2017 में महिलाओं का हथियार बना सोशल मीडिया, इन मुद्दों पर खुल कर रखी अपनी बात
Astha Singh 30 Dec 2017 6:00 PM GMT
जब साल 2017 जाने वाला है तो कुछ लोग बीते साल के अच्छे बुरे अनुभवों को ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं। इस साल ऐसी बहुत सी घटनाएं हुईं जिन्हें मुद्दा बनाने में या लोगों तक पहुंचाने में सोशल मीडिया ने अहम रोल निभाया। इनमें से कुछ घटनाएं ऐसी भी हैं जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया, कुछ ऐसी हैं जो लोगों के लिए मिसाल बनीं।
हालांकि ऐसा नहीं है कि बीते वर्ष में महिलाओं के खिलाफ अपराध नहीं हुए, लेकिन इस जाते हुए साल में जो सबसे बड़ी उपलब्धि महिलाओं ने हासिल की, वह यह कि उन्होंने खुलकर बोलना सीखा। उन्होंने दुनिया के साथ न केवल अपनी सामाजिक समस्याएं साझा कीं, बल्कि अपनी बेहद निजी या व्यक्तिगत समस्याओं को भी साझा करने की हिम्मत दिखाई।
इस दिशा में सोशल मीडिया महिलाओं के लिए हथियार बन कर उभरा। साल 2017 में सोशल मीडिया पर महिला समर्थित कई ऐसे कैंपेन चले, जिन्होंने उनकी आवाज़ को दुनिया के समक्ष रखने में उनकी मदद की। इनमें से कुछ कैंपेन पहले के भी थे, जिन्हें 2017 में समर्थन मिला। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इनमें से ज़्यादातर कैंपेन किसी महिला द्वारा ही चलाये गये और मज़ेदार बात यह कि एक समय के बाद पुरुषों ने भी उनके माध्यम से अपनी मिलती-जुलती समस्याओं को साझा किया। चलिए ऐसे ही कुछ कैंपेन पर एक नज़र डालते हैं-
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#MeToo
अक्टूबर महीने की शुरुआत में हॉलीवुड अभिनेता हार्वे वेनिंस्टन पर लगे यौन शोषण के आरोपों की चर्चा दुनिया भर में हुई थी। अमेरिकी अभिनेता हार्वे पर कई अभिनेत्रियों ने यौन हिंसा का आरोप लगाया था और लोगों से अपील की थी कि वे भी आगे आएं और अपने बारे में लिखें। उसके बाद 15 अक्टूबर से सोशल मीडिया पर एक आंदोलन शुरू हुआ था जिसमें महिलाओं से अपील की गई थी कि वे भी अपने साथ हुए यौन शोषण पर बोलें, सिर्फ दो सरल शब्दों में, और लिखें - #MeToo यानि मैं भी।
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ट्विटर पर इस मुहिम की शुरुआत हॉलीवुड अभिनेत्री एलिसा मिलानो ने 16 अक्टूबर को की। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा- एक दोस्त के द्वारा प्रस्तावित किया हुआ : अगर सारी महिलाएं यौन शोषण या हिंसा का शिकार हुई हैं तो स्टेटस में लिखें - #MeToo, हो सकता है कि हम लोगों को इस समस्या की भयवहता का अंदाज़ा दिला सकें। अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है तो मेरे ट्वीट के रिप्लाई में भी #MeToo लिखें। एलिसा मिलानो के इस ट्वीट का दुनिया भर के लोगों ने समर्थन किया। अब तक इस ट्वीट को 25 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है और लगभग 69 हज़ार लोग उनके इस ट्वीट पर रिप्लाई कर चुके हैं। पाकिस्तानी ब्लॉग सियासत के मुताबिक, #MeToo मुहिम 2017 की सबसे ज़्यादा असर करने वाली सामाजिक मुहिम मानी गई। महिला हिंसा के खिलाफ शुरू हुए ‘मी-टू कैम्पेन’ के प्रभाव को देखते हुए इसे 2017 का टाइम्स पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया है।
