धान की फसल में नीम की खली देगी अच्छी पैदावार

Devanshu Mani Tiwari | Jun 08, 2017, 15:41 IST
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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। आजकल किसान फसलों की जल्द पैदावार पाने के लिए खेतों में तरह तरह के रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। रासायनिक उर्वरक एकतरफ मृदा उर्वरक क्षमता घटाते हैं, वहीं फसलों की गुणवत्ता भी कम करते हैं। ऐसे में धान की खेती में नीम की खली एक अच्छे जैविक उर्वरक के रूप में काम कर सकती है।

धान की खेती कर रहे किसानों के लिए नीम की खली खाद को लाभदायक बताते हुए भूमि सुधार प्रयोगशालाए कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के इंचार्ज धीरज कुमार भारती बताते हैं,’’ धान की खेती कर रहे किसान नीम की खली को खाद की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। नीम की खली में दूसरी फसलों की खलियों की तुलना में सल्फर और आर्गनिक नाइट्रोजन की मात्रा अधिक पाई जाती है।

नीम की खली को अगर किसान यूरिया के साथ धान के खेत में डाले तो, यह एक अच्छे नाइट्रेजेनस उर्वरक के रूप में काम करता है।’’ खली खाद मुख्यरूप से नीम, मूंगफली और तिल जैसी फसलों के तेल निकालने के बाद बचा हुआ होता है। खली खाद हानिकारक रसायनिक खादों की तुलना में अच्छा काम करती है और इस खाद का मिट्टी पर भी कोई उल्टा प्रभाव नहीं होता है।

“खली खाद के इस्तेमाल करने से खेत की मिट्टी में नमी बनी रहती है। इसको एक हेक्टेयर खेत में 20-30 किलोग्राम खली डालनी चाहिए। इसके इस्तेमाल से फसल में लगने वाले खतरनाक रोगों के प्रकोप को कम किया जा सकता है।’’ धीरज कुमार भारती बताते हैं।

नीम की खली धान की फसल के अलावा गन्ने व सभी प्रकार की सब्जियों की खेती में भी काफी कारगर जैविक खाद है। इस खाद के इस्तेमाल से गन्ने में लगने वाला मौजेक और दीमक रोगों का प्रकोप कम हो जाता है। रासायनिक उर्वरकों का प्रभाव फसल पर छिड़काव करने से 15 से 20 दिन तक रहता है, लेकिन नीम की खली खाद का असर फसल पर पकने तक रहता है।

भूमि सुधार प्रयोगशाला यूपी के इंचार्ज धीरज कुमार भारती बताते है, धान की खेती कर रहे किसान नीम की खली को खाद की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। नीम की खली में दूसरी फसलों की खलियों की तुलना में सल्फर और आर्गनिक नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। नीम की खली को अगर किसान यूरिया के साथ धान के खेत में डाले तो, यह एक अच्छे नाइट्रेजेनस उर्वरक के रूप में काम करता है।

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