खेती और किसान को बजट 2022 में क्या मिला? किस मद में बढ़ा पैसा कहां हुआ कम?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक ये बजट किसानों की आमदनी को बढ़ाने वाला है। बजट में धान-गेहूं की एमएसपी पर खरीद बढ़ाने, प्राकृतिक खेती, किसान ड्रोन की बातें जोर-शोर से की गई हैं। देखिए कृषि से जुड़े सेक्टर में किस मद को क्या मिला?

Update: 2022-02-01 12:58 GMT

आम बजट में खेती और किसानों को क्या मिला। देखिए पूरी लिस्ट

लखनऊ/नई दिल्ली। साल 2022-23 के लिए कृषि और उससे जुड़े सेक्टर का बजट 151521 करोड़ रुपए है। साल 2021-22 का बजट अनुमान 148301 करोड़ रुपए थे। साल 2023 को मोटे अनाजों का वर्ष घोषित किया गया है। साल 2021-22 में 163 लाख किसानों से 2018 मीट्रिन धान गेहूं खरीदने का लक्ष्य है, जिसके एवज में उनके खातों में 2.37 लाख करोड़ रुपए जाएंगे।

संसद में बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "बजट के प्रावधान यह सुनिश्चित करने वाले हैं कि कृषि लाभप्रद हो, इसमें नए अवसर हों। कृषि में नए एग्री स्टार्टअप को प्रोत्साहन मिले। फूड प्रोसेसिंग के लिए नए पैकेज हो, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।"

आम बजट को वित्त मंत्री ने भारत के अगले 25 साल का ब्लू प्रिंट बताया। जिसमें किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं देने का जिक्र किया गया। किसान ड्रोन के जरिए खेतों में फसल का आंकलन और रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव किया जाएगा। यूपी से पश्चिम बंगाल तक गंगा के किनारे बसे राज्यों में गंगा के 5 किलोमीटर के कॉरिडोर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। बजट के मुताबिक कृषि और ग्रामीण उद्यमों से संबंधित स्टार्ट-अप्स के वित्त पोषण के लिए कोष की शुरुआत की जाएगी। बुंदेलखंड में 44605 करोड़ रुपए की केन बेतवा लिंक योजना से 62 लाख लोगों के फायदे की बात की गई है। जिसमें 9.08 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।


गांव गरीब किसान को नहीं बल्कि कॉरपोरेट मित्रों को होगा लाभ: राकेश टिकैत

आम बजट को लेकर किसान नेताओं ने निराशा जताई है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि बजट से गांव किसान का नहीं बल्कि कॉरपोरेट मित्रों का लाभ होगा। टिकैत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "खेती में वित्तीय आवंटन को कम किया गया है। पिछले साल के मुकाबले कुल बजट का कृषि के आवंटन भी कम कर दिया गया है। किसानों की आय दोगुनी करने, किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, फसलों की खरीद हेतु प्रधानमंत्री आशा स्कीम में आबंटन घटाना, पराली न जलाने हेतु आवटन को खत्म करना,एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को कम करना, बीज,कीटनाशक, खरपतवार नाशी, ट्रैक्टर समेत कृषि यंत्रों,पशुओं व पोल्ट्री फीड आदि में जीएसटी की दरों में राहत न देने आदि से स्पष्ट है कि कृषि की बजट की इतनी उपेक्षा आजाद भारत के इतिहास में कभी नही हुई है।"

बजट को लेकर किसने क्या बोला, किसान और कृषि जानकारों की क्या प्रतिक्रिया आई इससे पहले ये जान लीजिए की 10 प्रमुख मदों में सरकार ने कितने बजट का आवंटन किया है।

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किसान सम्मान निधि न बढ़ने से किसान निराश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुचर्चित और फ्लैगशिप स्कीम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए साल 2022-23 में 68000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में पीएम किसान के लिए बजट अनुमान 65000 करोड़ रुपए था जो संसोधित अनुमान में 67500 करोड़ रुपए हो गया था। वहीं 2020-21 में इस मद में 60990 करोड़ रुपए शामिल थे। योजना के तहत लघु और मध्यम किसानों को साल 2000 रुपए की तीन किस्तों में 6000 रुपए सीधे उनके खातों में भेजे जाते हैं। बजट सत्र से पहले अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि "प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस निवेश से कृषि क्षेत्र में आज बड़े बदलाव दिखाई दे रहे हैं।"

खेती की बढ़ती लागत को देखते हुए किसान और किसान नेता पीएम किसान निधि में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे उन्हें हताशा हाथ लगी है। किसान स्वराज के संयोजक योगेद्र यादव ने कहा, "केंद्रीय बजट ने एक बार फिर किसानों को निराश किया है। वित्त मंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने के विषय को संबोधित भी नहीं किया, जिसे इस वर्ष तक हासिल किया जाना था। कृषि और उससे जुड़े हुए क्षेत्रों के लिए कुल बजटीय आवंटन 4.26 प्रतिशत से घटाकर 3.84 प्रतिशत कर दिया गया। मुद्रास्फीति के कारण किसान सम्मान निधि के पैसे में 15% की कमी आई है, लेकिन बजट ने इस पर ध्यान नहीं दिया।"

