Lockdown 4 : पिता का झारखंड में तो बेटे का आगरा में हुआ अंतिम संस्कार, आखिरी समय में चेहरा भी नहीं देख सके परिजन

लॉकडाउन की वजह से पहले ही घर में राशन-पानी और पैसों की कमी से जूझ रहे इस गरीब परिवार में दो लोगों की मौत हो जाने के बाद इनके ऊपर दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा है।

Kushal MishraKushal Mishra   22 May 2020 12:34 PM GMT

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Lockdown 4 : पिता का झारखंड में तो बेटे का आगरा में हुआ अंतिम संस्कार, आखिरी समय में चेहरा भी नहीं देख सके परिजनलॉकडाउन की वजह से आखिरी समय में एक दूसरे से मिल भी नहीं सके परिजन।

लॉकडाउन में पिता की मौत की खबर सुनकर दिल्ली से झारखंड के लिए मोटरसाइकिल से निकले आदित्य को कहां पता था कि ये उनका आखिरी सफर होगा।

लॉकडाउन के दौरान गांव में अपने पिता की मौत की खबर सुनकर दिल्ली से झारखंड के लिए मोटरसाइकिल से निकले आदित्य राय (27 वर्ष) सड़क हादसे में अपनी भी जान गवां बैठे। मात्र 24 घंटों में एक गरीब मजदूर परिवार ने न सिर्फ अपने दो लोगों को खो दिया, बल्कि लॉकडाउन की वजह से परिजनों को अंतिम समय में एक-दूसरे का चेहरा देखना भी नसीब नहीं हो सका।

एक तरफ झारखंड के जमुआ जिले के लताकी गाँव में रह रहे मझले बेटे अमरजीत ने अपने पिता का अंतिम संस्कार गाँव में किया, दूसरी तरफ अपने छोटे भाई आदित्य की सड़क हादसे में मौत की खबर सुनकर दिल्ली से निकले बड़े भाई सुजीत ने आगरा में अपने भाई का अंतिम संस्कार किया। लॉकडाउन की वजह से सुजीत अपने भाई के शव को लेकर गांव भी नहीं जा सके।

झारखण्ड के जमुआ जिले के लताकी गाँव में ऑटो चलाकर अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं अमरजीत।

लॉकडाउन के कारण पहले ही घर में राशन-पानी और पैसों की कमी से जूझ रहे इस गरीब परिवार में दो लोगों की मौत हो जाने के बाद इनके ऊपर दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा है। गाँव के लोगों ने पिता के साथ रह रहे मझले बेटे अमरजीत को कुछ रुपए देकर किसी तरह पिता का अंतिम संस्कार कराया।

लताकी गाँव में ही रह रहे अमरजीत के परिवार में पत्नी और दो बच्चे भी हैं। वह गांव के आस-पास ऑटो चलाकर किसी तरह अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं। मगर पिछले दो महीनों से लॉकडाउन में काम पूरी तरह बंद था और पैसों की तंगी की वजह से अमरजीत पहले से ही घर में राशन-पानी की कमी से जूझ रहे थे। ऐसे समय में साथ रह रहे उनके पिता आमोल राय की 18 मई को अचानक मौत होने से उनके पास उनके क्रिया कर्म के भी पैसे नहीं थे।

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अमरजीत 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "लॉकडाउन की वजह से मेरे पास घर के राशन के लिए पैसे नहीं बचे थे तो पिता जी के क्रिया कर्म के लिए पैसे कहाँ से लाता। जैसे-तैसे मैंने गांव वालों से उधार पैसे मांगे। किसी ने एक हज़ार दिए तो किसी ने 500 रुपए।"

इस बीच अमरजीत ने दिल्ली में कमाने के लिए गए अपने दोनों भाइयों को फ़ोन पर पिताजी के देहांत की खबर दी। ये खबर सुनकर करीब 1300 किलोमीटर दूर बैठे छोटे भाई आदित्य ने मोटरसाइकिल से झारखंड अपने गाँव जाने का फैसला किया। आदित्य दिल्ली में रहकर एक दुकान में मजदूरी करता था।

अमरजीत बताते हैं, "मैंने आदित्य को कई बार मना किया, उसे समझाया कि लॉकडाउन की वजह से गाँव तक आना मुश्किल होगा, मगर पिता जी की मौत से वो इतना दुखी था कि वह मोटरसाइकिल से झारखंड के लिए निकल पड़ा।"

अपने एक और साथी के साथ मोटरसाइकिल से निकले आदित्य आगरा तक पहुँच पाए थे, जहाँ 19 मई की सुबह करीब छह बजे वह गाड़ी से अपना संतुलन खो बैठे और सड़क हादसे का शिकार हुए। इस हादसे में आदित्य की मौके पर ही मौत हो गयी जबकि उसका साथी बुरी तरह घायल हो गया।

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मौके पर पहुंची पुलिस घायल सुरेन्द्र और आदित्य के शव को पोस्टमार्टम के लिए आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज ले गए। जहाँ से पुलिस ने भाइयों को आदित्य की मौत की खबर दी। पिताजी के बाद अचानक आदित्य की मौत की खबर से उनका परिवार पूरी तरह टूट गया।

दिल्ली से निकले आदित्य का आगरा में हुआ एक्सीडेंट, मौके पर ही हुई मौत।

अमरजीत बताते हैं, "आदित्य की मौत की खबर से हम लोगों की हलक से पानी भी नीचे नहीं उतर रहा था। मैंने दिल्ली में अपने बड़े भाई से बात की जहाँ से वो आगरा के लिए निकले। किसी तरह वो भी आगरा पहुंचे, मगर लॉकडाउन की वजह से आदित्य के शव को झारखंड तक लेकर आना उनके लिए मुमकिन नहीं था।"

"पोस्टमार्टम के बाद एक तरफ मेरे बड़े भाई ने आगरा में रहकर आदित्य का अंतिम संस्कार किया, दूसरी ओर गाँव वालों से जो मुझे उधार पैसे मिले थे, उससे मैंने पिताजी का गाँव में ही देह संस्कार किया। मतलब, लॉकडाउन की वजह से हम लोग अंतिम समय में भी एक-दूसरे का चेहरा तक नहीं देख सके," अमरजीत कहते हैं।

गांव में ही तय हो गयी थी आदित्य की शादी

अमरजीत के मुताबिक, पिताजी ने पास के देवरी प्रखंड के ही एक परिवार में आदित्य की शादी तय कर दी थी। मगर लॉकडाउन की वजह से आदित्य की शादी रुक गयी थी।

"कहाँ हम लोग आदित्य की शादी तय होने पर खुश थे, मगर कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से हमारे पूरे परिवार को जैसे ग्रहण लग गया। पिता जी चले गए, छोटा भाई भी चला गया, आगे पता नहीं क्या होगा," अमरजीत कहते हैं।

अमरजीत को अब चिंता है कि लॉकडाउन के समय में पिताजी के देहांत के बाद होने वाले पूजा-पाठ कैसे करेंगे। वह कहते हैं, "लॉकडाउन में किसी तरह सरकार से राशन मिला तो हम लोग वही खाए-पिए, अभी तो घर में सिर्फ चावल और थोड़ा टमाटर-प्याज बचा है। हम कैसे क्या व्यवस्था करेंगे, हमें खुद नहीं पता है।"

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