तीन साल में बने सिर्फ 14 गोकुलग्राम, बुंदेलखंड में एक भी नहीं

Basant KumarBasant Kumar   22 Jun 2017 7:13 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
तीन साल में बने सिर्फ 14 गोकुलग्राम, बुंदेलखंड में एक भी नहींतीन साल गुजरने के बाद अब तक पूरे देश में सिर्फ चौदह गोकुलग्राम की स्थापना हो पाई है।

लखनऊ। भारत सरकार ने 28 जुलाई 2014 को स्वदेशी गायों के संरक्षक और उनकी नस्लों के विकास को प्रोत्साहित करने लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना की शुरुआत की थी। इस मिशन के तहत के गोकुलग्राम का निर्माण करना था। तीन साल गुजरने के बाद अब तक पूरे देश में सिर्फ चौदह गोकुलग्राम की स्थापना हो पाई है।

ये भी पढ़ें : गाय - गाय के शोर बीच ये पढ़िए- बेजुबानों को नहीं मिल रहा समय पर इलाज

आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, और मध्य प्रदेश में एक-एक और हरियाणा, छतीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में दो और महाराष्ट्र में तीन गोकुलग्राम बने है। यूपी को 2014 से 16 तक केंद्र सरकार से राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत सिर्फ 10 करोड़ रुपए मिले।
पीआईबी द्वारा दी गई जानकारी

गोकुलग्राम में पशुओं को होने वाले रोगों जैसे ब्रुसेलोसिल, क्षय और जेडी की पशुओं की नियमित जांच करके गोकुलग्राम को रोगमुक्त रखा जाएगा। यह एक अन्तस्थ पशु चिकित्सा और कृत्रिम गर्भाधान केंद्र गोकुलग्राम का आंतरिक भाग होगा। महानगरों के समीप भी शहरी गायों की देखभाल के लिए गोकुलग्राम की स्थापना की जाएगी।

ये भी पढ़ें : गाय को बचाइए, सच में

पीआईबी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, और मध्य प्रदेश में एक-एक और हरियाणा, छतीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में दो और महाराष्ट्र में तीन गोकुलग्राम बने है। यूपी को 2014 से 16 तक केंद्र सरकार से राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत सिर्फ 10 करोड़ रुपए मिले।

कृषि मंत्रालय की पोर्टल पर दी गई जानकरी के अनुसार एसआईए/ईआईए या पीपीपी मोड के तत्वावधान में गोकुलग्राम की स्थापना की जाएगी और कार्य करेंगे। गोकुलग्राम में दुधारू और अनउत्पादक पशुओं को 60:40 के अनुपात में करेंगे और इसमें लगभग 1000 पशुओं के रख-रखाव की क्षमता होगी। गोकुलग्राम गृहचारा के माध्यम में पशुओं की पोष्टिकता की आवश्यकता के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।

बिना पत्ते वाले पेड़ के नीचे छाँव के इंतजार में गोवंश

मवेशी पालन भारत में एक पारंपरिक आजीविका रही है और कृषि अर्थव्यवस्था से काफी निकटता से जुड़ा हुआ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में 199 लाख मवेशियों है। यह संख्या विश्व में रहने वाले मवेशियों की संख्या का 14.5 प्रतिशत है। 199 लाख मवेशियों में से 83% यानी 166 लाख स्वदेशी हैं।

ये भी पढ़ें : गाय-भैंसों की देखभाल में उपयोगी टोल फ्री नंबर की पशुपालकों को जानकारी ही नहीं

गोकुलग्राम के सम्बन्ध में जब गाँव कनेक्शन ने कृषि मंत्रालय से सम्पर्क किया तो वहां से मिली जानकरी के अनुसार पिछले तीन साल में पूरे देश में सिर्फ चौदह गोकुलग्राम का निर्माण हुआ है। गोकुलग्राम का निर्माण राज्य से मिले प्रोजेक्ट्स के आधार पर किया जाता है। जिसमें यूपी में सिर्फ दो यूपी में बने है। यूपी में गोकुलग्राम मथुरा और बनारस में बने हैं।

गोकुलग्राम का निर्माण पशुओं की स्थिति में सुधार के लिए किया गया था, लेकिन जमीन पर कोई बदलाव होता नजर नहीं आया। महोबा में रहने वाले और गोशाला चलाने वाले नसीर सिद्दीकी बताते हैं, ‘अन्ना प्रथा के कारण पूरे बुन्देलखण्ड में इंसानों की आबादी के बराबर जानवर हो गए है। सूखे की मार से अब तक ठीक से बुन्देलखण्ड उबर नहीं पाया है। यहां गोकुलग्राम की बहुत ज़रूरत है, लेकिन यहां गोकुलग्राम की स्थापना नहीं हो पाई है। यहां चारा और पानी के कारण जानवर कई तरह की बिमारियों का शिकार हो जाते है।

ये भी पढ़ें : गाय प्रेमी योगी की सरकार में गायों के आएंगे अच्छे दिन ?

चित्रकूट में काम करने वाली स्वयं सेवी संस्थान अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान से जुड़े देश राज बताते हैं, ‘चित्रकूट में तो कदम-कदम पर लावारिश जानवर दिखते है। यहां लोग जब तक गाय दूध देती तब तक तो रखते है और जैसे दूध देना बंद कर देती है तो लोग छोड़ देते है। यहाँ गोकुलग्राम की बहुत ज़रूरत है।

अन्ना पशु से किसान परेशान है

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के कार्यान्वयन के लिए सरकार ने 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 500 करोड़ रुपये की राशि के साथ 100% अनुदान सहायता के आधार पर योजना तैयार करने का प्रस्ताव है। कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार ने 2014-17 तक तीन वर्ष में 219 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 2014-15 में 105.11 करोड़, 2015-16 में 55.91 करोड़ और 2016-17 में 58.79 करोड़ केंद्र सरकार ने जारी किए।

ये भी पढ़ें : बुंदेलखंड में ग्रामीणों की छुट्टा जानवरों से बचने की अनोखी पहल, फसल भी रहेगी सुरक्षित, गाय भी नहीं मरेंगी भूखी

राज्य पशु चिकित्सा विभाग और पशु कल्याण संगठन के अनुसार राजधानी लखनऊ में हर साल एक हजार गायें मर जाती है। प्रदेश के पशुपालन विभाग के उप निदेशक वी के सिंह कहते है, ‘राजधानी में तो नगर निगम के गोशाला है। जहां आवारा पशुओं को उठाकर निगम के लोग ले जाते है। वहां उनके लिए चारे पानी का इंतजाम गो सेवा आयोग के लोग करते है। जहां तक बात है गोकुलग्राम की तो ज़रूरत के हिसाब से बनाये जा रहे है। बुन्देलखण्ड में अलग पैकेज आता जो वहां के ज़रूरत के हिसाब से खर्च होता है।’

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिएयहांक्लिक करें।

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.