उर्वरक बजट में कटौती

पिछला पूरा साल खाद संकट से गुजरा है। साल 2022-23 में उर्वरक का अनुमानित बजट 105222 करोड़ रुपए है जो 2021-22 के अनुमान (79530 करोड़ रुपए) ज्यादा है। लेकिन संसोधित बजट अनुमान 140122 करोड़ रुपए से कम है। इसके अलावा यूरिया सब्सिडी की बात करें तो साल 2022-23 के लिए 63222 करोड़ का आवंटन हुआ जो 2021-22 के अनुमान (58768) और संसोधित (75930) से कम है।

विदेश में कच्चे माल की उच्च कीमतों के चलते पिछले साल उर्वरकों की कीमतों में न सिर्फ बढ़ोती हुई थी बल्कि यूरिया-डीएपी से लेकर एनपीके के लिए पूरे साल किसान परेशान रहे हैं।

प्रधानमंत्री सिंचाई योजना का बजट बढ़ा

प्रधानमंत्री सिंचाई योजना माइक्रो इरीगेशन के यानि मोर क्रॉप पर ड्रॉप के तहत साल 2022-23 में 12954 करोड़ रुपए का बजट अनुमानित है। साल 2021-22 के बजट अनुमान 11588 और संसोधित अनुमान 12706 करोड़ रुपए था। साल 2020-21 में ये बजट 7877 करोड़ रुपए का था। योजना के तहत ड्रिप इरीगेशन, रेन गन आदि योजनाओं के लिए सब्सिडी दी जाती है। माइक्रो इरीगेशन में केंद्र के अलावा राज्य सरकारों भी सब्सिडी में अपना हिस्सा देती हैं। इस तरह माइक्रो इरीगेशन पर सब्सिडी 50 फीसदी से लेकर 85 फीसदी तक पहुंचती है लेकिन इसमें नियम-कायदे बाधा बनते हैं। देश की प्रमुख माइक्रो इरीगेशन कंपनी जैन इरीगेशन से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. बीडी जडे कहते हैं, "माइक्रो इरीगेशन में बजट बढ़ना स्वाभाविक था लेकिन इसमें सब्सिडी केंद्र स्तर पर और बढ़ाए जाने की जरुरत है। इससे किसान ज्यादा इस योजना की तरफ आकर्षित होते।"


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कटौती

किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, बरिश, ओला सूखा, आदि के जोखिम दौरान मदद के लिए संचालित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में साल 2022-23 के दौरान बजट अनुमान 15500 करोड़ रुपए का है। हालांकि साल 2021-22 का बजट अनुमान 16000 करोड़ रुपए का था जो जो संसोधित अनुमान 2021-22 में 15989 रुपए का हो गया था। साल 2020-21 का वास्तविक बजट 14161 करोड़ रुपए का था। साल 2021 प्राकृतिक आपदाओं का साल रहा है। यूपी, बिहार,महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक और मध्य प्रदेश तक भारी अतिवृष्टि, बाढ़ की चपेट में रहे तो गुजरात का एक हिस्सा सूखे की मार भी झेल चुका है। ऐसे में किसानों को उम्मीद थी की फसल बीमा योजना के मद में बजट में बढ़ोतरी होगी।

कृषिन्नति योजना को फिर बजट आवंटित

कृषिन्नोति योजना में 7183 करोड़ रुपए का आवंटन। साल 2020-21 और 2021-22 में इस योजना के मद में कोई बजट आवंटित नहीं था। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए शुरु की गई कृषिन्नोति योजना को साल 2018 में 33269.79 करोड़ का बजट आवंटित हुआ था। यह एक तरह की छतरी योजनाएं, जिसमें 11 योजनाएं शामिल हैं। योजना के मूल में कृषि में वैज्ञानिक तरीकों के अपनाने पर जोर था। माना जा रहा है किसान ड्रोन जैसी घोषणाएं इसी योजना के तहत मूर्त रुप लेंगी।

सोलर पंप और सोलर ग्रिड

प्रधानमंत्री कुसुम योजना (किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान) PM-KUSUM के तहत किसानों अपने खेत और बंजर जमीन पर सोलर पैनल लगा सकते हैं। योजना के मद में इस साल 1716 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। योजना के तहत 90 फीसदी तक सब्सिडी पर किसान अपने खेतों में 2, 3 और 5 मेगावॉट के सोलर पंप लगा सकते हैं। इस योजना को अरुण जेटली के कार्यकाल में 2018-19 में शुरु किया गया था। शुरुआत में योजना सिर्फ बिजली से प्रभावित इलाकों में थी लेकिन योजना का लक्ष्य देशभर के सभी बिजली और डीजल से संचालित पंपों को सोलर से जोड़ने की है।

वित्त वर्ष 2022-23 में किसान सोलर (ग्रिड) योजना के तहत 3304 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। योजना के तहत लाभकारी किसान न सिर्फ अपने लिए बिजली उत्पादन कर सकते हैं बल्कि शेष बिजली को ग्रिड को बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। इस योजना का मुख्य लक्ष्य ऐसे इलाकों के किसानों को लाभ पहुंचाना है जहां पर जमीन खेती योग्य नहीं है।

ये चार्ट वित्तीय वर्ष 2021-22 में कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन का है


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