स्कूलों में यह क्या हो रहा है…
Kushal Mishra 20 Jan 2018 6:26 PM GMT
घटना: एक
तारीख: 20 जनवरी, 2017
जगह: विवेकानंद स्कूल, यमुनानगर, हरियाणा
क्या हुआ: छात्रों से अक्सर क्लास में झगड़ा किए जाने को लेकर स्कूल से निष्कासित किए गए 12वीं के एक छात्र ने स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग के दौरान प्रिसिंपल ऋतु छाबड़ा पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, प्रिंसिपल की अस्पताल में मौत।
घटना: दो
तारीख: 16 जनवरी, 2017
जगह: ब्राइटलैंड स्कूल, लखनऊ
क्या हुआ: 7वीं की एक छात्रा ने स्कूल में छुट्टी पाने के लिए कक्षा एक में पढ़ने वाले एक छात्र के मुंह में कपड़ा ठूंसकर चाकू से मार डालने की कोशिश की और मरणासन्न अवस्था में छोड़ दिया।
घटना: तीन
तारीख: 8 सितंबर, 2016
जगह: रेयान इंटरनेशनल स्कूल, गुरुग्राम, हरियाणा
क्या हुआ: 11वीं के एक छात्र ने स्कूल में छुट्टी करने के लिए स्कूल के अंदर 7 साल के एक और छात्र प्रद्युम्न की हत्या कर दी।
पांच महीने, तीन घटनाएं, दो की मौत
स्कूल के अंदर बीते पांच महीनों में तीन बड़ी घटनाएं सामने आई हैं, और इन तीनों घटनाओं को अंजाम देने वाले बच्चे हैं। इनमें एक में एक छात्र की मौत हुई, दूसरे में छात्र को लगभग मरणासन्न अवस्था में छोड़ा, और तीसरी घटना में प्रिंसिपल की मौत हुई। गौर करने वाली बात यह भी है कि इनमें स्कूल में छुट्टी करने के लिए दो घटनाओं को अंजाम दिया गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन छात्र-छात्राओं में हिंसक प्रवृत्ति कैसे बढ़ रही है।
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आखिरकार दोषी किसे ठहराया जा सकता है?
स्कूलों में पढ़ाई कर रहे बच्चों की ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद सवाल यह भी है कि बच्चों में बढ़ रही हिंसात्मक प्रवृत्ति का आखिरकार दोषी किसे ठहराया जा सकता है, इस बारे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की मनोवैज्ञानिक डॉ. नेहा आनंद बताती हैं, “आज के समय में बच्चों और माता-पिता के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। अक्सर देखने में आता है कि माता-पिता दोनों नौकरी कर रहे होते हैं, और वह अपने बच्चे पर इतना ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में बच्चे हर काम अपनी मनमर्जी से करते हैं।“ आगे कहा, “बच्चे टीवी देखते हैं, गेम खेलते हैं, क्योंकि उन पर कोई रोकटोक नहीं होती। मिलने पर माता-पिता और बच्चों की बातचीत भी कम होती है और कम ध्यान दिया जाता है, ऐसे में बच्चे माता-पिता के स्नेह-प्यार से दूर रहते हैं।“
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क्या पढ़ाई का बोझ हावी हो रहा है?
डॉ. नेहा आनंद आगे बताती हैं, “बच्चों पर पढ़ाई का बोझ भी हावी हो रहा है, माता-पिता शिक्षा के लिए अच्छी सुविधाएं देते हैं और यह आशा करते हैं कि उनके बच्चे के नंबर अच्छे आएं। सफल न होने पर बच्चों से गुस्सा जाहिर करते हैं, मारते-पीटते हैं, मगर माता-पिता यह समझने की कोशिश नहीं करते कि आखिर बच्चे के साथ दिक्कत कहां आ रही है।“
अवसाद के लक्षणों को पहचानें अभिभावक
इस बारे में डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. देवाशीष बताते हैं, “आजकल बच्चों में अवसाद बढ़ रहा है, ऐसे में बच्चों के मन की बात पूरी न होने पर भी अवसाद ग्रसित हो जाते हैं। इसलिए जरूरी यह है कि माता-पिता बच्चों में अवसाद के लक्षणों को पहचानें क्योंकि अवसाद ही अपराधों को बढ़ावा देता है, बच्चों की मन की बात को समझें और बच्चों का ध्यान रखें।“
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