साइंस के मास्टरजी ने बदली स्कूल की तस्वीर, आठ से 133 हो गए बच्चे

गोंडा के वजीरगंज के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में स्कूल प्रबन्ध समिति और बेहतर पढ़ाई से बढ़ी छात्रों की संख्या, आठ बच्चे पंजीकृत थे 2013 में स्कूल में, 133 हो गई है अब विद्यार्थियों की संख्या

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   24 Sep 2018 10:03 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

गोंडा। विकास खंड वजीरगंज के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की स्थिति कुछ वर्ष पहले तक बहुत बदहाल थी। जर्जर इमारत और खराब शिक्षा के कारण लोग अपने बच्चों का दाखिला इस विद्यालय में नहीं कराते थे लेकिन आज स्कूल का कायाकल्प हो चुका है। इस बदलाव के पीछे सहायक अध्यापक सुनील आनंद का पढ़ाने का तरीका और प्रबन्ध समिति के सदस्यों की सक्रियता है। स्कूल में आज छात्रों की संख्या 133 हो गयी है, जिसमें 84 छात्राएं और 59 छात्र हैं।

पूर्व माध्यमिक विद्यालय बाबा मढिया में तैनात सहायक अध्यापक सुनील आनंद ने बताया, '2013 में जब मेरी इस स्कूल में तैनाती हुई थी तब यहां सिर्फ आठ बच्चे पंजीकृत थे। विद्यालय प्रबन्ध समिति और अध्यापकों की मेहनत से आज छात्रों की संख्या 133 पहुंच गई है।'

उत्तर प्रदेश का पहला डिजिटल स्कूल, इस स्कूल में 'पढ़ने' आते हैं विदेशी


उन्होंने बताया, 'छात्रों की संख्या बढ़ाना मेरे लिए चुनौती थी। सबसे पहले विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्यों के साथ बैठकें कीं। उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों से उन्हें अवगत कराया। इसके बाद हम लोग घर-घर जाकर बच्चों को विद्यालय में एडिमिशन कराने की बात समझाते। हमने लोगों को आश्वासन दिया कि उनके बच्चों को हम बेहतर शिक्षा देंगे। इस तरह से बच्चों की संख्या बढ़ने लगी।'

अपने वेतन से पैसे जोड़ संवारा स्कूल

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कुसमावती देवी ने बताया, 'विद्यालय की इमारत बहुत जर्जर हो गयी थी। स्कूल के चारों तरफ झाड़ियां उग आई थीं। इस वजह से भी ग्रामीण अपने बच्चों को यहां पढ़ने नहीं भेजते थे। सबसे पहले सभी अध्यापकों ने मिलकर अपने वेतन से कुछ पैसे जोड़े और प्रधान की मदद से इस विद्यालय को सही कराया। सहायक अध्यापक सुनील आनंद ने खुद सुंदर और ज्ञान देने वाली पेंटिंग्स बनाईं। हर पेंटिंग एक संदेश देती है। इससे बच्चे बहुत कुछ सीखते भी हैं।'

इस स्कूल में पड़ोस के गांव से भी पढ़ने आते हैं बच्चे


विज्ञान पर रहता है विशेष जोर

इस विद्यालय की विज्ञान प्रयोगशाला काफी समृद्ध है। स्कूल के अध्यापकों का विज्ञान पर काफी जोर रहता है। इसी का परिणाम है कि इस विद्यालय के बच्चे जनपद और प्रदेश स्तर पर आयोजित विभिन्न विज्ञान प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और विजेता भी रहे हैं। विज्ञान के अध्यापक सुनील आनंद ने बताया, 'विद्यालय के बच्चे वैसे हर विषय को मन लगाकर पढ़ते हैं, लेकिन विज्ञान में उनकी खास रुचि रहती है। मैं भी उन्हें खूब प्रैक्टिकल कराता हूं, जिससे उनकी रुचि और बढ़ती रहे।'

खुद की पढ़ाई के साथ ही अपने घर वालों को भी पढ़ाते हैं ये 'नन्हे शिक्षक'

