हाईटेक चिप से घर बैठे जान सकेंगे गाय भैंस की लोकेशन
दिति बाजपेई 13 May 2017 9:25 AM GMT

लखनऊ। तकनीकी किसानों और पशुपालकों के लिए कई तोहफे लेकर आ रही है। दूध निकालने से लेकर दवा-इलाज तक में मददगार तकनीकी अब पशुपालकों के गाय-भैंस पर निगरानी भी करेगी। मनुष्यों की तरह पशुओँ का आधार तो बन ही रहा है उसमें एक चिप भी लगाई जा रही है, जिसके बाद किसान आसानी से अपने पशु की जानकारी पा सकेंगे साथ ही अगर वो खोती या चोरी होंती है तो उसकी भी जानकारी एक क्लिक से मिल सकेगी।
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उत्तर प्रदेश में पशुओं की स्थिति सुधारने के लिए नेशनल डेयरी डेवलमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की पहल पर विभाग द्वारा गाय-भैंस में माइक्रोचिप लगाया जाएगा। इस माइक्रो चिप की यूनिक आईडी के माध्यम से पशुओं की ऑनलाइन निगरानी की जा सकेगी।
पशु तस्करी को रोकेगी यह चिप
इस चिप से पशुओं की होने वाली तस्करी से निजात पाया जा सकेगा। पशुओं के चिप लगते ही उनकी लोकेशन को ट्रैक किया जा सकेगा। यानि अगर किसी का पशु चोरी होता है तो वो संबंधित नंबर जैसे ही पशु विभाग में जाकर डिवाइस में डाल कर सर्च करेंगे पशु की लोकेशन मिल जाएगी।
उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बीबीएस यादव बताते हैं, “सभी जिले के मुख्य पशुचिकित्साधिकारी पशुधन प्रसार अधिकारी के साथ स्टॉफ कर्मचारी घर घर जाकर पशुओं के खुर और कान में इस चिप को लगाएगा। इस चिप पर यूनिक 12 नंबर पर क्लिक करते ही पशु की प्रजाति, दुग्ध उत्पादन क्षमता और उसकी सेहत की पूरी जानकारी कंप्यूटर पर मिल जाएगी। मवेशियों पर लगने वाला पीले रंग का यह टैग दो टुकड़ों में होता है। इसे पशु के कान के बीच एक टूल की मदद से लगाया जाएगा।”
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लखनऊ समेत सभी जिलों के मुख्य पशुचिकित्साधिकारी को इसे शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए गए है। इस चिप में पशुओं के मालिक के नाम से लेकर उसकी पूरी वंशावली की जानकारी मिल जाएगी।19वीं पशु गणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में पांच करोड़ मवेशी है और उनमे से गाय-भैंसों की संख्या लगभग ढाई करोड़ है। पहले चरण में करीब 60 लाख पशुओं को चिप लगाई जाएगी।
एक जुलाई तक पैन कार्ड और आधार नंबर को लिंक कर लें, नहीं तो हो सकती है परेशानी
केंद्र सरकार ने 2022 तक डेयरी किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है इसलिए देश के 8.8 करोड़ मवेशी पर टैग लगाया जाएगा। इनमें 4.1 करोड़ भैंस और 4.7 करोड़ गाय शामिल हैं। मवेशियों की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। इसके बाद मध्य प्रदेश (90 लाख), राजस्थान (84 लाख), गुजरात (62 लाख) और आंध्र प्रदेश (54 लाख) का नंबर आता है। टैग लगाने के बाद टेक्निशियन ऑनलाइन डेटाबेस में नंबर को टैबलेट के जरिए अपडेट करेगा और मवेशी के मालिक को एक ‘एनिमल हेल्थ कार्ड’ भी दिया जाएगा।
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