पेड़-पौधों के हर एक हिस्से के हैं औषधीय महत्व

पेड़-पौधों के औषधीय महत्व: सुदूर ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों के ज्ञान को आधार मानकर फलों और सब्जियों के छिलके फेंक दिए जाने वाले अंगों के औषधीय गुणों का जिक्र को बताऊं तो आपको इनके गुणों को जानकर बेहद आश्चर्य होगा

Deepak AcharyaDeepak Acharya   17 Sep 2019 12:03 PM GMT

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पेड़-पौधों के हर एक हिस्से के हैं औषधीय महत्व

पेड़-पौधों के हर एक हिस्से के अपने औषधीय महत्व हैं, ये बात अलग है कि हम इनमें से अधिकतर गुणों से परिचित नहीं। जानकारी के अभाव की वजह से अक्सर हम पौधों के कई हिस्सों को बेकार मान कर फेंक देते हैं।

ऐसा हर बार होता है कि आप जब भी केला खाते हैं, इसके छिलकों को सीधे कचरा पेटी का रास्ता दिखा देते हैं। ठीक इसी तरह अन्य फलों जैसे संतरा, अनार और तरबूज के छिलकों के बीजों का हाल होता है। सब्जियों जैसे तुरई, आलू की बात की जाए तो इनके छिलकों के साथ भी यही होता है। लेकिन, सुदूर ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों के ज्ञान को आधार मानकर इन फेंक दिए जाने वाले अंगों के औषधीय गुणों का जिक्र को बताऊं तो आपको इनके गुणों को जानकर बेहद आश्चर्य होगा।

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कद्दू या कुम्हड़

कद्दू या कुम्हड़े को कौन नहीं जानता? हर भारतीय रसोई में इसे एक महत्वपूर्ण और स्वादिष्ट सब्जी के तौर पर पकाया, खाया और सराहा जाता है। कद्दू की सब्जी बनाते समय इसे काटे जाने के बाद फल के अन्दर से जो बीज निकलते हैं, अक्सर उन्हें फेंक दिया जाता है।

कद्दू के बीजों की खासियत इसमें पाए जाने अनेक महत्वपूर्ण पोषक तत्व और रसायन है जो हमारी सेहत को बेहतर बनाने के लिए कई मायनों में असरकारक होते हैं। इसके बीजों के औषधीय गुणों की वकालत आधुनिक विज्ञान भी खूब कर रहा है। पोषक तत्वों की उपस्थिति और उनकी उपयोगिता के आधार पर जो शोध की गयी है उसके प्राप्त परिणामों के अनुसार कद्दू के एक कप बीजों में सामान्य तौर एक दिन के लिए आवश्यक (ड़ेली वेल्यु या डीवी) जिंक की 44% मात्रा, तांबा 22% , मैग्नेशियम 42%, मैगनीज 16%, पोटेशियम 17% और लौह तत्वों की उपस्थिति 17% होती है और माना जाता है कि लौह तत्वों की कम से होने वाली रक्त अल्पता यानि एनीमिया के लिए ये सबसे उत्तम औषधि हो सकते हैं।

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विज्ञान के प्रचलित जर्नल फाईटोथेरापी रिसर्च में सन 2008 में प्रकाशित एक क्लिनिकल रिपोर्ट के अनुसार जिन महिलाओं को कद्दू के बीजों के तेल (2 मिली) का सेवन 12 हफ्तों तक कराया गया उनमें रजोनिवृति पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे ब्लड प्रेशर बढ़ना, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, होर्मोन की कमी होना आदि में काफी सुधार देखा गया। इसके अलावा रजोनिवृति पर हृदय विकारों और रक्त प्रवाह से जुड़ी अन्य समस्याओं में कद्दू के बीजों से प्राप्त तेल को बेहत कारगर बताया गया है।


