धान की जरई डालने का यही है सही समय, कृषि विशेषज्ञों ने बताई ये विधि
Ashwani Nigam 28 May 2017 6:22 PM GMT
लखनऊ। खरीफ की मुख्य फसल धान की खेती उत्तर प्रदेश में बड़ी मात्रा में की जाती है। मानसून आने के साथ ही धान की बुवाई खासकर रोपनी विधि से बुवाई शुरू हो जाती है। ऐसे में इस बार किसान तय समय पर रोपनी कर सकें इसके लिए उनको अभी से जरई डालने यानी नर्सरी की तैयारी करनी शुरू कर देनी चाहिए। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान और मानसून को देखते हुए प्रदेश के धान उत्पादक किसानों जरई डालने के लिए सलाह जारी की है। परिषद ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 28 मई से लेकर 30 मई तक प्रदेश सभी क्षेत्रों में आंशिक बादल छाए रहेंगे और बरसात भी होगी। ऐसे में किसानों के लिए जरई डालने का यही सही समय है।
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. राजेन्द्र कुमार ने बताया कि किसान अभी नर्सरी डालेंगे तो 20 से लेकर 22 दिनों में यह नर्सरी रोपाई के लिए तैयार हो जाएगी। इस बार मानसून 7 से लेकर 15 जून के बीच कभी भी आ सकता है। ऐसे में किसानों को धान की बुवाई के लिए जरई डालने की तैयारी कर देनी चाहिए।
धान की जरई और बुवाई के लिए तैयार खेत में उर्वरकों प्रयोग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। किसानों को उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए।डॉ. डीएन सिंह, वैज्ञानिक, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची
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वहीं धान की फसल के विशेषज्ञ और बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची के कृषि वैज्ञानिक डॉ. डीएन सिंह ने बताया '' धान की नर्सरी डालने से पहले किसानों को बीज शोधन जरूर करना चाहिए। '' उन्होंने बताया कि जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणु धारी रोग की समस्या हो वहां पर 25 किलो बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फेट या 40 ग्राम प्लांटोमाइसीन धान के बीज के साथ पानी में भिगोकर रातभर भिगो देना चाहिए। दूसरे दिन इसको छाया में सुखाकर नर्सरी में डालें।
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धान की नर्सरी के लिए एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई के लिए 800 से लेकर 1000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में महीन धान का 30 किलो, मध्यम धान का 35 किलो और मोटे धान के लिए 40 किलो धान बीज पौधा तैयार करने के लिए नर्सरी में डालते हैं। ऊसर भूमि में यह मात्रा सवा गुनी कर दी जाती है। एक हेक्टेयर नर्सरी में लगभग 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई की जाती है।
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नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्विवद्यालय के प्रोफेसर डॉ. एन. सिंह ने बताते हैं कि '' जरई डालने से पहले खेत की 2-3 जुताई करके मजबूत मेड़बंदी कर देनी चाहिए। इससे खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी रुक जाता है। '' उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में सिंचाई क्षमता के उपलब्ध होते हुए भी धान का लगभग 60-62 प्रतिशत क्षेत्र ही सिंचित है। जबकि धान की फसल को सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में किसान धान की नर्सरी से लेकर बुवाई तक जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें।
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