इस स्कूल में कमजोर बच्चों के लिए चलती है स्पेशल क्लास

स्कूल में शैक्षिक वातावरण इस तरह से संजोया गया है कि बच्चों को खेलने-कूदने से लेकर पढ़ने तक का पूरा समय मिलता है। होमवर्क का बोझ बच्चों पर नहीं डाला जाता है, बच्चों के मानसिक स्तर और उनकी आयु का खास ध्यान रखा जाता है

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   14 Dec 2018 7:11 AM GMT

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इस स्कूल में कमजोर बच्चों के लिए चलती है स्पेशल क्लास

लखनऊ। "हमारे विद्यालय का हर बच्चा हमारे लिए एक सामान है। कई बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं इसके लिए विद्यालय में कमजोर बच्चों के लिए स्पेशल क्लास चलाई जाती है।" प्रधानाध्यापिका उषा तिवारी कहती हैं।

ऊषा तिवारी लखनऊ ज़िले के विकास खंड चिनहट के पूर्व माध्यमिक विद्यालय चिनहट(बालक) की प्रधानाध्यापिका हैं। जहां बच्चों को पढ़ाने के लिए नई पहल की गई है।

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ऊषा तिवारी ने आगे बताया, " स्कूल में शैक्षिक वातावरण इस तरह से संजोया गया है कि बच्चों को खेलने-कूदने से लेकर पढ़ने तक का पूरा समय मिलता है। होमवर्क का बोझ हम लोग बच्चों पर नहीं डालते हैं। बच्चों के मानसिक स्तर और उनकी आयु का खास ध्यान रखा जाता है।"

" प्रत्येक कक्षा में ऐसे बच्चों को चिन्हित किया गया है, जो पढ़ने में थोड़े कमजोर होते हैं। इनके लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगती हैं। ऐसे बच्चे अब बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। समय समय पर होने वाली परीक्षाओं में उनके अंक भी अच्छे आते हैं। हमारा हरसंभव प्रयास रहता है कि बच्चों के लिए शिक्षा का ऐसा वातावरण तैयार करें, उनकी मनोदशा के अनुरूप हो और बच्चे तनाव की जगह अच्छा महसूस करें।" वो आगे कहती हैं।

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सहायक अध्यापक शशिभूषण मिश्रा ने बताया, " हमारे विद्यालय में हर विषय पर ध्यान दिया जाता है, लेकिन बच्चों को विज्ञान का प्रेक्टिकल करने में बहुत मजा आता है। बीएसए के सहयोग से हम लोगों ने विद्यालय परिसर में एक प्रयोगशाला बनाई है। सप्ताह में एक दिन बच्चों को विभिन्न प्रयोग कराए जाते हैं। मेरा मामना है कि किसी बच्चों को अच्छी तरह से समझाने के लिए उसे रटाने की जगह प्रेक्टिकल करके बताना चाहिए, इससे बच्चे को वह टॉपिक अच्छी तरह से याद आ जाता है। इस तरह से पढ़ने में बच्चों का मन भी लगता है।"

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कक्षा आठवीं के छात्र सूरज वर्नवाल ने बताया, " मुझे पढ़ लिखकर इंजीनियर बनना है, इसके लिए मैं खूब मेहनत से पढ़ाई करता हूं। मेरे स्कूल के मास्टर साहब भी बहुत अच्छे से पढ़ाते हैं। मुझे सबसे अच्छा प्रयोगशाला में प्रयोग करने में आता है।"


अनुशासन का पढ़ाया जाता है पाठ

प्रधानाध्यापिका ने बताया, " इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे काफी उदंड थे। समय से विद्यालय नहीं आते थे। लेकिन हम अध्यापकों ने मिलकर स्कूलों में अनुशासन का पाठ पढ़ाया। बच्चों को यह बताया कि अनुशासन में रह कर ही अच्छा इंसान बना जा सकता है। पहले हमारे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रहती थी। लेकिन हमारे अथक प्रयास से आज 80 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति रहती है। हमारे विद्यालय में 103 बच्चे पंजीकृत हैं।"

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