इस स्कूल की दीवारें ही बन गईं किताब, स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए दीवारों पर लिखे हैं स्लोगन

इस पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को अब वजनदार बस्ता नहीं उठाना पड़ता है। स्कूल की दीवारों पर अच्छे ढंग से पाठ्यक्रम के फ्लैक्स लगाए गए हैं, जिससे बच्चों को पढ़ाई के लिए किताबों की ज़रूरत नहीं पड़ती है

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   14 Dec 2018 12:40 PM GMT

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इस स्कूल की दीवारें ही बन गईं किताब, स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए दीवारों पर लिखे हैं स्लोगन

चित्रकूट। इस पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को अब वजनदार बस्ता नहीं उठाना पड़ता है। स्कूल की दीवारों पर अच्छे ढंग से पाठ्यक्रम के फ्लैक्स लगाए गए हैं, जिससे बच्चों को पढ़ाई के लिए किताबों की ज़रूरत नहीं पड़ती है । हर कक्षा में पर्यावरण, ध्वनि प्रदूषण, जलचरों का जीवन, विज्ञान से जुड़ी पेंटिंग हैं।

ये विद्यालय है चित्रकूट विकासखंड के कालूपुर गांव का पूर्व माध्यमिक विद्यालय। यहां के प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया, 'हमने प्रत्येक कमरे में बच्चों के हिसाब से पुताई कराई है। रचनात्मक कार्यो के फ्लैक्स टंगवाए। बच्चों को यह नया प्रयोग खूब भा रहा है। हर कमरा शिक्षण की नई कहानी बयां करता है। नैतिक मूल्यों और देश की महान विभूतियों के विचार हमें प्रेरणा देते हैं। इसलिए हमने महान विभूतियों की तस्वीरों और उनके कार्यों की फ्लैक्स लगवाए हैं।"

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उन्होंने आगे बताया, " पूरे स्कूल पर रंग रोगन कराया गया है। छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं। स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए स्कूल की दीवारों पर स्लोगन लिखे गए हैं। बच्चे खुले में शौच न करें, इसके लिए दीवार पर लिखे स्लोगन बच्चों को प्रेरित कर रहे हैं। विद्यालय में 52 बच्चे पंजीकृत हैं। "

सहायक अध्यापिका भावना जैन ने बताया, " हम लोग बच्चों को बहुत ही रोचक ढंग से पढ़ाते हैं, जिससे बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहै। बच्चों के लिए लूडो, सांप सीढी जैसे खेलों की भी सुविधा उपलब्ध है, जिससे बच्चे स्कूल आने को प्रेरित हों और बच्चे जब पहली कक्षा में आएं तो उनमें शिक्षा प्राप्त करने की ऊर्जा और ललक हो।

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समय से पहले आ जाते हैं अध्यापक

सकारी अध्यापकों की लापरवाही और लेटलतीफी की खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं, लेकिन इस विद्यालय में तैनात सभी अध्यापक समय से पहले आ जाते हैं। प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार ने बताया, " हम सभी लोग समय से पहले स्कूल आ जाते हैं, क्योंकि जब हम समय से विद्यालय आएंगे तो बच्चों के अंदर भी समय से आने का विचार आएगा। आज हमारे विद्यालय में नौ बजे तक प्रार्थना जरूर हो जाती है। समय से पहले आने का यह फायदा मिलता है कि जब तक बच्चें आते हैं तब तक विद्यालय की साफ-सफाई हो जाती है।"


अभिभावकों का मिलता है पूरा सहयोग

सहायक अध्यापिका गीता देवी ने बताया, " अनुशासन इस विद्यालय के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों की दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। जिससे वह अन्य विद्यालयों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। विद्यालय की दशा सुधारने के लिए वह अपने वेतन का कुछ हिस्सा नियमित रूप से खर्च करते हैं। छात्र-छात्राओं के अभिभावक भी उनका खुलकर साथ देते हैं।"

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बच्चे खुद बनाते हैं शानदार पेंटिंग

विद्यालय के बच्चे वैसे हर विषय में निपुण हैं, लेकिन कला विषय में बच्चों को महारथ हासिल हैं। बच्चे एक से बढ़कर एक पेंटिंग बनाते हैं। बच्चों द्वारा बनाई गई कई पेंटिंग को स्कूल की दीवारों पर सजाया गया हे। " कक्षा सात के मोनू ने बताया, " मुझे पेंटिंग बनाना बहुत अच्छा लगता है। हमारे सर और मौडम हमें बहुत अच्छे से पढ़ाते हैं।"

आत्मविश्वास से भरे हैं बच्चे

अक्सर देखने में आता है कि बच्चे का सब कुछ पता होता है लेकिन मंच या माइक पर बोलने पर वह झिझकता है। लेकिन इस विद्यालय के बच्चों में गजब का आत्मविश्वास है। स्कूल का हर बच्चा मंच पर खड़े होकर बड़ी निर्भिकता से अपनी बात को रखता है। इसके लिए रोज सुबह माइक पर बच्चों को बुलाकर अभ्यास कराया जाता है।

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