नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की महिलाएं सामुदायिक पत्रकार बन उठाएंगी आवाज

सखी मंडल से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को रांची में सिखाई गयी पत्रकारिता की बारीकियां, छह जिलों की 25 महिलाएं हुईं शामिल

Neetu SinghNeetu Singh   10 Oct 2018 7:22 AM GMT

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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की महिलाएं सामुदायिक पत्रकार बन उठाएंगी आवाज

रांची। झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र और सुदूर गांव की महिलाओं ने चार दिवसीय पत्रकारिता का प्रशिक्षण लेकर खबर लिखने की बारीकियां सीखीं। ये महिलाएं अब सखी मंडल में बचत करने तक ही सीमित नहीं रहेंगी बल्कि अब सामुदायिक पत्रकार बनकर अपने क्षेत्र की आवाज़ भी बनेंगी।

"कभी नहीं सोचा था कि हमें भी पत्रकारिता सीखने का मौका मिलेगा। चार दिन बेटे ने परेशान तो किया लेकिन आये न होते तो बहुत जरूरी चीज छूट जाती।" रिंकी देवी (23) अपने डेढ़ साल के बेटे को गोद में लिए पत्रकारिता का हुनर सीख रहीं थीं। उन्होंने बताया, "अभी तक नहीं पता था कि एक अखबार छपने में कितने लोगों की मेहनत लगती है। हमें भी खुशी मिलेगी जब हमारी लिखी खबरें अखबार में छपकर आएंगी।" रिंकी देवी कोडरमा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर डोगोडीह गांव की रहने वाली हैं।


रिंकी देवी की ही तरह चार दिवसीय कम्युनिटी जर्नलिस्ट की कार्यशाला में छह जिले की 25 महिलाएं शामिल हुईं जो सखी मंडल से जुड़ी हुई थीं। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी और गांव कनेक्शन फाउंडेशन के साझा प्रयास से एक मुहीम शुरू हुई है। जिसका उद्देश्य है सखी मंडल से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें सामुदायिक पत्रकार बनाना ताकि वे अपने क्षेत्र की आवाज़ बन सकें। अपने आसपास के ये वे मुद्दे और समस्याएं उठाएंगी जहां आमतौर पर पत्रकार नहीं पहुंच पाते।

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ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सीईओ परितोष उपाध्याय इन ग्रामीण महिलाओं से प्रशिक्षण के दौरान रूबरू हुए। उन्होंने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा "मुझे खुशी है कि आप सब ने लिखने की तमाम बारीकियां सीखीं। समूह से जुड़ी बदलाव की कहानियां आप लोगों द्वारा पढ़ने को मिलेंगी। आपने मोबाइल से फोटो खींचना भी सीखा है जो आपकी लिखी कहानियों को और मजबूत बनाएंगी।"

नक्सल प्रभावित जिला गुमला से आयीं अंजू देवी (30) ने कहा, "अब हमें किसी खबर के लिए पत्रकारों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इतना सीख गये हैं जिससे अपने आसपास की खबर आसानी से लिख सकते हैं। पत्रकारिता की पढ़ाई किए बिना भी पत्रकार बन सकते हैं ये हमें यहां आकर पता चला।"


पश्चिमी सिंहभूम से जिले से आयीं सदेश्वरी महतो (22 वर्ष) कहती हैं, "खबर का इंट्रो, हेडिंग, बाईलाइन, खबर कितनी बड़ी होनी चाहिए, ये बता हमें अच्छे से समझ आ गयी। खबर क्या होती है क्या नहीं, खबरों का चुनाव कैसे करें, एक खबर में क्या-क्या बातें ध्यान रखनी है हमें पता चल गया है।"

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झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी और देश के ग्रामीण पत्रकारिता संस्थान गांव कनेक्शन के साझा प्रयास से इन महिलाओं को गाँव के मुद्दों को पहचानने, ख़बर लिखने, समूह से जुड़ी बदलाव की कहानियां लिखने की बारीकियां और फोटो खींचने की ये दूसरी कार्यशाला थी। इससे पहले तीन दिवसीय प्रशिक्षण जुलाई माह में धनबाद जिले में हुआ था जहां राज्य के 15 जिलों की 30 महिलाएं शामिल हुई थीं। इन दोनों प्रशिक्षणों के दौरान महिलाओं में सीखने का काफी उत्साह दिखा। पहले बैच की महिलाएं कई खबरें भेज चुकी हैं जो जल्द ही सखी मंडल के आजीविका कनेक्शन नाम के न्यूजलेटर में पब्लिश होंगी।


झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के नॉलेज मैनजेमेंट एंड कम्युनिकेशन के प्रोग्राम मैनेजर कुमार विकास ने इन महिलाओं से कहा, "आपको सामुदायिक पत्रकार बनाने के पीछे की सोच यही है कि जो मुद्दे जो कहानियां कभी मीडिया की सुर्खियां नहीं बनती हैं उसे आप सामुदायिक पत्रकार बनकर उठाएं। आपकी लिखी खबर को कई मीडिया प्लेटफार्म पर पब्लिश होने का मौका मिलेगा जो आपकी आजीविका को सशक्त करने जरिया भी होगा। ये पहली कार्यशाला नहीं है, हम समय-समय पर ऐसी कई कार्यशालाओं का आयोजन करेंगे।"

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इन महिलाओं ने खबर लिखने से लेकर फोटोग्राफी तक के गुर सीखे हैं। प्रशिक्षण लेने के बाद अब ये महिलाएं सामुदायिक पत्रकार बनकर अपने आसपास की खबरों को खुद अपनी ज़ुबानी दुनिया को बताएंगी। जो महिलाएं पहले दिन बात करने में झिझक रही थीं वही महिलाएं समापन वाले दिन कैमरें के सामने बेझिझक होकर बात करने लगीं। फेसबुक लाइव के जरिए इन महिलाओं ने चार दिन पत्रकारिता की सीखी बारीकियों को सबके साथ साझा किया।


        

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