मंदसौर गोली कांड में पुलिस को क्लीनचिट, 5 किसानों की मौके पर हुई थी मौत, पढ़िए क्या था पूरा मामला

देश के चर्चित मंदसौर गोली कांड में मध्य प्रदेश पुलिस को जांच आयोग ने क्लीन चिट दे दी है। पिछले वर्ष किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर जिले के पिपलियां मंडी में पुलिस की गोली से 5 किसानों की मौत हुई थी। जानिए क्या था पूरा मामला और 6 जून को हुआ क्या था...

Arvind ShuklaArvind Shukla   19 Jun 2018 7:44 AM GMT

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लखनऊ। देश के चर्चित मंदसौर गोली कांड में मध्य प्रदेश पुलिस को जांच आयोग ने क्लीन चिट दे दी है। पिछले वर्ष किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर जिले के पिपलियां मंडी में पुलिस की गोली से 5 किसानों की मौत हुई थी। एक किसान को गोली सीने पर लगी थी।

मंदसौर जिले की पिपलिया मंडी थाना इलाके में आंदोलन हिंसक हो गया था। पुलिस की गोली में 5 किसानों की मौके पर मौत हो गई थी, जबकि एक किसान ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद पूरे देश में किसान संगठनों ने भारी विरोध जताया था। शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में उपवास कर घटना पर दुख जताया था और जांच के लिए जेके जैन आयोग का गठन हुआ था। मृतक किसानों के परिजन पिछले एक वर्ष से लगातार पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांग कर रहे थे। पिछले दिनों जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें पुलिस और जिला प्रशासन को क्लीन चिट दी गई है।

आंदोलन के दौरान घायल रोड सिंह गोली का जख्म दिखाते हुए। फोटो- अभिषेक वर्मा

करीब 9 महीने देरी से आई रिपोर्ट में आयोग ने माना कि भीड़ को काबू करने और आत्मरक्षा के लिए पुलिस-सीआरपीएफ के लिए गोली चलाना आवश्यक और न्यायसंगत था। आयोग के निलंबित चल रहे तत्तकालीन मंदसौर कलेक्टर स्वतंत्र कुमार और पुलिस अधीक्षक ओपी त्रिपाठी को सीधे तौर पर दोषी नहीं माना है। हालांकि आयोग ने ये जरुर कहा कि पुलिस और सूचना तंत्र कमजोर था, उन्हें किसानों की मांगों और समस्याओं की जानकारी नहीं था, न ही उन्हें जानने की कोशिश की गई।

आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले कन्हैया लाल पाटीदार के भाई जगदीश पाटीदार ने भी पिछले दिनों गांव कनेक्शन से कहा था कि किसान 1 जून से लेकर 5 जून तक लगातार ज्ञापन देने के लिए अधिकारियों से मिले थे, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। आयोग ने कहा कि पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया गोली, पहले पैर पर चलानी चाहिए थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 6 जून 2017 को नीमच-महू हाईवे पर पारसनाथ फाटे के पास किसानों ने आंदोलनरत किसानों ने चक्काजाम कर दिया था। किसानों के बीच कुछ असमाजिक तत्व शामिल हुए जिन्होंने तोड़फोड़ की। इसी दौरान तत्कालीन सीएसपी साईं कृष्ण थोटा पुलिस बल के साथ पहुंचे। इसी दौरान सीआरपीएफ के एएसाई समेत 7 जवानों को असमाजिक तत्वों ने घेर लिया। उनके साथ मारपीट की और पेट्रोल बम फेंके। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने गोली लचाने की चेतावनी दी और आरक्षक विजय कुमार ने दो गोलियां चलाईं, जिसमें कन्हैलालाल पाटीदार और पूनमचंद पाटीदार (बबलू पाटीदार) की मौत हुई। एएसाई बीशाजी ने 3 और अरुण कुमार ने दो गोलियां चलाईं, जो तीन प्रदर्शनकारियों को लगीं। वर्ष 2017 में किसान संगठनों ने मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में एक जून से 10 जून तक आंदोलन शुरु किया था। इसी दौरान 6 जून मध्य प्रदेश के

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5 जून को पिपलिया मंडी बाजार इलाके से शुरु हुआ था विवाद

किसान संगठनों ने मृतक किसानों को दिया शहीद का दर्जा, कन्हैया लाल पाटीदार और बबलूू पाटीदार की मूर्तियां लगाईं गई हैं। फोटो साभार

