लीची की बागवानी का है ये सही समय

Divendra SinghDivendra Singh   22 July 2017 1:14 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
लीची की बागवानी का है ये सही समयप्रतीकात्मक तस्वीर

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। परंपरागत खेती के साथ ही किसानों का रुझान लीची की बागवानी में भी बढ़ रहा है। बिहार के मुजफ्फरपुर के बाद अब उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिला भी लीची की बागवानी के लिए जाना जाने लगा है। सहारनपुर ही नहीं लखनऊ के मलिहाबाद के किसान आम की बागवानी के साथ ही लीची की बागवानी में भी हाथ आजमा रहे हैं।

मलिहाबाद के नबीपनाह गाँव के किसान रमेश सिंह (45 वर्ष) ने आठ वर्ष पहले लीची की बाग लगाई थी। उनके बाग के पेड़ तैयार होकर फल भी देने लगे हैं। रमेश सिंह बताते हैं, “आठ से दस साल में लीची की बाग तैयार हो जाती है। एक पेड़ से पचास से साठ किलो तक लीची मिल जाती है। मैंने लखनऊ के साथ कानपुर मंडी में भी लीची भेजी थी।”

ये भी पढ़ें- देश की सभी ग्राम पंचायतें 2019 तक हो जाएंगी इंटरनेट से लैस

गोरखपुर के कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. संजीत कुमार लीची की बागवानी के बारे में बताते हैं, “अभी तक लीची की बागवानी देश के कुछ ही प्रदेशों में की जाती थी, पर अब इसकी बागवानी के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। ये समय लीची की बाग लगाने का बिल्कुल सही समय होता है।”

वो आगे बताते हैं, “लीची की बाग में सिंचाई का पर्याप्त प्रबंधन करना चाहिए। जड़ों में पानी और स्प्रे फायदेमंद होता है। इसके अलावा फूल आने पर दो स्प्रे दो ग्राम प्रति लीटर पानी में फफूंदी नाशक बोरेक्स घोलकर करने चाहिए।” लीची के पौधे हर जिले के राजकीय उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें अब आम-अनार की खेती कर सकेंगे साथ - साथ

उन्नत खेती

उपोष्ण फलों में लीची का विशेष महत्व है। यह देर से तैयार होने वाला फल है। इसका पौधा धीरे-धीरे बढ़ता है। लीची के बाग को स्थापित करने में काफी समय लगता है। लेकिन इसकी बागवानी देश के कुछ ही भागों तक सीमित है।

ये भी पढ़ें- कहीं आप भी तो नहीं खाते चमकदार फल-सब्जियां, हो सकते हैं ये नुकसान

पौधरोपण

लीची का जुलाई से लेकर अक्टूबर तक रोपण किया जाना चाहिए है। रोपण के पहले बाग के चारों तरफ वायुरोधक वृक्ष लगाना अच्छा रहता है तथा पश्चिम दिशा में काफी आवश्यकता होती है, क्योंकि गर्मी में लीची के पेड़ गर्म हवा से रक्षा करते हैं। गड्ढ़ो की खुदाई और भराई आम के पौधों की तरह करनी चाहिए। लीची के पौधे को सामान्य रूप से भूमि में 10 मीटर की दूरी पर लगाया जाना चाहिए तथा शुष्क जलवायु और कम उपजाऊ भूमि में यह दूरी आठ मीटर होनी चाहिए। रोपण के लिए स्वस्थ पौधों का चयन किया जाना चाहिए ।

सिंचाई

लीची के लिए सिंचाई आमतौर पर गर्मी में की जानी चाहिए। यदि गर्मी में आर्द्रता बढ़ जाए और मिट्टी की जल धारण क्षमता अच्छी हो तो सिंचाई की मात्रा को कम किया जाना चाहिए फल की वृद्धि के समय सिंचाई 10-15 दिनों तक नियमित करना चाहिए।

ये भी पढ़ें- आलू किसानों को मिली बड़ी राहत, सरकार अपने खजाने से खर्च करेगी 100 करोड़ रुपए

मिट्टी-जलवायु

लीची के लिए गहरी दोमट मिट्टी उत्तम रहती है। सहारनपुर से लगे जिले मुजफ्फरनगर के आसपास कैल्शियम बाहुल्य वाली भूमि पाई जाती है, जिसमें जड़ों का विकास अच्छा होता है। इसी प्रकार की भूमि पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया तथा पड़रौना, महाराजगंज जनपद के कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है और बलुई या चिकनी मिट्टी में यह काफी पैदावार देती है। किन्तु जल-निकास का उचित प्रबंध होना चाहिए और भूमि कड़ी परत या चट्टान वाली नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अम्लीय मिट्टी में लीची का पौधा काफी तेज गति से बढ़ता है और मिट्टी में चूने की कमी नहीं होनी चाहिए।

फलों की उपज

लीची के फलों को तोड़ते समय गुच्छे से टहनी वाला भाग काट लेना चाहिए, जिससे अगले साल शाखाओं की वृद्धि के साथ फल लगते रहे।

लीची से मौत की खबर को एनआरसीएल ने किया खारिज, कहा- 122 बच्चों की मौत के लिए लीची जिम्मेदार नहीं

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.