'कलामजी जैसा वैज्ञानिक बनना चाहता हू'

विद्यालय की विज्ञान प्रयोगशाला में प्रैक्टिकल कराया जाता है, जिससे बच्चों का मन विज्ञान में लगा रहता है। आठवीं के छात्र अनिरुद्ध ने बताया, 'मुझे विज्ञान और प्रयोग करना बहुत अच्छा लगता है। हमारे विज्ञान के मास्टर सुनील सर हमसे हर रोज नए-नए प्रयोग कराते हैं। मैं बड़ा होकर कलाम जी जैसा महान वैज्ञानिक बनना चाहता हूं।'

वहीं छात्र अजय का कहना है, 'हमारे स्कूल में पढ़ाई बहुत अच्छी होती है खासकर विज्ञान की। हम लोग कुछ ऐसे भी प्रैक्टिकल करते हैं जिसे लोग जादू समझते हैं।'


प्रबन्ध समिति के सदस्य रहते हैं सक्रिय

स्कूल की तस्वीर बदलने में विद्यालय प्रबन्ध समिति के सभी सदस्यों की अहम भूमिका रही है। प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष राम अचल यादव ने बताया, 'गाँव के लोग पढ़ाई को ज्यादा महत्व नहीं देते थे। वे लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने की जगह उनसे खेत में काम करवाते थे। हम लोगों ने ग्रामीणों को काफी समझाया। हमारे लंबे प्रयास के बाद धीरे-धीरे तस्वीर बदलने लगी।'

प्रबंध समिति की सदस्य विकटन ने बताया,'जब हम लोग अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाने लगे तो यह देखकर गांव के कई लोग प्रभावित हुए। बाद में वे लोग भी अपने बच्चों को यहां पढ़ाने लगे।'

बदायूं जिले के इस स्कूल में खूबसूरत पेंटिंग हरे भरे पौधे करते हैं स्वागत

अच्छी पढ़ाई से बढ़ा अभिभावकों का विश्वास

जिस स्कूल से ग्रामीणों ने दूरी बना ली थी उसी विद्यालय में आज अपने बच्चों के प्रवेश के लिए लोग उत्साहित नजर आते हैं। यह सब विद्यालय में होने वाली अच्छी पढ़ाई का ही परिणाम है।

अभिभावक आशा देवी ने बताया, 'मेरे दो बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। पहले मेरे बच्चे प्राइवेट स्कूल में जाते थे, लेकिन वहां अच्छी पढ़ाई नहीं होती थी। तब मुझे इस स्कूल की पढ़ाई के बारे में पता चला। मैंने अपने बच्चों नाम उस स्कूल से कटाकर यहां लिखा दिया।'

वहीं रामरती ने बताया, 'स्कूल के सुनील मास्टर बहुत अच्छे हैं। वह हमारे बच्चों को बहुत मन से पढ़ाते हैं। आज हमारा बच्चा बहुत कुछ सीख गया है। '

स्कूल न आने पर घर से बच्चों को बुलाकर लाते हैं एसएमसी सदस्य और शिक्षक

प्रयोगशाला में कई महान वैज्ञानिक और उनके अविष्कार की तस्वीर लगाई गई है जिसे देखकर बच्चों को प्रेरणा मिल सके।

सुनील आनंद, सहायक अध्यापक


जनपद का हाल

पूर्व माध्यमिक विद्यालय: 898

माध्यमिक विद्यालय: 2232

कस्तूरबा विद्यालय:17

आश्रम पद्धति विद्यालय:3

एडेड मदरसे:6

राजकीय विद्यालय(जीआईसी ):1

महिला राजकीय विद्यालय(जीजीआईसी):2

माध्यमिक विद्यालय में बच्चे:259162

पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बच्चे: 69139

(छात्रों की संख्या सितंबर 2017 के आंकड़ों के हिसाब से )

एसएमसी सदस्य बन घर से निकल रहीं महिलाएं, समझ रहीं जिम्मेदारी


    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.