अब थानों के नहीं लगाने होंगे चक्कर, यूपी के 200 थाने सीसीटीएनएस प्रणाली से लैस

Abhishek PandeyAbhishek Pandey   25 Nov 2017 2:06 PM GMT

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अब थानों के नहीं लगाने होंगे चक्कर, यूपी के 200 थाने सीसीटीएनएस प्रणाली से लैसयूपी पुलिस। प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ। आम आदमी को थानों में मुकदमा दर्ज कराने के बाद एफआईआर कॉपी लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए यूपी पुलिस के टेक्निकल विभाग ने प्रदेश के थानों को सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिग नेटवर्क एंड सिस्टम) प्रणाली से जोड़ने का काम कर रही है। थानों में यह सुविधा हो जाने पर अब आम आदमी से लेकर पुलिस और न्यायलय के कार्यों में काफी तेजी आयेगी। यूपी पुलिस ने प्रदेश के 1526 थाने में से 200 थानों को सीसीटीएनएस लैस करने का दावा किया है।

लखनऊ के उजरियांव निवासी मुस्ताक अहमद (50वर्ष) का कहना है,“ बाइक चोरी के मुकदमे की कापी के लिए मुझे थाने के कई बार चक्कर लगाने पड़े थे। लेकिन सीसीटीएनएस प्रणाली आ जाने से बार-बार थाने के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।”

क्या है सीसीटीएनएस

सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिग नेटवर्क एंड सिस्टम) योजना की शुरुआत यूपी में 2011 के अप्रैल में मायावती सरकार ने किया था। जिसका मकसद प्रदेश के सभी थानों को इंटरानेट के माध्यम से जोड़ना था। एक क्लिक पर किसी भी केस का विवरण मिल जाये। यह यूपी पुलिस का अपना साफ्टवेयर है। सीसीटीएनएस में किसी भी एफआईआर को तत्काल देख जा सकता है कि, उस केस का मौजूदा समय में क्या स्टेटस है।

डीजी टेक्निकल महेंद्र मोदी ने बताया,“ सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम) योजना लंबे समय से प्रदेश भर के थानों पर लागू है। लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते इसे पूरी तरह लागू नहीं करा पाया गया था। प्रदेश भर के पुलिस कप्तानों को एक पत्र लिख कर सीसीटीएनएस संबंधित कार्यों को जल्द निपटाने का निर्देश जारी कर दिया। इसके बाद जिलों में इस कार्य में तेजी आई और मौजूदा समय में 200 थाने पूरी तरह से सीसीटीएनएस लैस हो गए।”

डीजी महेंद्र मोदी का कहना है कि, इस सुविधा के होने के बाद थानों पर सारे लिखापढ़ी के कार्य ऑनलाइन ही दर्ज किए जाएंगे। सीसीटीएनएस लैस होने के बाद से देश भर का कोई भी अपराधी दूसरे राज्यों की पुलिस के एक क्लिक से सर्च करने पर ऑनलाइन अंकित हो जायेगा। इससे यूपी पुलिस के साथ-साथ दूसरे राज्यों के पुलिसवालों के समय की भी बचत होगी।

एडीजी टेक्निकल आशुतोष पाण्डेय ने बताया,“ सीसीटीएनएस लैस थानों के सभी एफआईआर को पीड़ित घर बैठ देख सकते हैं। हालांकि इस सुविधा में महिला संबंधित अपराधों को नहीं दर्शाया जायेगा। ऑनलाइन चार्जशीट से लेकर फाइनल रिपोर्ट के स्टेटस को एक क्लिक पर देखा जा सकता है, जिससे न्यायलय के कार्यों में तेजी आयेगी और लंबित पड़े मामलों में तेजी आयेगी। ”

2011 में सीसीटीएनएस लैस करने का हुआ था ऐलान

उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायवती ने वर्ष 2011 में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे के सभी थानों को सीसीटीएनएस के माध्यम से ऑनलाइन जोड़ने का ऐलान किया था। धीरे-धीरे प्रदेश में थाने सीसीटीएनएस लैस तो होने लगे, लेकिन इस पर काम न होकर थानों में तैनात मुंशी सारे कार्य जीडी रजिस्टर के माध्यम से ऑफ लाइन करता था। पुलिस की इस कार्यप्रणाली के चलते आम जनता से लेकर हर वर्ग को परेशानी का सामना करना पड़ता था।

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ई-गर्वनेस में होगा लाभकारी

इस योजना पर यूपी पुलिस का टेक्निकल विभाग लंबे समय से कार्य कर रहा था। हालांकि इसमें कुछ दुश्वारियां भी है, जिन्हें जल्द दूर कर 1400 से ऊपर बचे थानों को सीसीटीएनएस युक्त करने का प्रयास है। इस योजना के तहत पुलिस के कार्यों को आम नागरिक केंद्रीत बनाना और थानों में होने वाले कार्यों में पारर्शीता उत्पन्न करने के उद्देश्य से इसे लागू करने का प्रयास है।

पेंटीयम 4 कम्प्यूटर हुए इंस्टाल

इस योजना को पूरा करने के क्रम में थानों में लंबे समय से लगे पेंटीयम 2 कम्प्यूटर के स्थान पर पेंटीयम 4 वर्जन का कम्प्यूटर लगाने का जिलों के पुलिस कप्तानों को निर्देश जारी कर दिया गया है। इसके तहत सर्वर में आने वाली परेशानी दूर होगी और थानों पर होने वाले सभी पुलिसियां कार्य सीसीटीएनएस के माध्यम से पूरा किया जायेगा।

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देशभर के थाने आपस में जुड़ जाएंगे

सीसीटीएनएस के माध्यम से देश भर के थाने इससे जुड़ जाएंगे, जिससे देश भर की अन्य पुलिस एजेंसियों में परस्पर संवाद बेहतर होगा और कोई भी सूचना का अदान-प्रदान सांझा करना सरल हो जायेगा। इस योजना के तहत सबसे मुख्य बात यह होगी कि, न्यायालयों के मामलों सहित अन्य सभी मामलों की प्रगति का कार्य तेजी पकड़ेगा और वर्षों से पड़े मामलों का निपटारा होगा। वर्तमान में सीसीटीएनएस परियोजना के अंतर्गत शामिल पूरे देश के 15,398 पुलिस स्टेशनों में से 14,284 पुलिस स्टेशन सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर का इस्तेरमाल कर रहे हैं। हालांकि केवल इनमें से ज्यादातर थाने केवल एफआईआर ही सीसीटीएनएस के माध्यम से दर्ज कर रहे।

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सीसीटीएनएस के फायदे

  • रिकार्ड में हेराफेरी होना मुश्किल।
  • पेपर लेस कार्य हो जाता है।
  • कागज को बार-बार फोटो कॉपी नहीं कराना।
  • क्यू मेल से चलता है।
  • इस साफ्टवेयर को हैक नहीं किया जा सकता है।
  • इसमें इंटरनेट की जरुरत नहीं पड़ती है।
  • कोर्ट के कार्यों में तेजी आ जाती है।
  • किसी भी अपराधी का तत्काल डिटेल मिल जाता है।
  • किरायेदार की जांच भी इस साफ्टवेयर पर अपलोड किया जा सकता है।
  • घर के नौकर की विवरण देख जा सकता है।

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