महिलाओं की उन दिनों की समस्याओं को आसान करेगा ‘माहवारी कप’

Mithilesh DharMithilesh Dhar   3 July 2017 4:26 PM GMT

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महिलाओं की उन दिनों की समस्याओं को आसान करेगा ‘माहवारी कप’माहवारी कप महिलाओं की मुश्किलों को आसान करेगा।

लखनऊ। मासिक धर्म की प्रक्रिया हमारे समाज का एक ऐसा संवेदनशील मुद्दा है जिसके साथ बहुत सी गलत धारणाएं जुड़ी हुई हैं। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है। उन्हें कई काम नहीं करने दिया जाता। ऐसी ही कई मान्यताओं के कारण उन दिनों में महिलाओं की दिनचर्या पूरी तरह बाधित हो जाती है। लड़कियां स्कूल नहीं जातीं।

इस प्राकृतिक प्रक्रिया के बारे में उचित जानकारी के अभाव में लोगों में आज भी पीढियों से चली आ रही संकीर्ण मानसिकता बनी हुई है, जबकि यह महिलाओ के शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मुद्दा है। जिस समाज में लोग माहवारी पर बात करने से कतराते हैं उसी समाज में 31 वर्षीय प्रियंका नागपाल जैन मेंस्ट्रुअल कप्स की बात कर रही हैं, लोगों से बात करके इससे जुड़ी गलत धारणाओं को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं।

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प्रियंका ने गाँव कनेक्शन को बताया कि उन्हें महीने के उन दिनों में स्विमिंग पूल का रुख करना एकदम पसंद नहीं था, जबकि स्विमिंग उन्हें बेहद पसंद है। जब वे लंदन में थीं तो उन्होंने वहां मेंस्ट्रुअल कप्स के बारे में सुना। फिर इसका प्रयोग किया और उन्हें ये बहुत ही सुविधाजनक लगा। प्रियंका बताती है कि मेंस्ट्रुअल कप्स के प्रयोग के बाद उन्होंने महीने की उन दिनों की चिंता करनी ही छोड़ दी। लंदन में ही ठाना कि क्यों न इससे अपने देश की महिलाओं को रू-ब-रू कराएं।

प्रियंका नागपाल जैन।

प्रियंका इंग्लैंड में पांच वर्ष रहीं। वहां उन्होंने आर्किटेक्चर के क्षेत्र में पढ़ाई के बाद काम भी किया। लंदन के अपने प्रवास के दौरान वे पहली बार मेंस्ट्रुअल कप्स से रू-ब-रू हुईं और जल्द ही वे इनकी कायल हो गईं। भारत वापस लौटने के बाद वे अपनी पसंद के क्षेत्र में काम करने लगीं। प्रियंका बताती हैं कि उन्हें पैसे तो मिल रहे थे लेकिन काम से संतुष्टि नहीं मिल रही है। उन्होंने कुछ ऐसा करने का सोचा जिससे समाज से सीधे जुड़ा सके।

अपने पति प्रणव जैन से मिले समर्थन के बाद उन्होंने मेंस्ट्रुअल कप्स को केंद्र में रखते हुए हाईजीन एंड यू’ के माध्यम से उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। प्रियंका कहती हैं, ‘‘हालांकि जब मैंने पहली बार मेंस्ट्रुअल कप के बारे में बताया तो मेरे पति आश्चर्यचकित रह गए लेकिन उन्हें समय के साथ यह समझ में आया कि ये वास्तव में मेरे लिए बहुत अधिक सुविधाजनक हैं। इसी के बाद उन्होंने सोचा कि हमें इसको लेकर जागरुकता फैलाने के इरादे से कुछ सकारात्मक करना चाहिए। मेरे घर वालों ने तो मेरा पूरा सपोर्ट किया लेकिन मेरी कई महिला मित्रों ने मुझसे नाता ही तोड़ लिया।’’

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बड़ा सवाल, मेंस्ट्रुअल कप्स का प्रयोग कैसे करेंगे

भारत में माहवारी शब्द ही लोगों को चकित कर देता है। ऐसे में माहवारी कप तो लोगों के लिए सदमे जैसा हो सकता है। इस बारे में प्रियंका कहती हैं कि मेरी महिला मित्रों को मेरे इनके प्रयोग करने पर कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन जब मैंने उन्हें इसे प्रयोग करने के लिए कहा तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया, जबकि ये ये बहुत हद तक पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद है, इसकी लागत भी बहुत ज्यादा नहीं है। सिर्फ एक कप से दो से तीन वर्षों तक की छुट्टी मिल सकती है। यह सिलिकॉन का बना हुआ एक घंटी के आकार का एक कप होता है जो एक बार शरीर में फिट होने के बाद टेम्पोन के आकार में स्वयं को ढाल लेता है।

