महिलाओं ने छेड़ी हर घर में शौचालय बनाने की मुहिम

Neetu SinghNeetu Singh   12 May 2017 10:11 AM GMT

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महिलाओं ने छेड़ी हर घर में शौचालय बनाने की मुहिममहिलाओं ने अपने घरों में शौचालय बनवाया बल्कि दूसरों को भी स्वच्छता का पाठ पढ़ा रही हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

औरैया। वो महिलाएं जो वर्षों तक खुले में शौच जाकर जिल्लत झेलती रहीं, आज उन्होंने न सिर्फ अपने घरों में शौचालय बनवाया बल्कि दूसरों को भी स्वच्छता का पाठ पढ़ा रही हैं। अपने गाँव को खुले में शौच मुक्त करने के लिए ये महिलाएं कई तरीके अपना रहीं हैं और स्वच्छ भारत अभियान को एक नयी दिशा दे रहीं हैं।

औरैया जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर तारापुरवा गाँव की रहने वाली ममता देवी (30 वर्ष) का कहना है, “गाँव के लोगों को ये पता ही नहीं कि खुले में शौच जाना उनके लिए कितना नुकसान दायक है, सबसे पहले उन्हें हम बताते हैं कि खुले में शौच जाने से क्या-क्या बीमारियां होती है।”

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वो आगे बताती हैं, “रैली निकालना, नारे लगवाना, उनके साथ मीटिंग करना उन्हें शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित करना हमारे हर दिन की दिनचर्या है।” ममता देवी औरैया जिले की वो पहली महिला नहीं हैं जो इस अभियान को आगे बढ़ा रही हैं बल्कि इनकी तरह 60 महिलाएं ऐसी हैं जो इस अभियान से सक्रिय रूप से जुड़कर जिले को शौच मुक्त करने के लिए प्रयासरत हैं।

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इस मिशन को अक्टूबर 2019 को पूरा करके देश को खुले से शौच मुक्त करना है। अभी हाल ही में पंचायती राज दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “प्रदेश में अभी शामली जिला ही शौच मुक्त हुआ है, दिसंबर 2017 तक 30 जिले खुले में शौच मुक्त हो जाएंगे, दिसंबर 2018 तक पूरा प्रदेश खुले से शौच मुक्त करा दिया जाएगा।”

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प्रदेश के हर जिले में इस दिशा में सक्रिय रूप से काम हो रहा है। औरैया जिलाधिकारी के.बाला जी ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए महिला समाख्या की 60 महिलाओं को इस मुहिम में शामिल किया है। जिला प्रसाशन की तरफ से इन महिलाओं को प्रशिक्षण देकर जिले के कई गाँवों में इनकी एक टीम बनाकर रखा गया है।

इस अभियान से जुड़ी भाग्यनगर ब्लॉक के सुकंद का पुरवा गाँव की रहने वाली ऊषा देवी (37 वर्ष) का कहना है, “हम गाँव में बहुत सालों से काम कर रहे हैं इसलिए महिलाओं को हम पर विश्वास है और ये हमारी बात जल्दी से मान लेती हैं, महिला समाख्या की जिले में चार हजार से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं, ये महिलाएं अपने -अपने घरों में शौचालय निर्माण करवा रही हैं।”

सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को महिला समाख्या की महिलाएं गाँव-गाँव जाकर लोगों को खुले में शौच जाने से मना कर रही हैं, ये महिलाएं पैसे के लिए काम नहीं करती हैं, इनके जुझारूपन को देखकर जिलाधिकारी महोदय ने इन महिलाओं को स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनाया है।
कृष्णा, जिला सन्दर्भ व्यक्ति, महिला समाख्या

महिला समाख्या की जिला सन्दर्भ व्यक्ति कृष्णा का कहना है, “सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को महिला समाख्या की महिलाएं गाँव-गाँव जाकर लोगों को खुले में शौच जाने से मना कर रही हैं, ये महिलाएं पैसे के लिए काम नहीं करती हैं, इनके जुझारूपन को देखकर जिलाधिकारी महोदय ने इन महिलाओं को स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनाया है।” वो आगे बताती हैं, “इस अभियान से जुड़े हुए महिलाओं को 40 दिन हो गए हैं, महिलाओं के प्रयास से जल्द ही बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।”

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नारे लगाकर महिलाएं करती हैं जागरूक

“हम बहनों ने ठाना है, शौचालय बनवाना है, प्रधान की अगुवाई हो गाँव में साफ़-सफाई हो।

आधी-रोटी खाएंगे, घर में शौचालय बनवाएंगे, भैया भाभी शर्म करो बाहर जाना बंद करो।

गाँवों में टीमें बनाकर चल रहा काम

वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार की तरफ से रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित शकुंतला देवी का कहना है, “स्वच्छ भारत अभियान में अब तक 40 दिन तक दो ब्लॉक के कई गाँव में काम कर चुके हैं, एक गाँव में पांच दिन पांच लोगों की टीम रहती है जो सुबह चार बजे से सीटी बजाना शुरू कर देते हैं, लोग खुरपी लेकर अब शौचालय जाने लगे हैं, शौचालय निर्माण कार्य भी चल रहा है, गाँव में किशोर-किशोरी, महिला-पुरुष की 10-10 लोगों की टोली बनाई जाती है, प्रधान की निगरानी में सभी के गाँव में घूमा जाता है।”

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