If you’ve been sexually harassed or assaulted write ‘me too’ as a reply to this tweet. pic.twitter.com/k2oeCiUf9n
— Alyssa Milano (@Alyssa_Milano) October 15, 2017
#MeriRaatMeriSadak
हरियाणा के आईएएस अफसर की बेटी वर्णिका कुंडू के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले के विरोध में 'मेरी रात मेरी सड़क हैशटैग' के नाम से सोशल मीडिया पर शुरू हुआ आंदोलन 12 अगस्त 2017 को सड़कों पर आ गया। दिल्ली एनसीआर समेत कई प्रमुख शहरों में महिलाएं बड़ी संख्या में देर रात सड़क पर निकलीं। इस आंदोलन का उद्देश्य रात के समय में सड़कों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना था। दुनिया को यह संदेश देना था कि रात को चलकर सुरक्षित घर पहुंचने का अधिकार सिर्फ पुरुषों का नहीं महिलाओं का भी है, क्योंकि वो भी पुरुषों की तरह इस देश के नागरिक हैं और उन्हें भी कानूनी तौर से पुरुषों के समान ही आज़ाद और बेखौफ ज़िंदगी जीने का अधिकार प्राप्त है।
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क्या आपका लड़का लुच्चा है? कृपया घर पर ही रखें। - नवीन रमण
— khushboo Akhtar (@AkhtarKhu) August 8, 2017
क्योंकि सड़कों पर अब लड़कियां होगी.#MeriRaatMeriSadak#मेरी_रात_मेरी_सड़क
#LahuKaLagaan
इस कैंपेन की शुरुआत ट्विटर पर ‘शी सेज़’ नामक ग्रुप ने शुरू की। यह कैंपेन सैनेटरी नैपकिन पर लगे टैक्स के विरोध में किया गया था। लाखों महिलाओं के साथ-साथ कई पुरुषों ने भी इस कैंपेन को सपोर्ट किया है। इसके अलावा इस कैंपेन को स्वरा भास्कर, तापसी पन्नू, मल्लिका दुआ, अदिति राव हैदरी, बैडमिंटन प्लेयर ज्वाला गुट्टा, प्रिया मलिक सहित साइरस बरूचा, विशाल डडलानी जैसे कई नामी-गिरामी चेहरों का भी पूरा समर्थन मिला। इन सभी लोगों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को #LahuKaLagaan हैशटैग करके उनसे सेनेटरी नैपकिन्स पर लगे टैक्स को हटाने की अपील की है।
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https://t.co/YtYjJNhUAp End Period Tax. #LahuKaLagaan #SheSays
— Sawant Singh (@SinghSawant) December 6, 2017
#HappyToBleed
निकिता आज़ाद द्वारा शुरू की गई ‘हैप्पी टू ब्लीड’ कैंपेन को 2017 में भी भरपूर समर्थन मिला। निकिता का यह कैंपेन केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी के विरोध में शुरू किया गया था। दरअसल मंदिर के मुख्य पुरोहित परयार गोपालकृष्णन ने अपने एक बयान में कहा था कि, ‘यदि प्यूरिटी चेकिंग मशीन का आविष्कार हो जाये, जो यह देखे कि महिलाएं माहवारी के दिनों में हैं या नहीं, तभी वह महिलाओं के मंदिर में जाने देने पर विचार करेगा।’
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पुजारी के इस सेक्सिस्ट बयान के बाद निकिता आज़ाद ने अपने कुछ साथियों के साथ 20 नवंबर 2015 को सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुरोहित को एक पत्र लिखा।अगले ही दिन निकिता और उसके साथियों ने सोशल मीडिया में ‘ हैप्पी टू ब्लीड’ कैंपेन शुरू कर दिया। इसके तहत लड़कियों से यह अपील की गयी कि वे अपने हाथों से ‘हैप्पी टू ब्लीड’ लिखे हुए प्लकार्ड्स, चार्ट्स, सेनेटरी नैपकिन लेकर फोटो क्लिक करवाएं और उसे सोशल मीडिया पर अपने प्रोफाइल या पोस्ट के साथ अपलोड करें। देखते-ही-देखते यह कैंपेन वायरल हो गया।
