विद्यालय प्रबंध समिति की कोशिशों से स्कूलों में आया बदलाव

बदायूं के प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी, राम मूरत से खास बातचीत, कहा-विद्यालय प्रबंध समिति की कोशिशों से स्कूलों में आया बदलाव, ड्रॉप आउट बच्चों की सूची तैयार कर उन्हें फिर से पढ़ाई के लिए किया जा रहा प्रेरित

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   12 Sep 2018 9:38 AM GMT

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विद्यालय प्रबंध समिति की कोशिशों से स्कूलों में आया बदलाव

बदायूं। उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समिति लंबे अरसे से काम कर रही है। समिति की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में बड़े बदलाव देखे गए हैं। बच्चे समय पर स्कूल आते हैं, अनुशासन और साफ-सफाई पर जोर देने की वजह से विद्यालय अपनी पहचान बना रहे हैं। ऐसे ही सकारात्मक बदलावों पर बदायूं के प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी, राम मूरत से गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने खास बातचीत की...

प्रश्न: प्राथमिक शिक्षा में क्या बदलाव हो रहा है?

जवाब: प्राथमिक शिक्षा बच्चों के भविष्य की नींव होती है। यह नींव जितनी मजबूत होगी बच्चे का भविष्य भी उतना ही मजबूत बनेगा। सरकार प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के कई प्रयास कर रही है। जो भी खामियां हैं उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

बदायूं जिले के इस स्कूल में खूबसूरत पेंटिंग हरे भरे पौधे करते हैं स्वागत


प्रश्न: आपके जनपद में विद्यालय प्रबंध समिति कितनी सक्रिय है ?

जवाब: विद्यालय प्रबंधन समितियों की जो भी जिम्मेदारियां हैं वे उनका सही तरीके से निर्वहन कर रहे हैं। समय पर प्रबंध समितियों के सदस्यों को ट्रेनिंग भी दी जाती है, जिससे उन्हें क्या और कैसे करना है इस बात की जानकारी अच्छे तरीके से रहे। जो बच्चे स्कूल नहीं आते हैं समिति के सदस्य उनके घर जाकर विद्यालय न आने की वजह पता करते हैं। विद्यालय प्रबंध समिति के प्रयासों से प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है।


प्रश्न: प्राथमिक विद्यालयों में लोगों के रुझान के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं?

जवाब: हम लोग विद्यालयों का निरीक्षण करते हैं, जो भी कमियां निकलकर सामने आती हैं उनको दूर करने की कोशिश होती है। पढ़ाई के तरीकों को ज्यादा रुचिकर बनाया जा रहा है, जिससे बच्चे का मन पढ़ाई में लगा रहे। विद्यालय परिसर को साफ-सुथरा रखने पर जोर है ताकि यहां पर पढ़ने वाले अपने आप को किसी से कमतर न आंके। हमारे विद्यालयों में साफ-सफाई बहुत ज्यादा देखने को मिलेगी। अध्यापकों में भी अपने विद्यालय को नंबर वन बनाने की होड़ है। सभी के प्रयास से ही सरकारी विद्यालयों की छवि बदली है और आगे भी बदलाह होगा।

यकीन कीजिए, इस सरकारी विद्यालय में 1100 छात्र-छात्राएं हैं...

प्रश्न: अध्यापकों की कमी को कैसे पूरा कर रहे हैं ?

जवाब: अध्यापकों की कमी से शिक्षण व्यवस्था कहीं न कहीं प्रभावित तो होती ही है। ग्रामीण क्षेत्र में सबसे ज्यादा अध्यापकों की कमी है। कई विद्यालयों में एक शिक्षक के ऊपर पूरे स्कूल की जिम्मेदारी है। ऐसे में उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। सरकार का प्रयास है कि जल्द ही नए अध्यापकों की नियुक्ति करके शिक्षकों की कमी को दूर किया जाए।


प्रश्न: बच्चों के विद्यालय न आने की सबसे बड़ी वजह क्या मानते हैं आप?

जवाब: बदायूं में स्कूल छोड़ने वालों की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है। हमने ड्रॉप आउट बच्चों की सूची तैयार कर ली है। हमारे साथी उनके घर जाकर विद्यालय न आने की वजह पता करते हैं और उन्हें फिर से स्कूल लाते हैं। जो बच्चे पढ़ाई छोड़कर अन्य कामों में लग गए हैं हम लोग उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताते हैं और उन्हें फिर पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारे इस प्रयास में अभिभावक भी काफी सहयोग कर रहे हैं।

इस स्कूल में पड़ोस के गांव से भी पढ़ने आते हैं बच्चे


    

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