एक भैंस से शुरू किया था व्यवसाय, आज यूपी के दूध उत्पादकों में सबसे आगे ये महिला किसान

Diti BajpaiDiti Bajpai   13 Oct 2017 11:07 AM GMT

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एक भैंस से शुरू किया था व्यवसाय, आज यूपी के दूध उत्पादकों में सबसे आगे ये महिला किसानराजपति को सम्मानित करते दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ।

लखनऊ। जब राजपति यादव(47 वर्ष) ने एक भैंस से दूध उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया था,तो उनको यह नहीं पता था कि एक दिन वो प्रदेश की सम्मानित दूध उत्पादकों में से एक होंगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजपति वर्ष 2015-16 में प्रदेश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन के लिए प्रथम गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया है।

वर्ष 2005 में फैजाबाद जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर मिल्कीपुर ब्लॉक के धमधुआ गाँव में राजपति ने डेयरी की शुरुआत की थी। राजपति बताती हैं, “ इस बार मुझे आठवां पुरस्कार मिला है। जो पुरस्कार राशि मिलती है उसे डेयरी के कामों में लगा देते हैं ताकि हर बार प्रदेश में आगे रहे। इस बार एक लाख रुपए मिले हैं,इससे मिल्किंग मशीन खरीदेंगे।” राजपति पढ़ी-लिखी नहीं है फिर अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने यह मुकाम हांसिल किया है।

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प्रदेश में दुग्ध विकास विभाग की ओर से प्रदेश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले दूध उत्पादकों को प्रोत्साहन देने के लिए हर वर्ष गोकुल पुरस्कार दिया जाता है। करीब एक एकड़ में बनी राजपति की डेयरी में 70 से भी ज्यादा पशु है, जिनमें प्रतिदिन 300 लीटर दूध उत्पादन हो रहा है। राजपति यादव ने दुग्ध उत्पादन व्यवसाय के सहारे न सिर्फ अपनी जि़न्दगी बेहतर बनाई बल्कि दुग्ध ज्ञान केन्द्र खोलकर पूरे गाँव को दुग्ध उत्पादन से कमाई करने का गुर भी सिखा रही हैं।

केंद्र के बारे में राजपति बताती हैं, “ गाँव की कई महिलाएं हमसे जुड़ी हैं। इस केंद्र में कैसे दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जाए पशुओं की देखभाल, टीकाकरण, आहार, दूध की स्वच्छता और वसा की गुणवत्ता को बनाए रखे इस बारे में जागरूक करते हैं। हमको देखकर गाँव की कई महिलाओं ने डेयरी करोबार शुरु किया है और हमारे सेंटर पर दूध बेचने आ रही हैं।” धमधुआ गाँव में 50 से भी ज्यादा घरों में डेयरी का काम किया जा रहा है।

अपनी डेयरी में राजपति यादव, उनकी डेयरी में 70 से भी ज्यादा गाय-भैंस हैं।

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डेयरी और दुग्ध ज्ञान केंद्र चलाने में नरेंद्र बहादुर यादव (राजपति के पति) अपनी पत्नी की काफी मदद करते हैं। नरेंद्र बहादुर यादव बताते हैं, '' दूध को केंद्र तक ले जाना उनका हिसाब, यह सब काम मैं देखता हूं और बाहर से पशुओं का चारा लाना, पशु को खरीदना जैसे काम भी करता हूं।'' वो आगे बताते हैं कि मेरी पत्नी को आठ बार सम्मान मिल चुका है एक बार मुख्यमंत्री ने भी पुरस्कार दिया है।

''पहले गाँव के कुछ ही घरों में एक या दो पशु होते थे पर आज लगभग हर घर में पांच-छह पशु हैं,जिससे लोगों को घर चलाने के साथ ही अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में आसानी हो रही है।” राजपति ने बताया।

डेयरी में सबसे ज्यादा गाय

राजपति की डेयरी में 36 गाय हैं। राजपति बताती हैं, “ गाय के दूध की कीमत ज्यादा मिलती है और उनका रखरखाव भी काफी आसान है। मेरे केंद्र मे जो किसान आते हैं,उनको गाय पालन की पूरी सलाह देते हैं। शहरों में गाय का दूध के लिए लोग ज़्यादा दाम देते हैं।”

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पूरे गाँव में फैला है दूध का कारोबार

राजपति के गाँव में करीब 50 घर हैं। इनमें करीब 40 घरों में डेयरी का काम होता है। महिलाएं पशुओं की देखभाल करती हैं तो पुरुष दूध को शहर में बेचकर पैसे लाते हैं। इन सभी लोगों ने राजपति की तरक्की को देखकर दूध कारोबार शुरू किया है,जिससे गाँव में रहने वाले पशुपालकों की तरक्की हो रही है।

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