सरकार ने मनरेगा के लिए दिए 6,834 करोड़ रुपए, मगर लॉकडाउन में मजदूरों को राहत नहीं
कोरोना लॉकडाउन के 14वें दिन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को मनरेगा के लिए 6,834 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है।
Kushal Mishra 8 April 2020 7:12 AM GMT
कोरोना लॉकडाउन के 14वें दिन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को मनरेगा के लिए 6,834 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने खुद ट्वीट कर धनराशि जारी करते हुए लिखा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर मनरेगा मजदूरों की बकाया मजदूरी और सामग्री के भुगतान के लिए यह धनराशि जारी की गयी है।
ऐसे में इस धनराशि से कोरोना लॉकडाउन के समय में ग्रामीण भारत के 8 करोड़ से ज्यादा सक्रिय मजदूरों को कितनी राहत मिल सकेगी, यह एक बड़ा सवाल है।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर मनरेगा मजदूरों की बकाया मजदूरी और सामग्री के भुगतान हेतु आज ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को 6,834 करोड़ रूपए की राशि जारी कर दी है।#IndiaFightCorona pic.twitter.com/XABS0YC20u
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) April 6, 2020
"सरकार ने लॉकडाउन में मजदूरों को जबरदस्ती घर पर बैठने को मजबूर किया और इनके लिए कोई राहत धनराशि भी नहीं दी। सरकार ने जो धनराशि जारी की है, वो तो सरकार पर पहले से ही मजदूरों की बकाया थी, सरकार हर साल नए वित्तीय वर्ष में अप्रैल में इसे जारी करती है, इसमें कोरोना के चलते मजदूरों को भला क्या राहत दी," सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं।
मजदूर किसान शक्ति संगठन और नरेगा संघर्ष मोर्चा से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कोरोना और लॉकडाउन की वजह से मजदूरों पर पड़ रहे असर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने लॉकडाउन के समय में मनरेगा मजदूरों को बिना काम के तत्काल मजदूरी दिए जाने का आदेश देने की मांग की है।
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निखिल डे कहते हैं, "लॉकडाउन में मजदूरों के लिए हर दिन तकलीफदेह है। हमने याचिका के जरिये मांग की है कि मनरेगा में सभी जॉब कार्ड धारकों को काम में मौजूद समझा जाये और जल्द से जल्द उन्हें मजदूरी का भुगतान किया जाये।"
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे और अरुणा रॉय की ओर से वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर इस याचिका में मनरेगा अधिनियम के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत देश के सभी सक्रिय जॉब कार्ड धारकों के लिए स्वास्थ्य और आजीविका के लिए मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई है।
The government must show leadership as an employer during the #Lockdown21 & after . #MGNREGA can become a lifeline for relief and recovery. Govt must reverse #LockdownWithoutPlan . Deem attendance; pay wages during lockdown; plan well for post #lockdown https://t.co/PrEhWwlqM1
— Nikhil Dey (@nikhilmkss) April 4, 2020
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्षी नेता सोनिया गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लॉकडाउन के समय में देश के 8 करोड़ से ज्यादा मनरेगा मजदूरों पर आये संकट को लेकर 21 दिनों की तत्काल अग्रिम मजदूरी देने की गुजारिश कर चुकी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई राज्यों में पहले से ही इन श्रमिकों की महीनों से मजदूरी बकाया है और लॉकडाउन के समय में इनके हाथों में पैसा नहीं है।
वहीं छत्तीसगढ़ और ओडिशा सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नवीन पटनायक भी मनरेगा मजदूरों के हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इनकी तत्काल मदद पहुंचाने की अपील कर चुके हैं।
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मनरेगा मजदूरों के अधिकारों के लिए काम कर रही नरेगा संघर्ष मोर्चा में गुजरात से जुड़े निखिल शिनॉय फ़ोन पर बताते हैं, "सरकार ने पिछले साल भी मनरेगा के लिए जारी नए बजट से मनरेगा में मजदूरी और सामग्री का भुगतान किया था, तब अक्टूबर में ही मनरेगा का सारा बजट खत्म हो गया और फिर चार महीने बाद मजदूरों को भुगतान मिला था।"
"सरकार ने इस बार भी मनरेगा के लिए जारी बजट 61,500 करोड़ रुपये में से ही इस धनराशि को जारी किया है। ऐसे में फिर मजदूरों का भुगतान महीनों पहले ही रुक जाएगा। लॉकडाउन में जब लाखों प्रवासी मजदूर गांव वापस लौट आए हैं तब सरकार को ऐसे मजदूरों के लिए मनरेगा का बजट और बढ़ाना चाहिए था और उन्हें लॉकडाउन में राहत धनराशि भेजनी चाहिए थी, मगर ऐसा नहीं हुआ," निखिल शिनॉय कहते हैं।
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