक्सा रखा है, दूसरे कोने में बेकार हो चुका (कबाड़) का कुछ समान पड़ा है। आँगन में पीड़िता की नीले रंग की साइकिल खड़ी है जिससे वह स्कूल पड़ने जाती है।

महिला जिला अस्पताल के बरामदे में उस वक़्त पीड़िता की माँ आकर बैठी गयी जब महिला पुलिसकर्मियों ने उन्हें बच्ची से मिलने से मना कर दिया. फोटो : नीतू सिंह

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो-2019 (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 3500 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज हुई। यानि हर रोज 10 महिलाओं या लड़कियों के साथ रेप या गैंगरेप जैसी घटना होती है। ये वो मामले हैं जो रिपोर्ट हुए हैं, जो मामले पुलिस तक पहुंच नहीं पाए उनका कोई लेखा-जोखा नहीं है। इनमें से एक तिहाई मामले उत्तर प्रदेश और राजस्थान से हैं।

बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "बच्ची का मेडिकल और 164 के बयान करवाए जा रहे हैं। अभी दो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है।"

बच्ची नाबालिग है पर दर्ज एफआईआर में पाक्सो की धारा नहीं लगी है, पूछने पर एसपी यमुना प्रसाद ने बताया, "बच्ची नाबालिग है उसका एज वेरीफिकेशन होगा अगर नाबालिग निकलेगी तो धारा बढ़ा दी जायेगी।"

गाँव कनेक्शन की टीम इस मामले की पड़ताल के लिए 19 मार्च को पीड़िता के गाँव और बाराबंकी जिला महिला अस्पताल में पहुंची जहाँ पीड़िता और उसके माता पिता 16 मार्च से थे। गाँव कनेक्शन संवाददाता ने शुक्रवार शाम चार बजे के करीब मौके पर देखा कि जिस मेडिको लीगल रूम में पीड़िता थी वहां मौजूद दो महिला पुलिसकर्मी में से एक ने पीड़िता की माँ को अन्दर जाने से मना किया और कहा, "हमें सीओ साहब से आदेश आया है कि अब लड़की को किसी से नहीं मिलने दिया जाएगा।"

जब पीड़िता की माँ ने कहा, "मुझे भी नहीं।" इस पर महिला पुलिस कर्मीं बोलीं, "हमें ऊपर से आदेश है कल तक कोई नहीं मिल सकता, अगर आपको घर जाना है तो घर चले जाईये।"

पीड़िता के पिता जो इस बार ग्राम प्रधानी के उम्मीदवार थे. फोटो : नीतू सिंह

पीड़िता की माँ ने ये बात अस्पताल में बने रैन बसेरे में ठहरे पीड़िता के पिता को बताई। पीड़िता के पिता भी उस कमरे में पहुंचे और अन्दर न जाने की वजह पूछी इस पर महिला पुलिसकर्मी भड़क गईं। उन्होंने कहा, "हम अपनी ड्यूटी कर रहे हैं हमें जो आदेश आया है हम उसका पालन कर रहे हैं, अगर आपको साथ में रहना है तो ऊपर से लिखवाकर लाइये।"

मेडिको लीगल रूम में एक बेड पर दीवार के सहारे बैठी पीड़िता सिसकियाँ ले रही थी। कमरे के बाहर से झांकते हुए बेबस पिता ने अपनी बेटी को दिलासा देते हुए कहा, "हम और तुम्हारी माँ बाहर ही बैठे हैं, तुम परेशान मत हो, वही बयान देना जो तुम्हारे साथ हुआ है।"

पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया, "मुझे आरोपी पक्ष से कई फोन आ रहे हैं कि लेन-देन करके मामला निपटा लो। ऊपर से यह भी दवाब बन रहा है कि सिर्फ एक का नाम लिखवाओ बाकी का मत लिखवाओ, जब घटना में चार लोग शामिल हैं तो एक का नाम कैसे लिखवायें?"

इधर उधर के चक्कर लगाने के बाद पीड़िता की माँ अस्पताल में बने बरामदे में खंभे के सहारे बैठ गयी थी, चेहरे पर उनकी बेबसी और लाचारी साफ़ दिख रही थी। उनके झोले में कुछ कपड़े थे, शायद बेटी के लिए थे।

आपको बच्ची ने क्या बताया? पूछने पर माँ ने जवाब दिया "बच्ची ने हमें यह बताया कि गलत काम केवल सचिन ने ही किया, लेकिन इस घटना में शामिल तीन और लोग शिवम, लालजी, आकाश भी हैं जिन्होंने गाड़ी में ले जाने और छोड़ने में मदद की, फिर तो चारो को माना जाएगा।"