संतरा

माना जाता है कि महज एक संतरे के सेवन मात्र से दिन भर में हमारे शरीर के लिए आवश्यक विटामिन सी की मात्रा का 100 प्रतिशत प्राप्त हो जाता है। संतरे में ढ़ेर सारे फाइबर, विटामिन ए, बी, एमीनो एसिड्स, बीटा केरोटीन, पोटैशियम, फॉलिक एसिड और कई अन्य महत्वपूर्ण रसायनों की भरमार होती है।

संतरों को सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसके छिलकों में भी औषधीय गुणों की भरमार है? इसके छिलकों के फेंकने से पहले जरा इनके अजब- गजब गुणों को जरूर जान लें।

सन्तरे के छिलकों को रात में इन्हें दुर्गन्ध मार रहे जूतों के अंदर रख दें, अगली सुबह इन छिलकों को जूतों से निकाल कर फेंक दें, जूतों से दुर्गन्ध दूर हो जाएगी। जिनके पाँवों के तालुओं से गंध आती है उसे दूर करने के लिए भी संतरे के छिलके बेहद कारगर हैं।

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संतरे के ताजे या सूखे हुए छिलकों को 2 लीटर पानी में उबाल लिया जाए और जब यह गुनगुना रहे तो इसमें तालुओं को डुबो दिया जाए। करीब 2 से 4 मिनट बाद तालुओं को बाहर निकाल साफ तौलिये से पोछ लिया जाए। ऐसा सप्ताह में 2-3 तीन बार करने से जल्द ही समस्या का पूर्ण निवारण हो जाता है।

एक और खास बात, कोई बाजारू क्रीम आपको गोरा नहीं बनाएगी, लेकिन ये दावा है कि इस देसी फॉर्मूले को आजमा कर आपकी त्वचा में निखार जरूर आ जाएगा।

संतरे के छिलकों को सुखा लें, जब यह पूरी तरह से सूख जाए तो इन्हें ग्राईंडर का उपयोग कर चूर्ण में तब्दील कर लें। इस चूर्ण की 3 चम्मच मात्रा लें और इसे 3 चम्मच दही में अच्छी तरह घोल लें और चेहर पर लगाकर सूखने तक रख दें। करीब 15 से 20 मिनट बाद जब यह सूख जाए तो हथेली से हल्का-हल्का रगड़ते हुए चेहरे से इसे उतार लें और बाद में साफ पानी से चेहरा धो लें।

साफ तौलिये से चेहरा साफ करके थोड़ा सा मोइस्चरायजर लगा लें। रोज नहाने से पहले सिर्फ 15 दिन करके देखिए, पारंपरिक ज्ञान है, असर दिखाकर दम लेगा और इस फॉर्मूले को अपनाने से पहले अपने घर से जहरीले रसायनयुक्त क्रीम को कचरे के डिब्बे में जरूर फेंक मारें।


नींबू और मौसंबी

संतरे के अलावा नींबू, मौसंबी जैसे खट्टे फलों के छिलकों को भी वनवासी कई तरह के नायाब तरीकों से इस्तेमाल में लाते हैं। इन खट्टे फलों के छिलकों को एक बर्तन में पानी के साथ खौलाएं, खौलाने से पहले थोडी सी दालचीनी और 3-4 लौंग जरूर ड़ाल दें। जब यह खौलने लगे तो सावधानी से हर कमरे में खौलते बर्तन को ले जाएं। इसकी सुगंध मात्र से करीब 12 प्रकार के सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं और यह गजब के रूम फ्रेशनर की तरह भी काम करता है। नींबू के छिलके का एक और जोरदार उपयोग जान लीजिए।

