भीषण गर्मी में गर्भवती महिलाओं की देखभाल बनी चुनौती

राजस्थान में भीषण गर्मी के मौसम में आशा वर्कर्स को गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों तक लाने और उनकी जांच व टीकाकरण कराने में अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को उन्हें हीट वेव से बचाव के लिए अधिक समझाना पड़ रहा है। इसके साथ ही उनके परिवार की भी काउंसलिंग करनी पड़ रही है।

23 साल की मोनू कुमारी सैनी का पहला बच्चा होने वाला था, बढ़ती गर्मी से उनकी हालत खराब हो गई, अस्पताल पहुंची तो उनकी तबीयत ठीक ठीक पायी। 

राजस्थान के दौसा के लवाण गाँव की रहने वाली मोनू गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “गर्मी के दौरान मुझ चक्कर आने, पानी की कमी और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस हुए। बच्ची को जन्म देने के बाद अब सब कुछ ठीक है। अस्पताल में स्टाफ ने पूरा ध्यान रखा।”

राजस्थान के दौसा के लवाण गाँव की रहने वाली मोनू

वहीं बस्सी के नयागांव की 21 वर्षीय धोली मीणा ने हाल ही में अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया है। उसका पहला बच्चा 12 महीने का है। धोली मीणा बताती हैं, “गर्मी के मौसम में यात्रा करने में बहुत दिक्कत होती है। बार-बार प्यास लगती है। बच्चे को जन्म देने से पहले मुझे कमजोरी और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखाई दे रहे थे। अस्पताल में भर्ती होने और बच्चा होने के बाद अब मैं बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रही हूं। अब कोई दिक्कत नहीं है।”

बदलते मौसम और हीटवेव का असर गर्भवती महिलाओं पर भी पड़ रहा है। राजस्थान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से तेज गर्मी और हीट वेव को देखते हुए एडवाइजरी जारी की गई है। हीट वेव का सबसे अधिक प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ सकता है। हीट वेव पानी की कमी, थकावट और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है, जिससे समय से पहले जन्म, कम वजन का बच्चा और भ्रूण विकास में समस्याएं हो सकती हैं। हीट वेव के कारण पानी की कमी से प्लेसेंटा में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। इससे भ्रूण को आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं मिल पाते हैं। यह समय से पहले प्रसव और कम वजन के बच्चे का खतरा बढ़ाता है। 

बस्सी के नयागांव की 21 वर्षीय धोली मीणा

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, साल 2009 से 2022 के बीच हीट वेव के चलते देश में 6,751 लोगों की मौत हुई थी। वहीं एनडीएमए के मुताबिक, यह आंकड़ा 11,000 से अधिक है। इससे हीट वेव की भयावहता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी से पहले लगातार जांच के लिए अस्पताल ले जाने का काम आशा कार्यकर्ताओं के जिम्मे होता है। उन्हें अपना काम करने में काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है, क्योंकि गर्भवती महिलाएं गर्भधारण के शुरुआती महीनों में जांच कराने के लिए अस्पताल जाने में आनाकानी करती हैं। गर्मी में उन्हें यह काम झंझट का लगता है। 12 सप्ताह से पहले जांच कराने में गर्भवती महिलाओं से ज्यादा उनकी सास और परिवार के सदस्य आनाकानी करती हैं। उन्हें लगता है कि बहू को इतनी गर्मी में अस्पताल ले जाने में दिक्कत बहुत है। आशा वर्कर्स जैसे-तैसे गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले भी आती हैं, तो डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को उन्हें हीट वेव से बचाव के लिए अधिक समझाना पड़ता है। इसके साथ ही उनके परिवार की भी काउंसलिंग करनी पड़ रही है।

जयपुर की आगरा रोड स्थित ग्रीन पार्क आंगनबाड़ी की आशा वर्कर रेखा जोशी कहती हैं, “गर्मियों में आठ सप्ताह तक तो अधिकतर गर्भवती महिलाएं अपनी स्थिति के बारे में बताती ही नहीं हैं। उन्हें गर्मियों में चेकअप कराना एक मुसीबत जैसा लगता है। उनको लगता है कि कौन गर्मी में बाहर निकलेगा और अस्पताल के चक्कर लगाएगा। हम बड़ी दिक्कतों से उन्हें अस्पताल लेकर आते हैं। उनके पति और सास को बहुत समझाना पड़ता है, तब जाकर वे अस्पताल आने के लिए तैयार होती हैं।”

वो आगे कहती हैं, “गर्भवती महिलाओं को हीट वेव के दौरान बहुत एहतियात बरतने की जरूरत होती है। हम उनके टीकाकरण, जांच और दवाओं के साथ ठंडी चीजें खाने पर जोर देते हैं। इसके लिए उन्हें समझाने में हमें बहुत मेहनत करनी पड़ती है। 12 सप्ताह से पहले जांच कराने में गर्भवती महिलाओं से ज्यादा उनकी सास और परिवार के सदस्य आनाकानी करते हैं। उन्हें लगता है कि इतनी गर्मी में अस्पताल जाने में झंझट बहुत है।

