देश के लिए खतरा हैं रोहिंग्या, कुछ का आतंकियों से संपर्क : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामा

Karan Pal SinghKaran Pal Singh   18 Sep 2017 2:46 PM GMT

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देश के लिए खतरा हैं रोहिंग्या, कुछ का आतंकियों से संपर्क : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामारोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी

नई दिल्ली। रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की योजना पर केंद्र सरकार ने 16 पन्नों का हलफनामा दायर किया है। इस हलफानामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है। ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा साबित हो सकते हैं।

आतंकी कनेक्शन की खुफिया सूचना

केंद्र ने अपने हलफनामे में साथ ही कहा, 'जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी कनेक्शन होने की भी खुफिया सूचना मिली है। वहीं कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के जरिये पैसों की हेरफेर सहित विभिन्न अवैध व भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए।'

देश में अवैध तरीके से बनवा रहे भारतीय पहचान पत्र

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा कि कई रोहिंग्या मानव तस्करी में भी शामिल पाए गए। वे बिना किसी दस्तावेज के एजेंटों की मदद से म्यांमार सीमा पार कर भारत आ गए और फिर यहां पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे भारतीय पहचान पत्र बनवाकर यहां अवैध तरीके से रह रहे हैं। केंद्र ने साफ किया कि इन अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को देश के नागरिकों जैसे अधिकार नहीं दिए जा सकते।

बौद्ध नागरिकों के खिलाफ उठा सकते हैं हिंसक कदम

रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ म्यांमार में शुरू हुई सैन्य कार्रवाई की वजह से सैकड़ों-हजारों महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को अपने घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है। ऐसे में केंद्र ने एक आशंका यह भी जताई कि ये रोहिंग्या देश में रहने वाले बौद्ध नागरिकों के खिलाफ हिंसक कदम उठा सकते हैं।

बिगड़ सकता है आबादी का अनुपात

केंद्र ने यह भी चिंता जताई कि अवैध शरणार्थियों की वजह से कुछ जगहों पर आबादी का अनुपात गड़बड़ हो सकता है। ऐसे में वे रोहिंग्या शरणार्थी जिनके पास संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भारत से जाना ही होगा।

तीन अक्टूबर तक टाली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है। वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह से जब इस हलफनामें पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कोर्ट में एफेडेविट फ़ाइल किया गया है, जो फैसला करना है कोर्ट को करना है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से रोहिंग्या के लिए रणनीति बताने को कहा था

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यामांर के रोहिंग्या समुदाय के लोगों के भविष्य को लेकर सरकार से अपनी रणनीति बताने को कहा था। सरकार द्वारा रोहिंग्या समुदाय के लोगों को वापस म्यांमार भेजने के फैसले के खिलाफ याचिका को सुनने के लिए स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था।

दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने दायर की थी याचिका

दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर द्वारा पेश याचिका में रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की सरकार की योजना को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन बताया गया है। दोनों याचिकाकर्ता भारत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग में रजिस्टर्ड हैं। इन शरणार्थियों की दलील है कि म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ व्यापक हिंसा के कारण उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी है।

हिंसा के कारण विस्थापित हो रहे लोग

म्यामांर में हिंसा के कारण पिछले तीन हफ्ते में करीब 3,80,000 रोहिंग्या लोग भागकर बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं। हिंसा की वजह से म्यामांर के रखाइन प्रांत में करीब 30,000 बौद्ध और हिंदू भी विस्थापित हुए हैं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि म्यामांर की सेना ने आरसा के हमलों की आड़ लेकर करीब 11 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को भगाने का अभियान शुरू किया है। म्यामांर की सरकार ने आरोपों से इनकार किया है।

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