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अनार

अनार छीलने के बाद छिलकों को फेंके नहीं, इन्हें बारीक काटकर मिक्सर में थोड़े पानी के साथ ड़ालकर पीस लें। बाद में इसे मुंह में ड़ालकर कुछ देर कुल्ला करें और थूक दें। दिन में करीब दो तीन बार ऐसा करने से मसूड़ों और दांतों पर किसी तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमण हो तो काफी हद तक आराम मिल जाता है। जिन्हें मसूड़ों से खून निकलने की शिकायत हो उन्हें यह फॉर्मूला बेहद फायदा करेगा। स्ट्रेप्टोकोकस मिटिस और स्ट्रेप्टोकोकस संगस नामक बैक्टिरिया की वजह से ही जिंजिवायटिस और कई अन्य मुख रोग होते हैं और इनकी वृद्धि को रोकने के लिए अनार के छिलके बेहद असरकारक होते हैं।


आलू

आलू के छिलके कमाल के होते हैं, यकीन मानिए। दुनिया भर में आलू एक प्रचलित कंद है और इसका इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश जानकारी के अभाव में हम इसके छिलकों को फेंक देते हैं। आप जब इसके औषधीय गुणों को जानेंगे तो सिवाय दांतों में अंगुली दबाने के और कुछ ना कर पाएंगे।

आपको आश्चर्य होगा कि आलू के छिलकों में आलू के अंदर के हिस्से से ज्यादा महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। आंखों के नीचे बैग (सूजन) बने हों या चेहरे पर दाग- धब्बे या मुहांसे, कुछ ना करें सिर्फ आलू के छिलकों के अंदरूनी हिस्से को चेहरे पर लगाए और हल्का-हल्का दबाते हुएं रगड़ें। करीब 15 दिन में ही फर्क दिखायी देने लगेगा। और तो और इन छिलकों को ग्राईंड करें, रुई डुबोकर चेहरे पर लगाएं और फिर 15 दिनों में चेहरे की रंगत देखिए, बिल्कुल निखरने लगेगा। ध्यान रहें, छिलकों के इस्तेमाल से पहले आलू को साफ पानी से खूब अच्छी तरह से धो जरूर लें।

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तुरई

पातालकोट के वनवासियों के अनुसार तुरई के छिलकों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर छाँव में सुखा लिए जाए और सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रखें और बाद में इसे गर्म कर लिया जाए। तेल छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाए और मालिश भी करें तो बाल काले हो जाते हैं।

केला

केले का छिलका प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि को रोकता है। टेस्टोस्टेरोन की वजह से अक्सर प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है और अनेक शोध बताती हैं कि केले का छिलका टेस्टोस्टेरोन को सक्रिय नहीं होने देता। वनवासी हर्बल जानकारों के अनुसार साफ केले के छिलके को धोकर सुखा लिया जाए और फिर इसे ग्राइंड कर लिया जाए, प्राप्त चूर्ण की आधा चम्मच फांकी दिन में दो बार लेने से प्रोस्टेट ग्रंथी की वृद्धि को रोकने में मददगार होता है। पके हुए केले के छिलके के अंदरूनी हिस्से को मुहांसों पर रात सोने से पहले रगड़िये और चाहें तो चेहरे को 45 मिनट बाद धो सकते हैं। बहुत जल्द ही सकारात्मक परिणाम दिखेंगे।

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तरबूज

गुजरात के वनवासी तरबूज के छिलके जला कर राख तैयार करते हैं और मुंह के छालों से पीड़ित लोगों को इसे छालों पर लगाने की सलाह देते हैं। तरबूज के छिलकों की आंतरिक सतह को काटकर वनवासी इनका मुरब्बा तैयार करते हैं, माना जाता है कि यह बेहद शक्तिवर्धक होता है। कुछ इलाकों में लोग इसके छिलकों को बारीक काटकर सुखा लेते हैं और चूर्ण तैयार कर लिया जाता है। माना जाता है कि इस चूर्ण की आधी चम्मच मात्रा प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेने से शरीर में ताकत का संचार होता है और कई तरह की व्याधियों में राहत भी मिलती है, कुल मिलाकर ये पूर्ण रूप से सेहत दुरुस्ती के लिए कारगर होता है।

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