अपनी इस बीमारी के बारे में महिलाएं भी बहुत कम जानती हैं, जानिए क्या है ये

Shrinkhala PandeyShrinkhala Pandey   3 Feb 2018 6:17 PM GMT

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अपनी इस बीमारी के बारे में महिलाएं भी बहुत कम जानती हैं, जानिए क्या है येजानिए क्या है ये बीमारी।

दिल्ली की रहने वाली सरिता सिंह (30 वर्ष) एक कामकाजी महिला हैं और कभी कभार अचानक उनके पेट के निचले भाग में तेज दर्द शुरु हो जाता था। ये दर्द असहनीय हो जाता था और वो बिल्कुल बेहोशी की कगार पर पहुंच जाती थीं।

वो बताती हैं, “जब बहुत ज्यादा परेशानी बढ़ी तो मैंने डाक्टर को बताया उन्होंने ने कहा मुझे एंडोमीट्रियोसिस बीमारी है। मैंने कभी इसका नाम ही नहीं सुना था। लेकिन मेरे यूूट्रस में गाँठ बन गई जिसका आॅपरेशन ही इलाज बचा था।“

सरिता 'की इस बीमारी के बारे में शायद आपने भी इस बीमारी का नाम न सुना हो। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में ज्यादातर महिलाओं को भी बहुत कम जानकारी है। 'एंडोमीट्रियोसिस सोसायटी ऑफ़ इंडिया' के मुताबिक़ भारत में करीब ढाई करोड़ महिलाएं इससे पीड़ित हैं।

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इस बीमारी में गर्भाशय के आस-पास की कोशिकाएं और ऊतक (टिशू) शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाती हैं जो सामान्य नहीं हैं। ये अंडाशय, फ़ैलोपियन ट्यूब, यूरीनरी ब्लैडर में या पेट के अंदर किसी भी जगह पर फैल सकते हैं, यह बीमारी आमतौर पर किशोरियों को ज्यादा होती है। बीमारी के बारे में लखनऊ की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा जायसवाल बताती हैं, “जिन महिलाओं की माहवारी बंद हो चुकी हो उनमें ये बीमारी होने की संभावना कम होती है। इस बीमारी के बाद मां बनने की संभावना भी काफ़ी कम हो जाती है।”

लक्षण

  • अनियमित माहवारी
  • मासिक धर्म के दौरान असामान्य रूप से ज़्यादा ब्लीडिंग और दर्द का होना
  • यूरिन इंफेक्शन
  • पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द
  • थकान, चिड़चिड़ापन और कमज़ोरी
  • माहवारी शुरू होने से कुछ दिनों पहले स्तनों में सूजन और दर्द

एंडोमीट्रियोसिस के मरीज़ को जब पीरियड्स होते हैं तो खून गर्भाशय के बाहर गिरकर इकट्ठा होने लगता है। इस खून की वजह से सिस्ट या गांठें बढ़ने लगती हैं और साथ में दर्द भी। गर्भावस्था के दौरान नौ महीने तक महिला को मासिक धर्म नहीं होता इसलिए खून न मिलने की वजह से गांठें बढ़नी बंद हो जाती हैं। ऐसे समय में ऑपरेशन करके इन गांठों को निकाला जा सकता है।

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महिला रोग विशेषज्ञ डॉ सुमिता अरोड़ा बताती हैं, "एंडोमीट्रियोसिस की कोई ख़ास वजह नहीं होती, कई बार ये आनुवांशिक वजहों से भी होता है, मरीज़ पर इलाज के असर का ठीक अनुमान लगा पाना भी मुश्किल है। कुछ महिलाओं में ये सर्जरी के बाद ये सही हो जाता है लेकिन कुछ में ये परेशानी लंबे समय तक बनी रहती है।”

वो आगे कहती हैं कि अक्सर हमारे यहां लड़कियों को माहवारी के दर्द को बर्दाश्त करने की सलाह दी जाती है लेकिन यही सबसे बड़ा कारण है इस बीमारी के फैलने का। अगर किशोरियां शुरुआती समय में ही डॉक्टर से सलाह ले लें तो आपरेशन की नौबत न आए।

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