यह कप प्रवाह के आधार पर खून को चार से छः घंटे के लिए एकत्रित करता है और इसके बाद इसे अगले महीने प्रयोग से पहले सिर्फ कीटाणु और रोगाणुमुक्त करना होता है। प्रियंका बताती हैं कि पहली बार प्रयोग करने पर आपको अजीब लग सकता है लेकिन बाद में ये सुविधाजनक हो जाता है। इसका प्रयोग इतना सरल है कि एक बार तो एक महिला को लगा कि उसका पुराना कप खो गया है और वह काफी परेशान होने के बाद एक नया कप खरीदकर ले गई, लेकिन उसे सिर्फ चार दिन बात ही इसका अहसास हुआ कि पुराना कप खोया नहीं है बल्कि उसने उसे ही पहन रखा है।’’ इसके प्रयोग से हम पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं। कप्स को हर महीने प्रयोग के बाद गर्म पानी में एक बार उबाल लें। मात्र पांस से 10 मिनट। इसे फिर अगले महीने यूज किया जा सकता है।

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पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प

एक रिपोर्ट के अनुसार एक महिला अपने पूरे जीवनकाल में करीब 150 किलोग्राम डिस्पोजेबल सैनेटरी कचरा उत्पन्न करती है जिसमें से प्रत्येक सैनेटरी पैड को विघटित होने में 500 से 800 साल तक लगते हैं। सैनेटरी पैड में प्रयोग किए जाने वाले रसायन महिलाओं में मधुमेह, एलर्जी और त्वचा संबंधी रोगों के एक बहुत बड़े कारण हैं।

हाईजीन एंड यू के माध्यम से प्रियंका भारतीय और विदेशी ब्रांडों के कुल मिलाकर 5 प्रकार के मेंस्ट्रुअल कप बेचती हैं। 2000 में इंग्लैंड में एमसीएम बीचवाच के सर्वे के अनुसार अकेले इंग्लैंड में हर साल 200 करोड़ सैनेटरी नैपकिन फ्लश में बहा दिया जाता है, हालांकि प्रारंभ में प्रियंका को भारतीय महिलाओं को बेचने के लिए सिर्फ 15 कप लेने की सलाह दी गई थी लेकिन अब वे यह सोचकर काफी खुश होती हैं कि उन्होंने उस सलाह को दरकिनार करते हुए अपने मन की सुनी और कहीं अधिक कप खरीदे। प्रियंका बताती हैं कि शुरू के कुछ महीनों में मेंस्ट्र्यल कप की बिक्री बहुत कम थी। लेकिन जैसे-जैसे लोगों में जागरुकता आई, प्रयोग करने वाली महिलाओं ने इसके बारे में लोगों को बताया तो अब इसकी मांक काफी बढ़ गई है।

नए तरह के माहवारी पैड और कप

प्रियंका अब अपनी वेबासइट के माध्यम से कॉटन कपड़े से बने पैड बेच रहीं है जो अलग-अलग एनजीओ के माध्यम से खरीदा जा रहा है। प्रियंका ने बताया कि पैड हम खुद भी बना रहे हैं। हमारे बनाए कए पैड कई बरा प्रयोग किए जा सकते हैं। ये एंटी बैक्टीरियल है। प्रियंका कहती हैं कि डिस्पोजेबल सैनेटरी हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। इसलिए हमें इसके विकल्प पर ध्यान देना होगा।

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यूट्यूब के माध्यम से कर रहीं जागरूक

प्रियंका बताती हैं कि लोगों को जागरूक करने के लिए वे वर्कशॉप का आयोजन कर रही हैं। 2015 में उन्होंने दो, 2016 में आठ और इस वर्ष अभी तक 15 वर्कशॉप का आयोजन कर चुकी हैं। प्रियंका बताती है कि लोगों की सहभागिता बढ़ रही है। पहले महिलाएं ऐसे कार्यक्रमों में आने से कतराती थीं लेकिन अब वे खुद बुलाती हैं। प्रियंका ने अपना ब्लॉग और यूट्यूब चैनल शुरू किया है। प्रियंका अपने वीडियो के माध्यम से लोगों को पैड और मेंस्ट्रुअल कप्स के प्रयोग के बारे में बताती हैं। खास बात ये है कि लेख और वीडियो कई भाषाओं में हैं।

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