एलोवेरा की खेती ने किया कमाल, तीन दोस्त हर साल कमा रहे 48 लाख 

Kushal MishraKushal Mishra   5 July 2018 4:16 AM GMT

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एलोवेरा की खेती ने किया कमाल, तीन दोस्त हर साल कमा रहे 48 लाख हिसार में एलोवेरा की खेती करने वाले किसान राजा सोनी, मुकेश सोनी और संतलाल चित्रा।

'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो…' दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है हरियाणा के तीन दोस्तों ने, जो आज एलोवेरा की खेती से हर साल 48 लाख रुपए कमा रहे हैं। उनकी मेहनत का नतीजा यह रहा कि सरकार ने उन्हें हाल में सम्मानित भी किया।

ये तीनों दोस्त हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले हैं। इनमें मुकेश सोनी और राजा सोनी हिसार ऑटो बाजार में नये-पुराने टायरों को बेचने का काम करते थे, जबकि एक और मित्र संतलाल चित्रा मोटर मैकेनिक थे। तीनों किसी तरह अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे।

पांच साल पहले 2013 में राजस्थान के चुरू के रहने वाले आबिद हसन अपनी गाड़ी बनवाने के लिए मैकेनिक संतलाल चित्रा के पास पहुंचे। आबिद हसन राजस्थान में ही न सिर्फ 200 एकड़ जमीन पर एलोवेरा की खेती करते हैं, बल्कि प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए पतंजलि को बड़ी मात्रा में उत्पाद बेचते भी थे। बातों-बातों में आबिद ने संतलाल चित्रा को एलोवेरा की खेती करने की सलाह दी।

संतलाल ने एलोवेरा की खेती के बारे में अपने मित्र मुकेश सोनी और राजा सोनी से चर्चा की और तीनों ने एक साथ मिलकर एलोवेरा की खेती करने की ठानी। मगर तीनों के पास ही गांव में कोई पुश्तैनी जमीन नहीं थी, जहां वह खेती कर सकें।

हिसार से किसान मुकेश सोनी 'गाँव कनेक्शन' से फोन पर बातचीत में बताते हैं, "हम तीनों के पास खेती शुरू करने के लिए सिर्फ 15 लाख रुपए की पूंजी थी और उससे हमने एलोवेरा की खेती करने का मन बनाया। सबसे पहले हम हिसार के बगला गांव में गए, जहां हमको बड़ी मुश्किल से लीज पर 11 एकड़ जमीन 10 साल के लिए मिल सकी। वह जमीन बिल्कुल बंजर थी और सिंचाई के लिए पानी का कोई श्रोत भी नहीं था।"

एलोवेरा की खेती करने से पहले ये ख़बर पढ़ लीजिए

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मुकेश आगे बताते हैं, "मगर हमें बहुत मुश्किल से जमीन मिली थी, इसलिए हमने खेती करने का मन बनाया। हमने शुरू में खेती करनी शुरू तो की, मगर बिजली और पानी की व्यवस्था करने के लिए हमें बहुत ज्यादा रुपया खर्च करना पड़ता था। अंत में दो साल की मेहनत के बावजूद हमें कोई लाभ नहीं मिला और आखिरकार हम तीनों ने ही खेती छोड़ दी।"

खेती छोड़ देने की सूचना आबिद हसन को मिलने पर आबिद ने उन्हें फोन कर राजस्थान बुलाया और उन्हें एलोवेरा की खेती के तरीके सिखाएं। इसके बाद तीनों मित्र वापस आए और फिर 5 लाख रुपए कर्ज लेकर खेती करनी शुरू की।

मुकेश बताते हैं, "हमने 5 लाख रुपए कर्ज लेकर फिर से खेती करना शुरू किया, मगर इस बार पूरी तैयारी के साथ, हमारी मेहनत रंग लाई और पहले ही साल 1 लाख रुपए का मुनाफा मिला।" आगे बताया, "इसके बाद धीरे-धीरे पैसा जोड़ते हुए हमने हिसार के एक और गांव चौधरीवास गांव में हमने 40 एकड़ जमीन फिर लीज पर ली और तब हमारे तीनों मित्रों की लगन को देखते हुए हमें उद्यान विभाग से भी काफी मदद मिली।"

मुकेश बताते हैं, "उसके बाद जिला उद्यान अधिकारी भूपेंद्र सिंह भुवन की मदद से हमने अपने खेतों में सोलर ऊर्जा प्लांट लगाया, ट्यूबवेल बनवाया, इतना ही नहीं, हमें मोर क्रॉप पर ड्रोप यानि सूक्ष्म सिंचाई तकनीक का उपयोग करना भी शुरू किया। सोलर लगने से हमारी बिजली की समस्या दूर हो गई और सिंचाई तकनीक से हमें कम पानी में ही अच्छी फसल मिलने लगी।"

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गांव में लगाया गया सोलर प्लांट।

पांच साल बाद आज मुकेश, राजा सोनी और संतलाल चित्रा हिसार के दो गांवों में 60 एकड़ जमीन पर एलोवेरा की खेती कर रहे हैं। आबिद हसन ने तीनों को बाजार भी उपलब्ध कराया। आबिद तीनों से उनके उत्पादन का ज्यादातर हिस्सा खरीद लेते हैं और प्रोसेसिंग यूनिट में काम कर एलोवेरा जूस, साबुन आदि उत्पाद पतंजलि को बेचते हैं।

मुकेश आगे बताते हैं, "आबिद ने हमें एलोवेरा का बाजार भी उपलब्ध कराया, यही वजह है कि आज हम प्रति एकड़ 80 से 90 हजार कमा रहे हैं, यानि कम से कम 48 लाख रुपए सलाना।" आगे बताते हैं, "इसके अलावा हम एग्जॉम कंपनी, कोनार्क हब और हिमालय कंपनी को भी अपनी फसल का हिस्सा बेच रहे हैं। आज एलोवेरा की खेती से हम तीनों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है।"

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गांव में इस तरह कर रहे हैं एलोवेरा की खेती।

पिछले दिनों तीनों किसानों की मेहनत को देखते हुए हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रोहतक में आयोजित थर्ड फार्मर लीडरशिप समिट-2018 में 'औषधीय फसल रत्न' से सम्मानित किया।

दूसरी ओर किसान राजा सोनी बताते हैं, "अब हम युवाओं को एलोवेरा की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि खेती से मुंह मोड़ रहे युवा गांव वापस आएं और खेती करें।" वहीं, मुकेश बताते हैं, "इस सम्मान से हमें हौसला मिला है, जल्द ही हम अपना प्रोसेसिंग प्लांट भी लगवाएंगे और खुद एलोवेरा के उत्पाद बनाकर बेचेंगे।"

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तस्वीरों में देखें एलोवेरा की खेती और प्रोसेसिंग

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