देश में सबसे अधिक कर्ज़दार हैं यूपी के किसान

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देश में सबसे अधिक कर्ज़दार हैं यूपी के किसानउत्तर प्रदेश के किसान भी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं।

वरिष्ठ संवाददाता

लखनऊ। कर्जमाफी और अपनी उपज को उचित दाम मिले, इन मांगों को लेकर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के किसान भी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। देश के 10 बड़े कर्जदार राज्यों में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है।

विभिन्न बैंकों से देशभर के किसान कितना कर्ज लिए, इस पर 30 सितंबर 2016 को अंतिम आंकड़ा जारी किया गया था, जिसके मुताबिक देश के 10 बड़े कर्जदार राज्यों में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है। प्रदेश के 79,08,100 किसान परिवार कर्ज में डूबे हुए हैं। किसान कर्जदार परिवारों में जहां महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है, वहीं राजस्थान तीसरे स्थान पर है।

नई दिल्ली में रहने वाले कृषि नीति के जानकार रमनदीप सिंह मान ने बताया, “पिछले दो दशक से विभिन्न सरकारों ने जिस तरह से खेती की अनदेखी की है। उसी का नतीजा है कि आज देश का किसान कर्जदार है।“ रमनदीप सिंह मान के किसानों की आर्थिक स्थिति का अध्ययन करके लगातार किसानों के लिए बेहतर नीतियां बनाई जाए, इसके लिए काम कर रहे हैं।

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कानपुर देहात जिले के किसान रहीम कहते हैं, “चार बीघा जमीन में 75,000 का लोन बैंक ऑफ बड़ोदा बारा से लिया था। फसल अच्छी नहीं हो पाई, जिसके कारण आज तक कर्ज नहीं चुका पाया। उत्तर प्रदेश सरकार के कर्जमाफी की घोषणा हुए दो महीने हो गए, लेकिन कर्जमाफी नहीं हुई। अभी 15 दिन पहले बैंक में जाकर मैनेजर से पूछा तो वो बताते हैं कि अभी कोई लिस्ट नहीं आई है।“

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में चार अप्रैल को प्रदेश के 86 लाख लघु और सीमांत किसानों को कर्जमाफी का तोहफा दिया था। लेकिन सरकार के इस फैसले के दो महीना पूरा होने के बाद कर्जमाफी की आस लगाए किसानों को निराशा होने लगी है। किसानों को उम्मीद थी कि कर्जमाफी होने पर एक तरफ जहां उन्हें कर्ज से छुटकारा मिलेगा, वहीं उन्होंने कर्ज की जो एक-दो किश्त जमा की हैं, उसका पैसा वापस मिलेगा। कर्जमाफी की जानकारी लेने के लिए प्रदेशभर के किसान संबंधित बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बैंक की तरफ से उनको कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।

विभिन्न बैंकों के संयुक्त आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सीमांत और लघु किसानों पर 9,22,126 करोड़ रुपए का फसली ऋण है। ये आंकड़ा सितंबर 2016 तक का है। यूपी सरकार ने दो महीना पहले ही किसानों के फसली ऋण पर एक लाख रुपए कर्जमाफी की घोषणा की है। इस कर्जमाफी में मवेशियों और पम्पिंग सेट के लिए जो ऋण लिया जाता है, उसको इसमें शामिल नहीं किया गया है।

ललितपुर जिले के बिरधा ब्लॉक के ग्राम टिकरा तिवारी के रमेश तिवारी कहते हैं, “खरीफ की फसल बोने का समय है, कर्जमाफी का पैसा समय पर मिल जाता तो बुवाई में आसानी होती लेकिन कर्जमाफी का पैसा कब मिलेगा यह कोई बताने वाला नहीं है।“

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भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मल्लिक बताते हैं, “उत्तर प्रदेश में किसानों की हालत चिंताजनक है। योगी सरकार ने किसानों की कर्जमाफी की जो घोषणा की है, वह आधी-अधूरी है। वैसे भी कर्जमाफी से ही सिर्फ खेती की हालत नहीं सुधरेगी। सरकार को यह सोचना होगा कि आखिर किसान कर्जदार हो क्यों रहा है? किसानों को उनकी उपज का लाभ नहीं मिलता। ऐसे में खेती करने के लिए जो ऋण लिए गए हैं, किसान उसको चुका ही नहीं पाता।

कृषि नीतियों के जानकार देविंदर शर्मा बताते हैं, “सरकार की आर्थिक नीतियों का नतीजा है कि किसान कर्ज में डूबा है। सरकार ने किसानों को जान-बूझकर गरीब रखा। कृषि को व्यवस्थित तौर पर आर्थिक रूप से अलाभप्रद बनाया गया, जिसके कारण किसान कर्ज के दुश्च्रक में फंस गए। स्थिति यह है कि पिछले एक दशक में कृषि ऋणग्रस्तता में 22 गुना की बढ़ोतरी हुई है।“

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