युवा अध्यापकों के आने से प्राथमिक विद्यालयों पर बढ़ रहा है लोगों का विश्वास

युवा टीचर अपने स्कूल और बच्चों को शत प्रतिशत देने में लगे हैं। वो समय से आते हैं और हर बच्चे पर पूरा ध्यान देते हैं। इस वजह से भी लोगों का विश्वास प्राथमिक विद्यालयों पर बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि हर साल बच्चों की संख्या बढ़ रही है।

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   1 Oct 2018 7:00 AM GMT

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युवा अध्यापकों के आने से प्राथमिक विद्यालयों पर बढ़ रहा है लोगों का विश्वास

गोंडा। उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समिति लंबे अरसे से काम कर रही है। ऐसे में समिति की मदद से कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में आए बदलाव की जानकारी के लिए गोंडा के बेसिक शिक्षा अधिकारी मनिराम सिंह से गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने खास बातचीत की...

मनिराम सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी, गोंडा

प्रश्न: क्या एसएमसी सदस्यों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास है?

जवाब: जी बिल्कुल, हमारे जिले में ज्यादातर एसएमसी सदस्य बहुत ही सक्रिय हैं। जब एसएमसी का गठन किया गया था तब वे उतने सक्रिय नहीं थे। अब सदस्य यह जान गए हैं कि उन्हें किस लिए चुना गया है। वे अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। कई जगह के एसएमसी सदस्य अपने स्कूल की तस्वीर बदलने का काम कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनका स्कूल पूरे जिले में नंबर वन बने। इसके लिए वे अपने स्कूल में निर्माण करवा रहे हैं। टाइल्स लगवा रहे हैं, चाहरदीवारी को ऊंचा कर करवा रहे हैं। बेहतरीन संसाधनों से स्कूल को समृद्ध कर रहे हैं। एमडीएम में भी काफी रुचि लेते हैं। एसएमसी सदस्य विभागीय मदद के अलावा अपने स्तर से भी बच्चों को टाई और बेल्ट देने का काम खुद कर रहे हैं।

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प्रश्न: क्या एसएमसी सदस्यों की संख्या 11 की जगह और ज्यादा होनी चाहिए?

जवाब: जी नहीं, संख्या बढ़ाने से कुछ नहीं होने वाला है। एसएमसी में सक्रिय लोगों की जरूरत है। मेरा मानना है अगर ज्यादा लोग रहेंगे तो काम सही नहीं हो पाएगा। मामला उलझ जाएगा। हर सदस्य तो सक्रिय नहीं हो सकता लेकिन अगर आधे सदस्य भी सक्रिय हैं तो विद्यालय के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।

प्रश्न: प्राथमिक विद्यालय की छवि सुधारने के लिए क्या कर रहे हैं?

उत्तर: हम लोग प्राथमिक विद्यालयों की दशा और दिशा सुधारने में लगे हैं। इसके लिए शानदार भवन, स्वच्छ शौचालय, साफ-सुथरा वातावरण बनाने में लगे हैं। स्कूलों का स्वरूप बदलने का फायदा यह हो रहा है कि लोग अपने बच्चों का नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवाकर हमारे प्राथमिक विद्यालयों में करा रहे हैं। शिक्षक भी मन से पढ़ाने लगे हैं। शिक्षकों की नई फौज काफी मेहनती और सक्रिय है। युवा टीचर अपने स्कूल और बच्चों को शत प्रतिशत देने में लगे हैं। वो समय से आते हैं और हर बच्चे पर पूरा ध्यान देते हैं। इस वजह से भी लोगों का विश्वास प्राथमिक विद्यालयों पर बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि हर साल बच्चों की संख्या बढ़ रही है।

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प्रश्न: नई एसएमसी के गठन में किन-किन बातों का ध्यान रखेंगे?

जवाब: नई एसएमसी का गठन होना है। हम चाहते हैं कि सक्रिय लोगों को ही समिति में रखा जाए। इसके लिए हमारी कोशिश रहेगी कि युवा लोगों को चुना जाए, क्योंकि युवाओं के अंदर जोश होता है। वे पढ़े-लिखे होते हैं, उन्हें शिक्षा का महत्व पता होता है। उनकी सोच भी नई होती है।

प्रश्न: प्रधानाध्यापक और एसएमसी सदस्यों के बीच कैसे तालमेल बैठाते हैं?

जवाब: कई जगहों पर इस तरह की शिकायतें मिलती रहती हैं कि प्रधानाध्यापक और एसएमसी सदस्यों के बीच मनमुटाव हो गया है। इसका असर विद्यालय और बच्चों पर पड़ता है। जहां इस तरह की शिकायत मिलती है हम दोनों पक्षों को बुलाकर उनकी बात सुनते हैं। इसके बाद दोनों को समझा बुझाकर मामले का निवारण किया जाता है।

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