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#HappyToBleed pic.twitter.com/RO8uUsJCTv
— Countercurrents.org (@Countercurrents) November 20, 2015
#TouchThePickle
इस कैंपेन को सेनेटरी नैपकीन बेचनेवाली कंपनी प्रॉक्टर एंड गैंबल द्वारा शुरू किया गया। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से भारतीय समाज में व्याप्त माहवारी या पीरियड्स से संबंधित अंधविश्वास या रूढ़िवादी सोच को बदलना और इसकी वजह से महिलाओं के साथ होने वाले हर तरह के भेदभाव को खत्म करना है। जैसे, आम तौर पर हमारे समाज में लोग ऐसा मानते हैं कि माहवारी के दौरान यदि महिलाएं अचार या किसी खट्टी चीज़ को छू दें, तो वो खराब हो जायेगा या फिर इस दौरान महिलाओं का शरीर अपवित्र हो जाता है, इसलिए उन्हें धार्मिक क्रियाकलापों से दूर रहना चाहिए।
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इस अभियान के लिए खास तौर से तैयार किये गये यूट्यूब वीडियो को लगभग दो करोड़ लोगों ने लाइक और शेयर किया। कैंपेन में शामिल लोगों से यह अपील की गयी कि वे इस हैशटैग का उपयोग करते हुए अपने साथ होनेवाले ऐसे अनुभवों को भी सोशल मीडिया पर शेयर करें।
#TouchThePickle by @ProcterGamble aimed to normalize #menstruation! @menstrupedia #MHDAY @MHDay28May @menstrupedia https://t.co/Bis5ovGbMe pic.twitter.com/HyAh5c1owW
— CSR (@CSR_India) May 28, 2017
#MyBodyMyBFF
आमतौर पर हमारे समाज में सुडौल शरीर और सुंदर रंगरूप को ही सुंदरता का पैमाना माना जाता है। खास तौर से महिलाओं के संदर्भ में ऐसा अधिक देखने को मिलता है। इस वजह से कई महिलाएं, विशेष तौर से जिनका शारीरिक डील-डौल या रंग रूप इस तरह के मानकों से इतर हो, वे हीन भावना से ग्रस्त रहती हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यूके की अंत:वस्त्र बेचनेवाली एक कंपनी कर्वी केट ने #MyBodyMyBFF कैंपेन की शुरुआत की।
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इस कैंपेन का उद्देश्य महिलाओं को अपने शरीर से प्यार करने के लिए प्रेरित करना और उनके अंदर मौजूद हीनभावना को खत्म करना था। इस कैंपेन के तहत वैसी सभी महिलाओं से, जो खुद को मोटी या बदसूरत समझती हैं, अपनी पसंदीदा ड्रेसेज पहन कर खूबसूरत पोज में अपनी फोटोज़ को #MyBodyMyBFF हैशटैग के साथ इंस्टाग्राम और ट्विटर पर पोस्ट करने की अपील की गई। हालांकि कई लोगों ने इस हैशटैग कैंपेन की आलोचना करते हुए इसे कंपनी द्वारा अपने उत्पाद की बिक्री को बढ़ावा देनेवाला बताया, फिर भी इससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जरूर प्रसारित हुआ कि हर इंसान अपने आप में खूबसूरत है।
#mybodymybff love your own self! Acceptance is key to happiness! Work on becoming the perfect human! ❤️ #bodypositive #BodyPositivity pic.twitter.com/fh6Tp78t6Q
— Dr. Falguni Vasavada-Oza (@falgunivasavada) July 7, 2017
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