अचार बनाने का हुनर आज बन गया व्यापार, इससे कई महिलाओं को मिला रोजगार

अचार बनाने के हुनर से शोभा देवी आज 10 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। कम पूंजी से शुरू हुआ इनका कारोबार आज सालाना तीन चार लाख रुपए तक के टर्नओवर पर पहुंच गया है।

Neetu SinghNeetu Singh   7 Aug 2019 11:01 AM GMT

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अचार बनाने का हुनर आज बन गया व्यापार, इससे कई महिलाओं को मिला रोजगार

रांची (झारखंड)। शोभा देवी के बने अचार की मांग आज रांची से लेकर दिल्ली तक है। अब इन्हें अचार बनवाने के लिए सीजन में 10 महिलाओं की रोजाना जरूरत पड़ती है। कभी घर के काम तक सीमित रहने वाली शोभा आज अपने इस हुनर से हर महीने 10-12 हजार रुपए घर बैठे कमा लेती हैं।

रांची जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर नामकुम प्रखंड के कुटियातू गाँव की रहने वाली शोभा देवी (35 वर्ष) अपने पक्के मकान को दिखाते हुए बोलीं, "ये पूरा मकान मैंने अचार बेचकर ही बनवाया है। घर में आपको जितनी सुख-सुविधाएं दिख रही हैं ये सब अचार बेचकर ही हुआ है। हर महीने की आमदनी छोड़कर केवल एक सरस मेला में डेढ़ दो लाख रुपए का अचार बिक जाता है। अगर साल में दो तीन मेले मिल जाते हैं तो अच्छी बचत हो जाती है।" ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए हर साल ग्रामीण विकास विभाग सरस मेला का आयोजन करता है।

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ये हैं शोभा देवी जो अचार बनाने के हुनर से बन गईं सफल उद्यमी

कम पूंजी में शुरू हुआ शोभा देवी का बिजनेस आज सालाना तीन चार लाख रुपए के टर्नओवर पर पहुंच गया है। ये ओल, बांस, करील, आम, कटहल, मिर्च, टमाटर, करेला जैसी कई चीजों का अचार बनाती हैं। इसके आलावा जामुन सिरका, जामुन बीज पाउडर भी बेचती हैं। इस बिजनेस के आलावा ये मधुपालन और पशुपालन का काम भी करती हैं जिससे इन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है।

शोभा देवी की साधारण महिला से सफल उद्यमी बनने की कहानी काफी दिलचस्प है। अचार बनाने का हुनर इन्होंने अपनी माँ से सीखा था। कभी इनका हुनर एक बिजनेस का रूप ले लेगा इस बात का अंदाजा इन्हें भी नहीं था। ये बताती हैं, "जब घर में माँ अचार बनाती थी तो मैं देखती थी। फिर धीरे-धीरे मैं भी बनाने लगी। घर में खाने का अचार बनाते थे कई लोग खाकर तारीफ़ करते थे तो सोचा इसको बनाकर बेचने लगूं। क्योंकि पति मजदूरी करते थे जिससे घर का खर्चा नहीं चलता था।"

वो आगे बताती हैं, "पहले अचार छोटे स्तर पर बनाती थी जो आसपास के लोग ही खरीदते थे लेकिन जबसे सखी मंडल से जुड़ी तबसे इसे बड़े स्तर पर बनाने लगी हूँ। सखी मंडल की वजह से कई जगह लगने वाले सरस मेले में जाने का मौका मिलने लगा जहाँ एक साथ हफ्ते भर में एक लाख से ज्यादा आमदनी हो जाती है।"

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खड़े मसाले घर में पीसकर बनाती हैं अचार

ग्रामीण विकास विभाग,झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के प्रयास से झारखंड में गरीब महिलाओं को सखी मंडल से जोड़ा जा रहा है। सखी मंडल से जुड़कर ये महिलाएं सप्ताह में 10 रुपए जमा करती हैं और जरूरत पड़ने पर कम पैसे में यहाँ से लोन लेती हैं।

सखी मंडल से लोन लेकर आज हजारों महिलाएं परचून की दुकान, सिलाई की दुकान, ब्यूटी पार्लर की दुकान जैसे कई काम कर रही हैं। जबकि कुछ महिलाएं अलग-अलग तरह के बिजनेस शुरू कर रही हैं जो आज खुद कई महिलाओं को रोजगार देने में सक्षम हो गयी हैं इनमें शोभा देवी एक हैं। शोभा देवी वर्ष 2014 में लक्ष्मी श्री महिला समिति से जुड़ीं। आज ये अपने आसपास की 10 महिलाओं को रोजगार देती हैं।

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शोभा देवी ने बताया, "आसपास की दुकान वाले हमारे यहाँ से अचार खरीदकर अपनी दुकान पर ले जाकर बेचते हैं। महीने में एक कुंतल से ज्यादा अचार घर से ही बिक जाता है। पिछले साल धनबाद सरस मेले में एक लाख तीस हजार रुपए का अचार बेचा और दिल्ली में ढाई लाख रुपए का बेचा।" घर के बाहर खड़ी गाड़ी को दिखाते हुए बोलीं, "इसी बिजनेस से ये सेकेण्ड हैण्ड स्कार्पियो खरीद ली है जिसे अब पति चलाते हैं। कई सारे जानवर पालें हैं जिसका दूध बेचते हैं जिससे अच्छी आमदनी होती है। अचार, दूध और मधुमक्खी से होने वाली महीने की आमदनी देखी जाए को बीस पच्चीस हजार पहुंच जाती हैं।"

झारखंड की ये महिलाएं आज बदलाव की नई कहानियाँ लिख रही हैं। हजारों महिलाएं मजदूरी छोड़ सफल उद्यमी बन गयी हैं। ये अपने घर की बागडोर सम्भालने के साथ-साथ दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। आज ये महिलाएं देश की लाखों महिलाओं के लिए उदाहरण बन चुकी हैं।

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