आप भी जानिए कैसे होती है चकबंदी, कैसे कर सकते हैं आप शिकायत

Ashwani Kumar Dwivedi | Apr 07, 2018, 14:27 IST
आप किसान नहीं हैं तो भी ये आप के काम की ख़बर है, इससे समझकर आप अपनी जमीन की नापजोख और चकबंदी करवा सकते हैं।
Chakbandi
गांव

अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार के बढ़ने के साथ खेती की जमीनों में बंटवारा होता रहता है। ऐसे में एक समय के बाद पैतृक खेत, बाग आदि की भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित होती रहती है। इसके कारण किसानों को छोटे जमीन के टुकड़ों पर खेती करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

इतना ही नहीं, एक लम्बे समय के बाद गांवों में खेत की सीमाओं सम्बन्धी विवाद, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण आदि की शिकायतें बढ़ जाती हैं, जिसके कारण सरकार चकबंदी कराती है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में अब तक प्रथम और दितीय चरण की चकबंदी में 1,27,225 गांवों की चकबंदी हो चुकी है और 4497 में चकबंदी चल रही है।

  • जोत चकबंदी अधिनियम की धारा 4(1), 4(2) के तहत गांवों में चकबंदी कराने के लिए राज्य सरकार विज्ञापन जारी कराती है। इसके बाद चकबंदी आयुक्त द्वारा धारा 4क (1), 4क (2) के तहत चकबंदी प्रक्रिया शुरू करने की अधिसूचना जारी करते है।
  • गांवों में चकबंदी की अधिसूचना जारी होने के बाद उस ग्राम के राजस्व न्यायालय मुकदमे अप्रभावी हो जाते हैं। इस दौरान चकबंदी बंदोबस्त अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी खातेदार (किसान) अपनी भूमि का उपयोग कृषि कार्य के अतिरिक्त नहीं कर सकता है।

  • चकबंदी के अधिसूचना जारी होने के बाद ग्राम में चकबंदी समिति का गठन भूमि प्रबंधन समिति के सदस्यों में से किया जाता है। यह समिति चकबंदी प्रक्रिया के प्रत्येक स्तर पर चकबंदी अधिकारियों को सहयोग और परामर्श देती हैं।
  • चकबंदी लेखपाल गांव में जाकर अधिनियम की धारा-7 के तहत भू-चित्र संशोधन, स्थल के अनुसार करता है और चकबंदी की धारा-8 के तहत पड़ताल कार्य करता है, जिसमें गाटो की भौतिक स्थिति, पेड़, कुओं, सिंचाई के साधन आदि का अकंन आकार पत्र-दो में करता है। इसके अलावा खतौनी में पाई गई अशुद्धियों का अंकन आकार-पत्र 4 में करता है।
  • पड़ताल के बाद सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा चकबंदी समिति के परामर्श से भूमि का विनिमय अनुपात का निर्धारण गाटो की भौगोलिक स्थिति आदि के आधार पर किया जाता है। अधिनियम की धारा-8 (क) के तहत सिद्धांतों का विवरण पत्र तैयार किया जाता है, जिसमें कटौती का प्रतिशत, सार्वजानिक उपयोग की भूमि का आरक्षण और चकबंदी की प्रक्रिया के दौरान अपनाए जाने वाले सिद्धांतों का उल्लेख किया जाता है।
  • प्रारंभिक स्तर पर की गई समस्त कार्यवाहियों से खातेदार को अवगत करने के लिए अधिनियम की धारा-9 के तहत आकार-पत्र 5 का वितरण किया जाता है, जिसमें खातेदार अपने खाते की स्थिति और गाटो के क्षेत्रफल की अशुद्धियां जान जाता है।
  • आकार-पत्र 5 में दिए गए विवरणों और खातेदारों से प्राप्त आपत्तियों के आधार पर सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा अभिलेखों को शुद्ध करते हुए आदेश पारित किये जाते हैं, जो खातेदार इन आदेशों से सहमत नहीं होते हैं, वो बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के यहां अपील कर सकता है।
  • धारा-9 के तहत वादों के निस्तारण के बाद धारा-10 के तहत पुनरीक्षित खतौनी बनाई जाती है, जिसमें खातेदारों की जोत सम्बन्धी, त्रुटियों को शुद्ध रूप में दर्शाया जाता है। सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा चकबंदी समिति के परामर्श से चकबंदी योजना बनाई जाती है और धारा-20 के तहत आकार पत्र-23 भाग-1 का वितरण किया जाता है।
  • चकबंदी बंदोबस्त अधिकारी द्वारा प्रस्तावित चकबंदी योजना को धारा-23 के तहत पुष्ट किया जाता है, जिसके बाद नई जोतों पर खातेदारों को कब्ज़ा दिलाया जाता है। यदि कोई खातेदार इस प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है तो खातेदार धारा-48 के तहत उप संचालक चकबंदी के न्यायालय में निगरानी वाद दायर कर सकता है।
  • अधिनियम की धारा-27 के तहत रिकॉर्ड (बंदोबस्त) तैयार किया जाता है, जिसमें आकार पत्र-41 और 45 बनाया जाता है। नए नक़्शे का निर्माण किया जाता है, जिसमें पुराने गाटो के स्थान पर नये गाटे बना दिए जाते हैं। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की हर स्तर पर गहन जांच की जाती है।
चकबंदी के हैं कई फायदे। फोटो प्रतीकात्मक।

ये भी पढ़ें- आसानी से समझें कि क्या होते हैं खेती को मापने के पैमाने... गज, गट्ठा, जरीब का मतलब

Tags:
  • Chakbandi
  • farmers

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.