गर्मी से बचाना पहली प्राथमिकता

इसी तरह जयपुर के जामडोली स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की आशा वर्कर ज्ञानबती शर्मा का कहना है कि हीट वेव के दौरान गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक गर्मी लगती है। उन्हें इससे बचाना हमारी पहली प्राथमिकता होती है। प्रत्येक महीने में उनकी चार बार जांच होती है। गर्मियों में उनमें हीमोग्लोबिन कम होता है और आयरन तथा कैल्शियम की कमी होती है, जिसके लिए जांच कराना और दवाएं दिलवाना हमारे जिम्मे होता है। ज्ञानबती कहती हैं कि हीट वेव से गर्भवती महिलाओं को बचाने के लिए हम खीरा, तरबूज, खरबूजे जैसी ठंडी चीजें खाने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही जूस, नारियल पानी और छाछ पीने की कहने पर भी हमारा जोर होता है। उनका कहना है कि हीट वेव के दौरान गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाना और उनकी जांच एवं टीकाकरण कराना बहुत कठिन काम है। गर्भवती महिलाओं की लगातार जांच व टीकाकरण के लिए उनके परिवार को समझाना भी बहुत मुश्किल काम होता है।

जच्चा-बच्चा का तापमान सामान्य रखना जिम्मेदारी

वहीं अस्पताल की यशोदा वर्कर सुशीला शर्मा कहती हैं कि हीट वेव के दौरान जच्चा-बच्चा का तापमान सामान्य रखना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। अगर ऐसा ना हो तो कई दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। अस्पताल की नर्सिंग अधिकारी अंशु बैरवा का कहना है कि पानी की कमी से प्री-डिलीवरी का जोखिम बना रहता है।

गर्मी अधिक होने पर ज्यादा एहतियात बरतनी पड़ती है। हम वार्ड में उनके लिए सभी जरूरी सुविधाएं दे रहे हैं। पीने का साफ व ठंडा पानी, कूलर, साफ-सुथरे बाथरूम, वेंटिलेशन, नाश्ते में दूध-दलिया, बिस्कुट, छाछ, फ्रूट और जूस जैसी सुविधाएं गर्भवती महिलाओं को लगातार दी जा रही हैं। गर्मी का अलर्ट जारी होने के बाद से ही सभी सुविधाओं पर हमारा पूरा फोकस होता है। अभी तक किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई है, जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, हम सुविधाओं में इजाफा करते चले जाएंगे।

हीट वेव से निपटने के लिए स्टाफ को ट्रेनिंग

मेडिकल इंचार्ज डॉ. विजेंद्र सिंह मीणा का कहना है कि हीट वेव से निपटने के लिए हम मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दे रहे हैं, उन्हें जरूरी एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं। हीट वेव में अधिक प्यास लगना, सिर दर्द और चक्कर आना, त्वचा का सूखना, शरीर का तापमान अधिक होना, जी मिचलाना व बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।”

वो आगे कहते हैं, “हीट वेव का सबसे अधिक असर कुपोषित बच्चों, बुजुर्गों एवं गर्भवती महिलाओं पर होता है। हमने सभी वार्डों में कूलर, पंखे, ठंडा पानी, ओआरएस व आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की कोशिश की है। स्टाफ को सतर्क रहने को कहा गया है। हीट वेव से पीड़ित रोगी के तुरंत इलाज करने के भी निर्देश दिए गए हैं। हम गर्भवती महिलाओं को तेज धूप में जाने से बचने और कोई भी लक्षण महसूस होने पर तुरंत अस्पताल आने की सलाह दे रहे हैं।

कई जोखिम उत्पन्न होने की संभावना

वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान हीट वेव के संपर्क में आने से गर्भवती महिलाओं में कई जोखिम उत्पन्न होने की संभावना होती है। इनमें उच्च रक्तचाप, दौरे के साथ उच्च रक्तचाप (एक्लेमप्सिया), गर्भाशय से रक्तस्राव तथा गर्भाशय ग्रीवा का बहुत जल्दी खुल जाना, जिससे समय से पूर्व बच्चे के जन्म का जोखिम बढ़ जाता है। हीट वेव से उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है, जो गर्भावस्था के लिए एक जटिलता है। हीट वेव के कारण गर्भाशय में रक्त प्रवाह कम हो सकता है, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। वहीं अत्यधिक गर्मी के संपर्क में लंबे समय तक रहने से गर्भवती महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, जिससे चिड़चिड़ापन, चिंता और अवसाद बढ़ सकता है।

एक्सपर्ट दे रहे हीट वेव से बचने के लिए सुझाव

एक्सपर्ट गर्भवती महिलाओं को हीट वेव से बचने के लिए कुछ सुझाव देते हैं। इसमें शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। अपने घर को ठंडा रखें और गर्मी के दौरान अनावश्यक बाहर निकलने से बचें। ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनें। ऐसे कपड़े गर्मी को कम अवशोषित करते हैं और शरीर को ठंडा रखते हैं। जब तक आवश्यक न हो, धूप के संपर्क में आने से बचें। गर्मी से संबंधित बीमारियों के लक्षणों के प्रति सचेत रहें। ऐसे कोई भी लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। एक्सपर्ट हीट वेव के खिलाफ महिलाओं के शरीर को मजबूत बनाने के लिए योग, व्यायाम और पौष्टिक आहार की भी वकालत करते हैं। वहीं जलवायु परिवर्तन के चलते लगातार बढ़ रही हीट वेव से बचाव के लिए सभी सरकारों को समाधान के अधिक प्रयास करने की जरूरत पर भी जोर देते हैं।

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