यही है पीड़िता का घर, घर में एक भी कमरे नहीं हैं. फोटो : नीतू सिंह

महिलाओं को निशुल्क कानूनी सलाह प्रदान करने वाली लखनऊ स्थित संस्था आली की कार्यकारी निदेशक एवं वकील रेनू मिश्रा कहती हैं, "अगर बच्ची नाबालिग है तो एफआईआर के समय ही पाक्सो की धारा लगनी चाहिए। पाक्सो का कानून कहता है मेडिकल से लेकर बयान दर्ज होने तक पीड़िता के साथ घर के एक व्यक्ति का साथ रहना जरूरी है, अगर ऐसा नहीं है तो ये कानून का उल्लंघन है। कानून यह भी कहता है कि घटना के 24 घंटे के अन्दर पीड़िता का मेडिकल और बयान हो जाना चाहिए अगर ऐसा नहीं है तो पाक्सो के तहत धारा 21 (बी) में पुलिस पर लापरवाही बरतने का मामला दर्ज हो।"

पीड़िता के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया, "लड़की को सोमवार शाम करीब साढ़े चार बजे हम थाने लेकर आ गये थे, तब भी हमें और हमारी लड़की को अलग-अलग बैठाया था। जब रात आठ बजे तक एफआईआर नहीं लिखी गयी तब हमने गाँव में फोन किया। महिला-पुरुष मिलकर 100-200 लोग जब आये तब कहीं रात्रि 12 बजे के बाद एफआईआर लिखी गयी। अगले दिन सुबह थाने से महिला जिला अस्पताल आ गये, उस दिन से (शुक्रवार शाम, 19 मार्च) तक बस डॉ और पुलिस के चक्कर काट रहे हैं, शनिवार यानि 20 मार्च को लड़की के बयान दर्ज हुए।"

गाँव कनेक्शन ने पुलिस अधीक्षक और इस मामले की जाँच कर रहे क्षेत्राधिकारी सदर रामसूरत सोनकर से मिलने की कोशिश की पर मीटिंग में व्यस्त होने की वजह से दोनों अधिकारियों से मिलना संभव नहीं हुआ। बाराबंकी पुलिस के ट्विटर हैंडल पर 20 मार्च को अपलोड एक बाईट में सीओ रामसूरत सोनकर ने बताया, "थाना जैदपुर में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 94/21 धारा 376 (डी), 506, 3 (2) (वी) की विवेचना मेरे द्वारा की जा रही है। विवेचना के क्रम में नियमानुसार पीड़िता का मेडिकल परीक्षण जिला अस्पताल बाराबंकी में कराया जा रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से पीड़िता के साथ महिला कांस्टेबल हैं, उनके परिवार जन भी मौजूद हैं। पीड़िता का 164 का बयान माननीय न्यायालय में दराज कराने के बाद विधिक कार्रवाई की जा रही है।"

नहर के बगल में सड़क के किनारे की ये है वो जगह जहाँ से पीड़िता का अपहरण किया गया था. फोटो : नीतू सिंह

गाँव कनेक्शन की टीम आरोपियों के घर भी गयी जहाँ एक आरोपी आकाश के परिजनों ने बात करने से मना कर दिया। आकाश वर्मा के घर से कुछ दूरी पर गिरफ्तार आरोपी लाल जी की पत्नी ने अपने बच्चों की तरफ इशारा करते हुए कहा, "हमारे पति को गलत फंसाया जा रहा है, वो उस दिन बाराबंकी में दूसरे काम से गये थे। हमारे छोटे-छोटे दो बच्चे हैं, घर में पति के अलावा कोई नहीं है।"

गाँव में बिजली के खंभे के सहारे खड़े एक 60 वर्षीय व्यक्ति ने कहा, "सिर्फ चुनावी रंजिश की वजह से ये घटना हुई है। लड़की की गरीबी की वजह से मामला को दबाया जा रहा है। एक आरोपी आकाश के पिता इस बार चुनाव में खड़े हो रहे हैं वो नहीं चाहते कि इस लड़की के पिता खड़े हों।"

जिस जगह से लड़की को आरोपियों ने गाड़ी में उठाया वहां पास में बनी कुटिया में रहने वाले एक बाबा ने बताया, "जब ये घटना हुई तब हम नहीं जान पाए पर जब लड़की वापस आयी तब हमने देखा। आरोपी ठीक प्रवत्ति के नहीं हैं, एक साल पहले भी एक आरोपी ने पास के गाँव की एक लड़की के साथ छेड़छाड़ की कोशिश की थी। बस मामला इसलिए दबाया जा रहा है एक तो लड़की दलित है दूसरी गरीब।"


   

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