इस स्कूल में लगती है बायोमेट्रिक से शिक्षकों और बच्चों की हाजिरी

Divendra SinghDivendra Singh   2 Jan 2019 7:27 AM GMT

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इस स्कूल में लगती है बायोमेट्रिक से शिक्षकों और बच्चों की हाजिरी

प्रतापगढ़। ये पूर्व माध्यमिक विद्यालय देखने में तो दूसरे सरकारी विद्यालयों जैसा ही है, लेकिन पढ़ाई के मामले में ये सबसे अलग है। इसका श्रेय जाता है यहां के प्रधानाध्यापक मोहम्मद फरहीम का।

यह प्रदेश के कुछ सरकारी विद्यालयों में शामिल है जहां पर शिक्षकों और बच्चों का हाजिरी बायोमैट्रिक मशीन से लगती है। कोई भी लेट नहीं हो सकता। मोहम्मद फरहीम बताते हैं, "लोगों को लगता है कि सरकारी स्कूलों के अध्यापक तो बस आते हैं चले जाते हैं, उनका पढ़ाई से लेना देना नहीं, बस मैं ऐसे लोगों की ही सोच बदलने में लगा हूं। सरकारी विद्यालयों में पढ़ायी होती है बस अध्यापकों को स्कूल के बच्चों को अपना बच्चा समझकर पढ़ाना होगा।"

अपने वेतन से सजाया स्कूल

यहां के प्रधानाध्यापक स्कूल में किसी भी काम के लिए सरकारी बजट का इंतजार नहीं करते, बल्कि स्कूल में कोई जरूरत होती है अपने वेतन से खर्च करते हैं। मोहम्मद फरहीम कहते हैं, "स्कूल में बिजली की व्यवस्था करनी थी, विभाग से कई बार कहा लेकिन कोई सहायता नहीं मिली तो मैंने अपनी सैलरी से ही स्कूल की वायरिंग कराई। बिजली, पंखे के साथ इनवर्टर और कक्षा में नोटिस बोर्ड लगवाया।"


हर साल बढ़ रही बच्चों की संख्या

फरहीम की जब स्कूल में नियुक्ति हुई तो इस स्कूल में 50 बच्चों का नामांकन था, इस सत्र में बच्चों की संख्या बढ़कर 250 पहुंच गई है। गाँव के रामलाल बताते हैं, "जब से नए अध्यापक आए हैं, यहां पर ज्यादा अच्छी पढ़ाई होती है, पहले हम लोग अपने बच्चों को बाजार में एक प्राइवेट स्कूल में भेजते थे, लेकिन अब इसी स्कूल में प्राइवेट स्कूल से अच्छी सुविधाएं मिल रहीं हैं।"

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समय-समय पर बच्चे करते हैं जागरूकता कार्यक्रम

इस विद्यालय के बच्चे समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम भी करते हैं। गाँव में शौचालय के प्रयोग, साफ-सफाई जैसे मुद्दों पर जागरूक करते हैं। फहीम बताते हैं, "अगर हम बच्चों को जागरूक कर पाए तो समझिए उनके अभिभावक भी जागरूक हो गए हैं, इसलिए हम समय पर जागरूकता रैली निकालते हैं।"


ग्राम प्रधान का भी मिलता है पूरा सहयोग

ग्राम प्रधान प्रेमलता अग्रहरि भी समय-समय पर इनकी मदद करती रहती हैं। उन्होंने चौदहवें वित्त से छह बनवाए जा रहे हैं तो बच्चों को शुद्ध पानी पिलाने के लिए आरओ भी लग गया है। ग्राम प्रधान बताती हैं, "ग्राम पंचायत का जो बजट आता है, गाँव के विकास के लिए ही होता है और अगर स्कूल बेहतर होगा तो ग्राम पंचायत की भी स्थिति सुधरेगी।"

कमजोर बच्चों के लिए हर दिन लगती है एक्स्ट्रा क्लास

हर दिन फहीम स्कूल के समय के बाद बच्चों को दो घंटे एक्स्ट्रा देते हैं, जिसमें कमजोर बच्चों के लिए स्पेशल क्लास लगती है। फहीम बताते हैं, "सभी बच्चे पढ़ने में एक जैसे नहीं होते हैं, कुछ बच्चे एक बार में कुछ समझ नहीं पाते, इसलिए ऐसे कमजोर बच्चों के लिए हर दिन दो घंटे की कोचिंग भी देता हूं, जिससे वो बच्चे भी पढ़ने में आगे रहें।"

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स्मार्ट क्लास में होती है डिजिटल बोर्ड पर पढ़ाई

जनसहयोग से यहां पर डिजिटल बोर्ड भी लग गया है, जिसपर अब बच्चों को पढ़ाया जाता है। बच्चे अब किताब के साथ-साथ डिजिटल बोर्ड पर भी पढ़ते हैं। विद्यालय परिसर में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। रोज स्कूल में सफाई होती है। स्कूल की सफाई की जिम्मेदारी एसएमसी सदस्यों ने ले रखी है। पूरे परिसर को बहुत सुंदर तरीके से सजाया गया है। बच्चों को प्रेरित करने के लिए देश के महान लोगों की पेंटिंग भी बनाई गई है। प्रधानाध्यापक के प्रयास से इस विद्यालय का नाम आज पूरे जिले में हो गया है।

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