जहरीला दूध : कपड़े धोने वाले ईजी और रिफाइंड में यूरिया डालकर बनता है सिंथेटिक दूध

Mo. AmilMo. Amil   11 Sep 2018 11:12 AM GMT

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जहरीला दूध : कपड़े धोने वाले ईजी और रिफाइंड में यूरिया डालकर बनता है सिंथेटिक दूधगांव कनेक्शन के कैमरे में कैद हुआ सिंथेटिक दूध बनाने वाला एक आरोपी। फोटो- गांव कनेक्शन

एटा (उत्तर प्रदेश)। सेहत बनाने के लिए एक गिलास दूध के साथ सुबह की शुरुआत करने वालों को नहीं पता कि वह दूध नहीं बल्कि जहर पी रहे हैं। गाँव कनेक्शन की पड़ताल में जो हकीकत सामने आई है उसे पढ़कर आपके होश उड़ जाएंगे। आपके हाथ में जो दूध से भरा गिलास होता है उसमें दूध नहीं बल्कि एक धीमा जहर होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सिंथेटिक दूध की। सिंथेटिक दूध का काला कारोबार जिले के गाँवों में धड़ल्ले से चल रहा है।

सिंथेटिक दूध बनाने वाले माफिया आपकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह ऐसे पदार्थ से दूध तैयार कर रहे हैं जो सेहत के लिए खतरनाक है। इस जहरीले दूध का कारोबार खाद्य विभाग की नजरों में रहता है, लेकिन माफियाओं की साठगांठ से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। सिंथेटिक दूध का काला कारोबार की पकड़ शीतलपुर, मारहरा, निधौलीकलां, जलेसर, अलीगंज, सकीट, जैथरा व अवागढ़ के सैकड़ों गाँवों में बनी हुई है।

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पहचान छुपाने की शर्त पर एक माफिया ने बताया, "मैं एक लीटर दूध में अन्य पदार्थ मिलाकर 20 लीटर दूध तैयार कर लेता हूं। यह दूध डेयरी पर जाकर बिक जाता है, इस कारोबार की पकड़ गाँव-गाँव में बनी हुई है।"

300 रुपए की लागत में तैयार हो जाता है 800 रुपए का दूध

सिंथेटिक दूध के कारोबार में दो गुने से अधिक मुनाफ़ा है। पहचान छिपाने की शर्त पर एक सिंथेटिक दूध का कारोबार करने वाले ने बताया, "मात्र 300 रुपए की लागत से मैं 800 रुपए का सिंथेटिक दूध बना देता हूं। मैं कपड़े धोने के इस्तेमाल में आने वाली ईजी, रिफाइंड, यूरिया जैसी चीजों के मिश्रण से दूध तैयार कर देते हूं।"

इस तरह तैयार कर देते हैं जहरीला दूध

सिंथेटिक दूध बनाने वाले ने बताया, "बड़े बर्तन में एक लीटर दूध डालकर तकरीबन 200 से 300 ग्राम ईजी डाल दिया जाता है। फिर इन दोनों को अच्छे से मिला दिया जाता है। जब इसमें झाग बनना शुरू होता है तो पांच लीटर पानी डाला जाता है। इसके बाद उसमें एक लीटर रिफाइंड डाला जाता है, जिससे दूध जैसी चिकनाहट लाई जाए। फिर इसमें 15 लीटर पानी और डाला जाता है। जरूरत पड़ने पर इसमें यूरिया भी डाली जाती है। वहीं हल्की दूध जैसी मिठास लाने के लिए चीनी का प्रयोग कर 20 लीटर सिंथेटिक दूध तैयार कर दिया जाता है।"

सिंथेटिक दूध की पहचान ऐसे करें

गाँव कनेक्शन की पड़ताल के दौरान सिंथेटिक दूध बनाने वाले माफिया ने इसकी पहचान करने के बारे में भी बताया। पहचान करने के लिए माफिया ने बताया, "दूध की कुछ बूंदे चिकने स्थान पर डाल दो, दूध अगर सिंथेटिक होगा तो वह उस स्थान पर निशान नहीं छोड़ेगा, वहीं दूध सही होगा तो वहा निशान छोड़ जाएगा। वहीं हाथों पर रगड़ने पर सिंथेटिक दूध चिपचिपा लगेगा।"

फाइल फोटो।

यह दूध बनाता है पेट में गम्भीर बीमारी

डॉ. अनुपम सक्सेना ने बताया, "लगातार सिंथेटिक दूध पीने से पेट से सम्बंधित घातक बीमारियां हो जाएंगी। डायरिया, कब्ज व लूज मोशन की शिकायतों के अलावा आंतों में भी खराबी आ सकती है तो वही लीवर पर भी इसका असर पड़ सकता है।"

कई गाँवों में घर-घर बनता है सिंथेटिक दूध

गाँव कनेक्शन ने जब सिंथेटिक दूध के काले कारोबार पर पड़ताल की तो सच्चाई सामने आने से हैरानी हुई, जिले के कई गाँव ऐसे भी हैं जहां घर-घर में सिंथेटिक दूध बनाने का काला कारोबार होता है। यह गाँव सहसपुर बरौली, खड़ऊआ, कन्सूरी, हरनावली, रामपुर, घनश्यामपुर, भानपुर, कुरला, रामनगर, नसैरा, पमास, अचलपुर, नगला तुलसी, खेतीपुरा, टिकादर, कसैला, अंगड़इया, खरसैला, फरीदपुर आदि हैं।

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खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित अधिकारी अपूर्व श्रीवास्तव ने बताया इस वक्त विभाग की ओर से छापामार कार्रवाई चल रही है। हमने पिछले दिनों अनिक फैक्ट्री पर छापा मारकर नमूने लिए हैं। गोपालपुर के डेयरी से भी सैम्पल लिए हैं। अलीगंज क्षेत्र में भी कार्रवाई की है। ओरनी गाँव में भी टीम गई थी, जो नमूने लेते हैं उनमें कई पास होते हैं तो कई फेल हो जाते हैं। सारा काम रुटीन से होता है।

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सहयोग- विपिन यादव, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

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