निजी स्कूलों को टक्कर दे रहा ये सरकारी स्कूल, पढ़िए कैसे है दूसरों से अलग

Divendra SinghDivendra Singh   24 Dec 2018 5:37 AM GMT

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निजी स्कूलों को टक्कर दे रहा ये सरकारी स्कूल, पढ़िए कैसे है दूसरों से अलग

सुठाना (हरदोई)। वो बच्चे कभी जो क, ग, घ... भी नहीं सुना पाते थे, आज वही बच्चे बिना झिझके अंग्रेजी की कविताएं सुनाते हैं। ऐसा हो पाया है इस प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों के प्रयास से।

हरदोई जिले के कछौना पतसेनी ब्लॉक के सुठना ग्राम पंचायत का प्राथमिक विद्यालय अपने साफ-सुथरे परिसर और पढ़ाई के तौर तरीकों के लिए पूरे जिले में मशहूर है। विद्यालय में नियुक्त अध्यापक बताते हैं, "आज जो स्कूल की स्थिति है, पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था। हमारा स्कूल ऐसी जगह पर है, जहां पर पांच किमी. के दायरे में दो दर्जन से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं, ऐसे में हमारा कांपटीशन सीधे उनसे होता है।"

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वो आगे कहते हैं, "इसी साल अप्रैल में ये इंग्लिश मीडियम से हुआ है, पहले ये हिंदी मीडियम से था, तो हमें बहुत परेशानी आयी क्योंकि ज्यादातर बच्चे हिंदी बोलते हैं तो उन्हें हिंदी से अंग्रेजी में लाने में बहुत परेशानी हुई। शुरूआत में ही हमने इसके बारे में सोच रखा था, इसलिए हमने स्कूल खुलने पर हम आस-पास के गाँव में घर-घर गए। और हमारा प्रयास सफल भी रहा, उम्मीद से ज्यादा एडमीशन भी हुए रूआत में परेशानी तो हुई, लेकिन अब सब सही चल रहा है।"


मार्निंग असेम्बली में बच्चों को हर दिन सिखाया जाता है नया

स्कूल के अध्यापक लाल बहादुर बताते हैं, "जब बच्चे आते हैं तो मार्निंग असेंबली में उन्हें जनरल नालेज के सवाल बताते हैं और हर दिन इंग्लिश के कुछ वर्ड भी तैयार कराते हैं। हमने स्कूल को चार हाउस में बांटा है, सभी टीचरों के क्लास डिवाडेड हैं, सब के लेशन प्लान बने हैं, एक रजिस्टर भी जिसमें वो लिखते हैं कि उन्होंने क्या पढ़ाया और क्या होमवर्क दिया है।"

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समर कैंप में बच्चों के बीच हुई प्रतियोगिताएं

इस बार गर्मियों की छ्ट्टी में भी बच्चों को कई नई बाते सीखने को मिला। छुट्टियों में तीन दिवसीय समर कैंप का भी आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों के बीच कई प्रतियोगिताओं भी आयोजित किए गए। जिसमें बच्चों को बहुत कुछ नया सीखने को मिला।

अध्यापकों का भी मिला पूरा सहयोग

स्कूल के स्टाफ ने मिलकर अपने पास सैलरी इकट्ठा करके बच्चों के लिए टाई-बेल्ट, आई कार्ड दिया, साथ ही साउंड सिस्टम भी खरीदा। इससे मार्निंग असेंबली के साथ ही, जब भी स्कूल में कोई प्रोग्राम होता है। आसानी से हो जाता है।


स्कूल की है खुद की लाइब्रेरी, जिसमें हैं हजारों किताबों

प्राथमिक विद्यालय में एचसीएल फाउंडेशन की तरफ से लाइब्रेरी भी बनायी गई है, जिसमें अध्यापकों और बच्चों के लिए हजारों किताबें रखी हैं। हर क्लास में किताबें रखीं हैं, जिसे जिस किताब की जरूरत होती है, अपने क्लास टीचर से पूछकर ले जाते हैं। साथ ही हर दिन लाईब्ररी की अलग क्लास भी लगती है, जिसमें जब बच्चों को समझ में नहीं आता तो टीचर से पूछ भी लेता है।

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बच्चों के लिए है स्मार्ट क्लास

यहां पर बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास भी बनायी गई है, जिसमें प्रोजेक्टर के जरिए पढ़ाई होती है। प्रधानाध्यापक सौरभ कुमार मिश्रा बताते हैं, "वैसे तो पहले हम किताबों और ब्लैक बोर्ड से पढ़ाते थे, लेकिन अब प्रोजेक्टेर के जरिए पढ़ाई होने से सब सजीव दिखता है, जिससे बच्चे अच्छे से पढ़ते और समझते हैं। बच्चे अपने घर में बताते हैं जिससे दूसरे अभिभावक भी ये सब देखकर अपने बच्चों का एडमिशन यहां कराते हैं।"


ग्राम प्रधान ने कराया चारदीवारी और शौचालय का निर्माण

पहले स्कूल में बाउंड्री न होने से लोग स्कूल को गंदा कर जाते थे, ऐसे में अध्यापकों ने ग्राम प्रधान से बात की। अब ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के सहयोग स्कूल में ऊंची चारदीवारी का निर्माण हो गया है, जिससे स्कूल भी सुरक्षित हो गया है। साथ ही लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय और हाथ धुलने के लिए हैंड वाश भी बना दिए गए हैं।

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