अपनी फसलों के लाभकारी मूल्य को लेकर देश के कई राज्यों की तरफ मंदसौर में किसान आंदोलन में शामिल थे। इस दौरान 5 जून को पिपलिया मंडी के गांधी बाजार इलाके से विवाद शुरु हो गया। न्यायमूर्ति जैन के आयोग ने 11 जून को मुख्य सचिव सौंपी अपनी रिपोर्ट सौंपी। 2 दिन पहले ये रिपोर्ट ग्रह विभाग को कार्रवाई के लिए भेजी गई।

211 गवाहों के बयान के आधार पर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि घटना कहा 5 जून को पिपलियां मंडी में तोड़फोड़ और आगजनी पर पुलिस प्रशासन ने पर्याप्त कार्रवाई नहीं की। आंदोलन के पहले दिन असमाजिक तत्वों को पकड़ने में तत्परता नहीं दिखाई गई। पुलिस और प्रशासन में सामांजस्य नहीं दिखा। 6 जून को इतनी भीड़ और चक्काजाम की सूचना 2 घंटे बाद पिपलिया मंडी से 13 किलोमीटर दूर मंदसौर जिला मुख्यालय तक पहुंची। गोली कांड की दो घटनाएं हुईं एक हाईवे पर पारसनाथ फाटे के पास दूसरी थाने के सामने। आयोग के मुताबिक पहली बार गोली चलने के बाद तत्काल पर्याप्त कार्रवाई होती तो दूसरी बार गोली चलाने की नौबत नहीं आती।

आयोग ने ये भी माना कि मौके पर पहुंचा पुलिस बल पर्याप्त ट्रेंड नहीं था, अनट्रेंड जवानों के आंसू गैस के गोले छुड़वाए गए जो असरदार साबित नहीं हुए। घटना के दौरान असमाजिक तत्वों ने पुलिसकर्मियों के हथियार और कपड़े और दूसरा सामान छीन लिया था तो घटना के करीब दो हफ्ते बाद मिला।

मंदसौर कांड के बाद किसान संगठन एकजुट हुए

मंदसौर कांड के बाद योगेंद्र यादव, वीएम सिंह, डॉ. सुनीलम और सांसद राजू शेट्टी की अगुवाई वाले संगठनों ने मिलकर 'किसान समन्वय संघर्ष समिति' बनाई। जिसमें वर्तमान में 194 किसान संगठन शामिल हैं। इस समिति ने देश के कई राज्यों में किसान मुक्ति यात्रा निकाली कई हजार किलोमीटर का सफर करने के बाद दिल्ली में किसान मुक्ति संसद का आयोजन किया। जिसमें दो बिल पारित किए। इसी वर्ष 6 जून को चिल्लौद पिपलिया मंडी में कन्हैया लाल पाटीदार की मूर्ति स्थापना के मौके पर पहुंचे संघर्ष समिति ने एक दिन का धरना प्रदर्शन किया।


किसानों के परिजनों से राहुल गांधी ने की थी मुलाकात

मंदसौर कांड की बरसी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मंदसौर पहुंचे थे। पिपलिया मंडी में रैली के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष के कन्हैयालाल पाटीदार के भाई जगदीश पाटीदार समेत कई किसानों के परिजनों से मुलाकात की थी। इस दौरान परिजनों ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जल्द केस दर्ज करने की मांग की थी। कन्हैया लाल की बुजुर्ग मां ने गांव कनेक्शन से कहा, पुलिस को गोली मारना ही था तो हाथ पैर पर मार देते, एक हाथ या पैर चला जाता लेकिन कम से कम जान तो बच जाती।" वहीं कन्हैया लाल की पत्नी सुम्रिता ने कहा- शिवराज जी न्याय का वादा किया था लेकिन एक साल बाद भी किसी पुलिसकर्मी पर रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। गोलीकांड के लिए पुलिस-प्रशासन सब दोषी हैं। सजा मिलनी चाहिए।"



आयोग को ये जांचना था..

1.मंदसौर की पिपलिया मंडी में घटना किन परिस्थतियों में घटी ?

2. क्या पुलिस की तरफ से जो बल प्रयोग किया गया वो परिस्थितियों के अनुसान था या नहीं, गड़बड़ी होने की दशा में दोषी कौन ?

3. क्या मंदसौर जिला प्रशासन और पुलिस ने परिस्थतियों को देखते हए पर्याप्त और सामयिक कदम नहीं उठाए ?

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बबलू पाटीदार की प्रतिमा, किसान संगठनों ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया है। फोटो- अभिषेक वर्मा





       

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