भैंस के दूध उत्पादन में यूपी है नंबर 1, लेकिन गाय के दूध में ये राज्य है आगे
Gaon Connection | Aug 14, 2025, 12:58 IST
भारत का दूध उत्पादन 2024 में 239.30 मिलियन टन पहुंचा, जिसमें गाय का योगदान 53.12% और भैंस का 43.62% है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश शीर्ष उत्पादक राज्य हैं। जानिए राज्यवार दूध उत्पादन के आंकड़े, डेयरी सेक्टर के तथ्य और भविष्य की संभावनाएं।
भारत में दूध सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि पोषण, रोज़गार और अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। गाँव-गाँव में सुबह की शुरुआत दूध दुहने से होती है और शहरों में नाश्ता चाय या कॉफी के बिना अधूरा है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि देश में सबसे ज्यादा दूध कौन सा राज्य देता है।
भारत लंबे समय से दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, और यहाँ की डेयरी इंडस्ट्री करोड़ों किसानों की आजीविका का आधार है। ग्रामीण भारत में दूध केवल पोषण का स्रोत नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण आय का साधन भी है। बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2024 के अनुसार, वर्ष 2023-24 में देश का कुल दूध उत्पादन 239.30 मिलियन टन पहुंच गया।
इस उत्पादन में गाय का योगदान 53.12% (1,27,105.15 हजार टन) और भैंस का योगदान 43.62% (1,04,388.29 हजार टन) है। गाय का दूध प्रोटीन और लैक्टोज में अधिक होता है, जबकि भैंस का दूध वसा में समृद्ध (लगभग 7–7.5%) होने के कारण मिठाइयों और डेयरी उत्पादों में ज्यादा इस्तेमाल होता है।
उत्तर भारत में भैंस का दूध ज्यादा लोकप्रिय है, वहीं दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में गाय का दूध अधिक खाया-पिया जाता है।
1. उत्तर प्रदेश – देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य, कुल 37.45 मिलियन टन दूध (गाय: 13.10, भैंस: 24.35)।
2. राजस्थान – 31.59 मिलियन टन (गाय: 14.80, भैंस: 16.78), यहां थारपारकर और राठी जैसी नस्लें प्रसिद्ध हैं।
3. मध्य प्रदेश – 20.28 मिलियन टन (गाय: 10.08, भैंस: 10.19), यहां मिश्रित डेयरी खेती का बोलबाला है।
4. महाराष्ट्र – 15.68 मिलियन टन (गाय: 10.35, भैंस: 5.33), पश्चिमी महाराष्ट्र में दूध सहकारी संस्थाओं का नेटवर्क मजबूत है।
5. कर्नाटक – 13.42 मिलियन टन (गाय: 10.58, भैंस: 2.83), दक्षिण में दूध उत्पादन में अग्रणी।
गुजरात (17.90 मिलियन टन), पंजाब (13.91 मिलियन टन) और बिहार (12.57 मिलियन टन) भी डेयरी उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
कुछ छोटे राज्यों जैसे गोवा (63.20 हजार टन), सिक्किम (80.37 हजार टन) और त्रिपुरा (229.71 हजार टन) में पशुधन संख्या कम होने के बावजूद स्थानीय खपत के लिए पर्याप्त उत्पादन है। वहीं मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में दूध उत्पादन अभी विकास की संभावना रखता है।
20वीं पशुधन जनगणना (2019) के अनुसार, भारत में 192.5 मिलियन गायें और 109.9 मिलियन भैंसें हैं। दिलचस्प बात यह है कि भारत में दुनिया की 57% भैंस आबादी रहती है। नस्ल के आधार पर भी दूध उत्पादन में बड़ा फर्क आता है — जैसे कि मुर्रा भैंस और गिर गाय उच्च उत्पादकता के लिए जानी जाती हैं।
दूध उत्पादन ग्रामीण भारत की आय में सीधा योगदान देता है। इसमें महिला किसानों की भागीदारी खास तौर पर अधिक है, क्योंकि डेयरी प्रबंधन घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ किया जा सकता है। कई राज्य सहकारी मॉडल (जैसे अमूल, नंदिनी) के जरिए किसानों को स्थिर बाजार उपलब्ध कराते हैं।
भारत का लक्ष्य केवल उत्पादन बढ़ाना ही नहीं, बल्कि दूध की गुणवत्ता, प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन पर भी जोर देना है। दूध से बने पनीर, दही, घी, आइसक्रीम और उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी प्रोडक्ट्स के निर्यात में भी अपार संभावनाएं हैं
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने 12 अगस्त, 2025 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
भारत लंबे समय से दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, और यहाँ की डेयरी इंडस्ट्री करोड़ों किसानों की आजीविका का आधार है। ग्रामीण भारत में दूध केवल पोषण का स्रोत नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण आय का साधन भी है। बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2024 के अनुसार, वर्ष 2023-24 में देश का कुल दूध उत्पादन 239.30 मिलियन टन पहुंच गया।
गाय बनाम भैंस: योगदान और अंतर
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राज्यवार दूध उत्पादन – शीर्ष प्रदर्शनकर्ता
2. राजस्थान – 31.59 मिलियन टन (गाय: 14.80, भैंस: 16.78), यहां थारपारकर और राठी जैसी नस्लें प्रसिद्ध हैं।
3. मध्य प्रदेश – 20.28 मिलियन टन (गाय: 10.08, भैंस: 10.19), यहां मिश्रित डेयरी खेती का बोलबाला है।
4. महाराष्ट्र – 15.68 मिलियन टन (गाय: 10.35, भैंस: 5.33), पश्चिमी महाराष्ट्र में दूध सहकारी संस्थाओं का नेटवर्क मजबूत है।
5. कर्नाटक – 13.42 मिलियन टन (गाय: 10.58, भैंस: 2.83), दक्षिण में दूध उत्पादन में अग्रणी।
गुजरात (17.90 मिलियन टन), पंजाब (13.91 मिलियन टन) और बिहार (12.57 मिलियन टन) भी डेयरी उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
कम आबादी वाले राज्यों का प्रदर्शन
पशुधन जनसंख्या
डेयरी सेक्टर का आर्थिक योगदान
चुनौतियां और अवसर
- जलवायु परिवर्तन – गर्मी और सूखे का असर उत्पादन पर पड़ता है।
- पशु आहार की कमी – पोषण की कमी से दूध की मात्रा और गुणवत्ता घटती है।
- नस्ल सुधार – उच्च उत्पादन वाली नस्लों का प्रजनन बढ़ाना जरूरी है।
- तकनीकी हस्तक्षेप – लिंग-चयनित वीर्य तकनीक, दुग्ध परीक्षण, और कोल्ड चेन नेटवर्क का विस्तार।
भविष्य की दिशा
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने 12 अगस्त, 2025 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।